- - देश में किसी भी सरकारी बैंक का निवेशकों को मासिक ब्याज देने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में जब निवेशकों को हर माह अपनी जमा पूंजी पर ब्याज मिलने लगता है तो उनका विश्वास बढ़ने लगता है
जमशेदपुर: देश में यूरेनियम के लिए प्रसिद्ध जादूगोड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। ऐसा इसलिए नहीं कि इसे कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो रही है या कोई विशेष सम्मान मिल रहा है। बल्कि शारदा ग्रुप के चिटफंड घोटाले के बाद अब जादूगोड़ा में भी एक चिटफंड घोटाला सामने आया है। इस चिटफंड कंपनियों द्वारा निवेशकों का पांच सौ करोड़ रूपए चपत लगाने की तैयारी की जा रही है। जादूगोड़ा में चिटफंड कंपनी के संचालक कमल सिंह हैं। वह दिन दूर नहीं जब यहां भी चिटफंड कंपनी के दरवाजे बंद मिलेंगे और निवेशक जो आज हंस रहे हैं कल छाती पिटते दिखेंगे। चिटफंड कंपनी के संचालन का तरीका कुछ अलग किस्म का है। कंपनी में यदि कोई निवेशक अपनी पूंजी लगाते हैं तो उन्हें पांच हजार रूपए प्रतिमाह मिलेंगे। यह ब्याज एक लाख रूपये पूंजी की जमा पर लागू है यानी निवेशक को साठ प्रतिशत सालाना ब्याज मिलेगा। ब्याज की रकम एजेंट के मार्फत निवेशक के दरवाजे तक पहुंचा दिया जाता है। कंपनी के इसी चाल पर निवेशक फंस जाते हैं और अपनी जमा पूंजी चिटफंड के नाम कर जाते हैं। देश में किसी भी सरकारी बैंक का निवेशकों को मासिक ब्याज देने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में जब निवेशकों को हर माह अपनी जमा पूंजी पर ब्याज मिलने लगता है तो उनका विश्वास बढ़ने लगता है। इतना ही नहीं वे तो खुद अधिक से अधिक राशि निवेश करते ही हैं और अपने जानकारों को भी इस भंवरजाल में फंसने को विवश कर देते हैं। कंपनी ने इस कार्य के लिए अपने सैकड़ों एजेंट को सक्रिय कर रखा है। जिनका काम न सिर्फ निवेश करवाना है बल्कि लोगों को निवेशक बनने पर मजबूर करना भी है। इसके लिए एजेंट को कंपनी द्वारा मोटी रकम दी जाती है। यही कारण है क्षेत्र के कई नामी गिरामी लोग चिटफंड को निवेश का बेहतर विकल्प मान रहे हैं और नेता, पदाधिकारी, व्यवसायी, आमजन अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा चिटफंड में निवेश कर रहे हैं। चर्चा है कि क्षेत्र के एक पूर्व सांसद भी चिटफंड में भारी रकम निवेश कर चुके हैं, यूसील के शत प्रतिशत कर्मचारी इस कंपनी में अपनी पूंजी निवेश कर चुके हैं। यहां तक कि कर्मचारी पीएफ लोन लेकर चिटफंड में निवेश कर रहे हैं। बता दें कि कंपनी में निवेश करने के बाद पीएफ लोन भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। क्षेत्र में आम निवेशकों के बीच धाक जमाने के लिए कमल सिंह ने राजकम मोबाइल के नाम से एक मोबाइल कंपनी भी खोल रखी है। जिसकी बिक्री बाजार में जारी है। जादूगोड़ा स्थित नवरंग मार्केट में राजकम मोबाइल नाम से एक कार्यालय भी है जो कि सारी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। लगभग सौ करोड़ की लागत से दयाल मार्केट के समीप ही कंपनी के द्वारा राज टावर के नाम से एक माॅल खोला गया है। जिसका विगम 07 मई को यूसील के चेयरमैन सह प्रबंध निदेषक दिवाकर आचार्या ने फीता काटकर उद्घाटन किया था। इतना ही नहीं राजकम मोबाइल के नाम से एक क्रिकेट टीम का गठन भी किया है। विभिन्न पर्व त्योहारों में षहर के सभी कमेटियों को दिल खोलकर मदद दी जाती है ताकि विष्वास कायम रहे। दिलचस्प बात यह है कि करोड़ों के कारोबारी द्वारा किसी भी जगह कंपनी का बोर्ड तक नहीं टांगा गया है ताकि यह प्रतीत न हो कि यहां नन बैंकिंग का कारोबार चल रहा है। संचालक कमल सिंह यूसील कंपनी में बतौर ब्लास्टर कार्यरत हैं और इनकी पगार महज 7770 ही है। अब तक किसी भी अधिकारी ने इस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई तक नहीं की है। जिसने कंपनी के खिलाफ सक्रियता दिखाई उसे पुनः पूर्ववत अवस्था में ही रहने का इंतजाम कर दिया गया। इंडियन डेमोक्रेटिक इनवायरमेंट एंड हयूमन राइट्स आर्गेनाइजेषन के सचिव प्रीतम टूडू ने ंिसंहभूम पूर्वी के उपायुक्त, थाना, आरक्षी अधीक्षक, इनकम टैक्स कमिष्नर, कमिष्नर कोल्हान, एसडीओ घाटषिला, प्रधानमंत्री और राश्टपति तक को पिछले एक वर्श से लिखते आ रहे हैं लेकिन कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। अंततः प्रीतम टूडू ने झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका 44/2013 दायर किया है। दायर याचिका में इस बात का जिक्र है कि आखिर कमल सिंह अपने निवेषकों को 72 फीसदी सालाना ब्याज कहां से और कैसे देता है ? उन्होंने यूसील के सीएमडी श्री आचार्या पर भी यह आरोप लगाया है कि कमल सिंह के साथ वे भी इस कारगुजारी में षामिल हैं। यही कारण है कंपनी द्वारा खोले गए राज बाजार माॅल का उदघाटन फीता काट कर उन्होंने किया। श्री टूडू ने यह भी आरोप लगाया है कि कमल सिंह और यूसील के सीएमडी आचार्या के बीच यूरेनियम से संबंधित किसी व्यवसाय पर डील है तभी इतनी मोटी रकम निवेषकों को बतौर ब्याज दी जा रही है। कर्मचारियों को पीएफ लोन दिलाने में भी इनका मौन समर्थन है। अभी तक पांच सौ करोड़ रूपए की संपत्ति बनाए जाने का भी आरोप कमल सिंह पर लगाया गया है। आष्चर्यजनक बात तो यह है कि करोड़ों रूपए के इस कारोबार में महज पांच, दस व बीस रूपए के नन ज्यूडिषियल स्टांप पेपर किए एकरारनामे पर होता है। प्रथम पार्टी कमल सिंह यह एकरार करता है कि मैं अपने अपूर्ण घर को पूर्ण करने के लिए यह राषि ले रहा हूं लेकिन पांच सौ करोड़ का व्यवसायी का घर अपूर्ण क्यों है। स्टांप पेपर पर एकरार करना महज एक दिखावा है असलियत तो कुछ और ही है।
वापस लेने लगे हैं लोग अपनी जमा पूंजी: षारदा गु्रप के चिटफंड घोटाले के बाद क्षेत्र में चल रहे कई चिटफंड से लोग अब अपना पैसा वापस ले रहे हैं। इसी क्रम में जादूगोड़ा में चल रही कमल सिंह की चिटफंड कंपनी से भी निवेषकों का धीरे धीरे मोहभंग हो रहा है और सनातन बेहरा व गिरधारी बेहरा ने तो अपने पैसे वापस भी कर लिए। पिछले सात साल के दरम्यान कंपनी ने विभिन्न जगहों पर करोड़ों रूपए की संपत्ति अर्जित कर ली लेकिन षारदा प्रकरण के बाद जनता इतनी जागरूक हो चुकी है कि अब चिटफंड से अपनी जमा पूंजी निकालने की कवायद षुरू कर चुकी है।
यूसील के नाम से लिया जाता है पैसा: चिटफंड कंपनी के मालिक कमल सिंह द्वारा यह कह कर निवेषकों से निवेष कराया जाता है कि उनकी जमा राषि का उपयोग यूसील की गतिविधियों पर खर्च होगा। इससे जो लाभांष आएगा वह निवेषकों पर खर्च किया जाएगा। संचालक द्वारा बाकायदा यह कहा जाता है कि इस पूरे कारोबार में यूसील के सीएमडी श्री आचार्या भी षामिल हैं। इसके लिए निवेषकों को सीएमडी व संचालक के फोटो भी दिखाए जाते हैं ताकि इस बात की गारंटी रहे कि सीएमडी के कंपनी के साथ गहरे संबंध हैं। इन फोटो व प्रमाण को देख कर निवेषकों का विष्वास और भी बढ़ जाता है और बिना किसी हिचकिचाहट के निवेषक अपनी गाढ़ी कमाई इस चिटफंड में होम कर देते हैं।
पहले भी की षिकायतें, नहीं हुई कार्रवाई: इंडियन डेमोक्रेटिक इनवायरमेंट एंड हयूमन राइट आर्गेनाइजेषन के सचिव प्रीतम टूडू ने विगत 06/10/12 को पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को, 08/11/12 को जादूगोड़ा थाना में, 10/11/12 को एसपी जमषेदपुर, 04/12/12 को इनकम टैक्स कमिष्नर, 18/01/13 को पुनः इनकम टैक्स कमिष्नर जमषेदपुर को आवेदन देकर षिकायत दर्ज कराई और स्तरीय जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। जब कार्रवाई नहीं हुई तो प्रीतम ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले को आगे बढ़ाया। बाद में प्रीतम ने 13/05/13 को एसडीओ घाटषिला व 25/05/13 को आयुक्त चाईबासा, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर राश्टपति तक को आवेदन देकर मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। चिटफंड मामले में हाईकोर्ट का फैसला आने ही वाला है और कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में आता है तो कंपनी के साथ साथ उन एजेंटों पर भी गाज गिरेगी जो निवेषकों को निवेष करने के लिए प्रेरित करते रहे। हालांकि तमाम उठापटक के मद्देनजर यूसील के सीएमडी से भी संपर्क की कोषिष की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा।

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