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डालर की तुलना में रूपये में 12 फीसद गिरावट के बाद आयात महंगा होने के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने डीजल के दाम में एकबारगी उंची वृद्धि किये जाने की मांग की है, जिससे उनके बढ़ते घाटे को काबू में लाया जा सके. डीजल कीमतों में मासिक 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी से मई में इस ईंधन की बिक्री पर होने वाला नुकसान घटकर 3 रूपये प्रति लीटर पर आ गया था. लेकिन इसके बाद रूपये में जारी गिरावट से यह नुकसान फिर बढ़कर 10.22 रूपये प्रति लीटर तक पहुंच गया.
इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) के निदेशक वित्त पी के गोयल ने कहा, ‘‘हमने सरकार से तदर्थ आधार पर कीमतों में वृद्धि की मांग की है. कीमत वृद्धि का फैसला सरकार को करना है. भारत सरकार को इस पर निर्णय करना है. मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता.’’ इस माह की शुरूआत में डीजल पर नुकसान बढ़कर 10.22 रूपये प्रति लीटर हो चुका है, जो पहले 9.29 रूपये लीटर था. डीजल के अलावा पेट्रोलियम कंपनियों को मिट्टी तेल पर प्रति लीटर 33.54 रूपये का नुकसान हो रहा है. इसके अलावा एलपीजी सिलेंडर पर उन्हें 412 रूपये का नुकसान हो रहा है.
लद्दाख के लिए बाइक अभियान दल को रवाना करने के बाद गोयल ने कहा कि इस वित्त वर्ष की शुरूआत में डीजल और गैस सिलेंडर की बिक्री पर 80,000 करोड़ रूपये का नुकसान होने का अनुमान था, जो अब बढ़कर 1,40,000 करोड़ रूपये पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अप्रैल के बाद से रूपया 12 प्रतिशत गिर चुका है. उस समय यह 59.39 प्रति डालर पर था, जो आज बढ़कर 64.10 प्रति डालर पर पहुंच चुका है. डालर की तुलना में रूपये का मूल्य एक रूपये घटने पर राजस्व नुकसान में 8,000 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी होती है.
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