निजी स्वार्थो के लिए देश को बेच रहा है केंद्र : ममता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

निजी स्वार्थो के लिए देश को बेच रहा है केंद्र : ममता


mamta banerjee
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि 'देश कठिन आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रहा है' ठीक उसी दिन गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निहित स्वार्थो के लिए देश को 'बेचने' का आरोप लगाया।  बनर्जी ने यहां संवाददाताअें से कहा, 'एक या दो देशों के हितों के लिए देश की अर्थव्यवस्था को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। जब पूरा देश रुपये के लगातार गिरने से चिंतित है तब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) चुप क्यों है।'

कांग्रेस नीत संप्रग की नीतियों की धुर आलोचक ममता ने गठबंधन पर संसद में 'गरीब विरोधी' आर्थिक सुधार पेश करने का आरोप लगाया। सुधारों के विरोध में 18 सितंबर 2012 को संप्रग से नाता तोड़ लेने वाली तृणमूल कांग्रेस की नेता ने कहा, "संप्रग की आर्थिक नीतियां दिशाहीन हैं और वे संसद के जरिए गरीब विरोध गैरजरूरी सुधार लागू कर रहे हैं।"

कोई टिप्पणी नहीं: