लोकसभा में सोमवार रात बहुप्रतीक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित हो गया। इसका उद्देश्य देश के करीब 80 करोड़ लोगों यानी 67 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। भुखमरी और कुपोषण से मुकाबले के लिए इस योजना को कारगर हथियार के तौर पर देखा जा रहा है जिसकी वैश्विक स्तर पर कई संस्थाओं ने सराहना की है। लोकसभा में करीब नौ घंटे चली बहस के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विपक्षी पार्टियों ने करीब 300 संशोधन प्रस्ताव रखे जिसे खारिज कर दिया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (66) लगातार चल रही इस चर्चा में शामिल रहीं लेकिन मतदान के समय वह सदन में मौजूद नहीं रह सकीं। मतदान से पूर्व वह अस्वस्थ हो गईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। केंद्रीय खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सदन को आश्वस्त किया कि इसे लागू करने के दौरान सभी खामियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले विधेयक पर चर्चा और इसे पारित करने का प्रस्ताव पेश करते हुए खाद्य मंत्री ने कहा था कि योजना के माध्यम से लाभान्वितों को पोषणयुक्त खाद्यान्न मिलेगा।
चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रतिपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरली मनोहर जोशी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने इसे 'वोट सुरक्षा' के लिए पेश किया है।जोशी ने कहा, "यह खाद्य सुरक्षा विधेयक नहीं वोट सुरक्षा विधेयक है।" भाजपा नेता ने पूछा, "आपने इसे पहले क्यों नहीं लाया?" जोशी ने आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में विधेयक लाया है और इसमें कई खामियां हैं। उन्होंने कहा, "आपने यह परिभाषित नहीं किया कि पर्याप्त भोजन क्या है?" उन्होंने आरोप लगाया कि इससे केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ होगा। सरकार से देश में गरीबी के आंकड़े के बारे में पूछते हुए जोशी ने कहा कि इस विधेयक के कई गंभीर वित्तीय परिणाम होंगे।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, "खाद्य सुरक्षा विधेयक समाज के गरीब तबके के लिए है। भुखमरी और कुपोषण को खत्म करने के लिए यह ऐतिहासिक कदम है।" उन्होंने कहा कि इससे दुनियाभर में यह संदेश जाएगा कि भारत अपने नागरिकों, विशेषकर गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। सोनिया जब चर्चा में हिस्सा ले रही थीं, उनके बेटे राहुल गांधी सदन में मौजूद थे। उन्होंने पहले हिंदी में भाषण शुरू किया फिर अंग्रेजी में अपनी बातें रखीं।
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि सरकार को इस विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की राय भी लेनी चाहिए, क्योंकि राज्यों में लागू करने का वित्तीय बोझ उन्हें वहन करना होगा। इस विधेयक का उद्देश्य देश की 1.2 अरब जनसंख्या के करीब 80 करोड़ लोगों यानी 67 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। इस विधेयक से सरकार पर करीब 124,723 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने वाला है।

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