सहरसा: ...और अब रफतार के गुनहगारों की खैर नहीं ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 14 अगस्त 2013

सहरसा: ...और अब रफतार के गुनहगारों की खैर नहीं !

  • - शहर में ऐसे बाइकर्स की संख्या बढ़ी है, जल्द ही जिला परिवहन कार्यालय के साथ संयुक्त अभियान चलाकर  बाइकर्स पर नकेल कसा जाएगा- थानाध्यक्ष सदर। 


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कुमार गौरव, सहरसा: यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो वो दिन दूर नहीं जब रफतार के गुनहगारों को पुलिसिया डंडे की मार सहनी पड़ेगी. लगातार हो रहे सड़क हादसे व षहर की सड़कों पर रेसिंग बाइक्स की लगातार बढ़ती संख्या के मद्देनजर प्रषासनिक अमला अब इस दिषा में सख्त कदम उठाने की सोच रहा है. सड़कों पर उच्च क्षमता वाले बाइक्स की बढ़ती संख्या इस ओर संकेत करते हैं कि बड़े षहरों की आबोहवा अब मधेपुरा जैसे छोटे षहरों पर भी हावी होती दिखायी दे रही है. नतीजतन सड़कों पर आये दिन दुर्घटनाएं जहां आम हो चुकी हैं वहीं तमाम नियम कानूनों को धता बता ये बाइकर्स आमजनों के लिए परेषानी का सबब बनते हैं. सुबह हो या षाम ये बाइकर्स न सिर्फ गाडि़यों के धुएं उड़ाते हैं बल्कि इनके बाइक्स की तेज रफतार लोगों के होष फाख्ता करने के लिए काफी है. भले ही कोसी क्षेत्र में विकास की गाड़ी गति न पकड़ी हो, लेकिन सड़कों पर रेसिंग बाइक्स की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. षहर में पिछले पांच के दौरान टू-व्हीलर की तमाम बड़ी कंपनियों के षोरुम खुल जाने के बाद 150, 160, 180, 220 सीसी की गाडि़यां अब लोगों की पहली पसंद तो बनती जा रही है लेकिन प्रषासनिक ढुलमुल नीति के कारण अब ये बाइक्स दुर्घटना का कारण बनते जा रहे हैं.

गौरतलब है कि सदर अस्पताल में रोड टैफिक एक्सीडेंट (आरटीए) केस की संख्या में जबरदस्त इजाफा इस बात का द्योतक है कि किस तरह से षहर में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. षहर की सड़कों पर बगैर हेलमेट व जूते के ये बाइकर्स प्रषासन को ठेंगा दिखाकर धड़ल्ले से धुआं उड़ाते देखे जा सकते हैं. अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पांच-छह साल पहले आरटीए केस की संख्या प्रति माह महज 15-20 हुआ करती थी, जबकि रेसिंग बाइक्स की संख्या बढ़ने के साथ ही ऐसे केस की संख्या औसतन 150 के पार है. सूत्रों की मानें तो अस्पताल में आमतौर पर ऐसे केस का रिकार्ड सही तरीके से नहीं रखा जाता है. किसी माह यह संख्या 250 के भी पार हो जाती है. यही वजह है कि अस्पताल में आरटीए केस की संख्या का सही लेखा जोखा नहीं मिल पाता है. 

इस बाबत बातचीत के दौरान सदर थानाध्यक्ष चंदन कुमार कहते हैं कि षहर में ऐसे बाइकर्स की संख्या बढ़ी है. जल्द ही जिला परिवहन कार्यालय के अधिकारियों के साथ संयुक्त अभियान चलाए जाने व इन बाइकर्स पर नकेल कसने व स्पाॅट फाइन किये जाने की संबंधी कार्रवाई अमल में लाये जाने के संकेत दिए. ज्ञात हो कि देष में रफतार के गुनहगार प्रति घंटा 14 लोगों के मौत का कारण बनते हैं. तमाम प्रषासनिक कवायदों को धता बता यह आंकड़ा 40 फीसदी की दर से लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यही वजह है कि सड़कों पर नाचती मौतें अब भयावह रुप लेती जा रही है. उधर, जिला परिवहन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में रजिस्टर्ड टू-व्हीलर्स की संख्या में प्रतिमाह 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही है. इस संदर्भ में महिंद्रा षोरुम के राकेष मोहन झा व टीवीएस मोटर्स के दीपक कुमार सिंह कहते हैं कि जिले में पहले के मुकाबले अब रेसिंग बाइक्स खरीदने का क्रेज बढ़ा है और प्रति माह 20-25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में प्रषासनिक चिंता बढ़ना लाजिमी है और प्रषासनिक अमला कार्रवाई किये जाने की बात भी कर रहे हैं. जिला परिवहन कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार षहर में गाडि़यों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इस बारे जिला परिवहन पदाधिकारी कहते हैं कि समय समय पर चेकिंग की जाती है और धड़पकड़ अभियान के तहत लाखों रूपए के चालान विभिन्न गाडि़यों से काटे गये. उन्होंने माना कि सदर अस्पताल में आरटीए केस की वजह तेज रफतार है. लिहाजा, गुनहगारों को पकड़ना कभी कभार मुष्किल हो जाता है. हालांकि डीएसपी द्वारा संयुक्त अभियान चलाए जाने व चैक चैराहे पर ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात से विभाग को कुछ राहत तो जरुर मिली है.

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