धनबाद : जरा संभलें: कहीं चपेट में न ले लें हादसा... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 14 अगस्त 2013

धनबाद : जरा संभलें: कहीं चपेट में न ले लें हादसा...

  • - ग्रामीणों द्वारा इसकी षिकायत कई बार प्रबंधन से की जा चुकी है, मगर प्रबध्ंान द्वारा ब्लास्टिंग को आवष्यक बताते हुए नजरअदांज कर दिया जाता है और भू-धसान (भू-गोप) हुए जगह की भरपायी करते हुए अपना पल्ला झाड लिया जाता हैं और उनलोगों से यह कह कर मामले को टरका दिया जाता है कि अभी कोई हादसा नहीं हुआ हैं, जब होगा तब सोचेंगे...


nirsa dhanbad
कुमार गौरव, निरसा (धनबाद): इस दुनिया में लोग न तो सफर और न ही चैन की नींद सो सकते है। हर व्यक्ति दिन भर काम करने के बाद रात को सुकून की नींद सोना चाहता है, मगर निरसा क्षेत्र में ऐसा नही हंै। आज के दौर में लोगों को मरने के बाद भी दो गज जमीन मिलने में परेषानी होती है मगर यहां की जनता को जीते हुए ही वह जमीन उपलब्ध होने की उम्मीद है। लोगों का न तो खाने में ही मन लगता है और न वह चैन की नींद ही सो पाते हैं। दुनिया में ऐसा कोई मां बाप न होगा जो अपने औलाद के बारे में न सोचंे। मां बाप हमेषा अपने बच्चों के बारे में ही सोचते हैं। निरसा क्षेत्र में रह रहे माता-पिता अपने बच्चों के लिए बस यही कामना करते है कि हमें कुछ भी हो जाए मगर हमारे बच्चे सलामत रहंे। हम बात कर रहे है निरसा के आस-पास के क्षेत्रों की जहां भू-धसान (भू-गोप) का सिलसिला जारी है, जिससे इस क्षेत्र में रह रहें लोगों का जीना दुर्लभ हो गया हैं और वे लोग इसे लेकर काफी खौफजदा हैं तथा ग्रामीणों में ईसीएल प्रबध्ंान को लेकर काफी आक्रोष का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि हैवी ब्लास्टिंग की वजह से उनका आसियाना कभी भी भू-धसान (भू-गोप) की चपेट में आ सकता हैं जिसके चलते उन लोगों का घरों में रहना मुष्किल हो गया है। इस भू-धसान (भू-गोप) का कारण ग्रामीण कोयला खदान में हो रहे हैवी ब्लास्टिंग को बताते हैं। हैवी ब्लास्टिंग के वजह से केवल भू-धसान (भू-गोप) ही नही बल्कि वहां के कुछ मकानों की दीवारों में दरार और छत भी गिर रहे हैं, जिससें वहा रह रहे लोग दहषत में जीने को मजबूर हैं। पीडित लोगों का कहना हैं कि हम गरीब लोग है। हमलोग कहा से दोबारा घर निर्माण कर पाएंगे। कुछ लोगों को तो बारिष होने पर काफी परेषानी से अपना जीवन व्यतीत करना पडता हैं और वेसे लोग बस यह सोचते हैं कि कब बारिष बन्द हो और वे लोग चैन की नींद सो सके। ग्रामीणों द्वारा इसकी षिकायत कई बार प्रबंधन से की जा चुकी है, मगर प्रबध्ंान द्वारा ब्लास्टिंग को आवष्यक बताते हुए नजरअदांज कर दिया जाता है और भू-धसान (भू-गोप) हुए जगह की भरपायी करते हुए अपना पल्ला झाड लिया जाता हैं और उनलोगों से यह कहा जाता हैं कि अभी कोई हादसा नही हुआ हैं, जब होगा तब सोचेंगे। भू-धसान (भू-गोप) की समस्या केवल गांव में रह रहे लोंगो की ही नही हैं। यह समस्या उनलोगों को भी अपने चपेट में ले सकती जो इस क्षेत्र से गुजरने वाले रेल में सफर कर रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे है उन यात्रियों कि जो बेखौफ हो कर इस क्षेत्र से गुजरने वाले रेल में यात्रा कर रहे हैं। क्योंकि जिस जगह भू-धसान (भू-गोप) का क्षेत्र है वहां से महज कुछ दूरी पर ही रेल की पटरी है। इस ओर न तो कोल फील्ड प्रबधंन का ध्यान है और न ही रेल प्रमंडल का, कि कोई ठोस कदम उठाये जाएं ताकि भविश्य में कोई अप्रिय घटना घटित न हो। जिस रेल पटरी की हम बात कर रहे हैं वह पटरी दिल्ली-कोलकाता रुट की मेन लाइन हैं जिस रेल लाइन से होकर रोजाना सैकडों गाडियां अपने गंतव्य स्थान के लिए गुजरती हैं। जिसमें मालगाडी के साथ-साथ लाखों यात्री भी सफर करते हैं। ऐसे जगह से होकर गुजरना एक हादसा को आंमत्रित करने जैसा लगता हैं। ये हमारे लिए बडे दुर्भाग्य की बात है कि जनता के हित के लिए कोई नही सोचता हैं। भारत में प्रषासन या प्रबध्ंान किसी बडे हादसा होने का इंतजार करते हैं। जब हादसा घटित हो जाता हैं, और हादसे में हजारों लोगों को अपनी जान गवानी पडती है व उनपर आश्रित लोगों को अनाथ होना पडता है। तब कही जाकर ऐसी सरकार, प्रषासन, नेता व मंत्री और प्रंबधन नींद से जागते हैं एवं कहा जाता हैं कि इसमें जांच होगी और दोशियों को कड़ी सजा दी जाएगी, और अफसोस करते हुए मुआवजा देने का एलान करते हैं। मगर हमेषा ऐसा क्यों होता हैं कि भारत में हादसा घटित होने के बाद ही हम जागते हैं। और उस घटना के लिए एक दूसरे पर निषाना साधते हैं। क्या इस तरह से हम किसी होने वाले हादसे को होने से रोक सकते हैं ? हादसे को रोकने के लिए स्थानीय प्रषासन, ई.सी.एल. प्रबधंन व रेल प्रमंडल को जागना पडेगा और एक वैकल्पिक ठोस कदम उठाना पडेगा ताकि कोई घटना घटित न हो।

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