पर्यटन मंत्री ने जारी किये तल्ख़ निर्देश
पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने जहाँ एक ओर पर्यटन, उद्यान,संस्कृति, बैकल्पिक उर्जा, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास में कार्यरत अपने मातहतों को उत्तराखंड देवभूमि को अध्याम, धर्म, वेदों और देवों की धरती बताते हुए इस धरा पर कार्य कर रहे अफसरों को सौभाग्यशाली बताया वहीँ दो टूक निर्देश जारी करते हुए कहा है कि उत्तराखंड की परिकल्पना, जनभावनाओं, जन आशाओं, जन आकांक्षाओं के अनुरूप विभागीय कार्य संस्कृति विकसित की जाय और जन समस्याओं के निवारण में तत्परता से ठोस एवं सार्थक कार्यवाही की जाय.
एक ओर उन्होंने उत्तराखंड में वर्तमान में घटित प्रतिकूल परस्थितियों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे कार्यों को पूरे मनोयोग से करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया वहीँ दूसरी ओर दिशा निर्देश देते हुए उन्होंने कहा है कि अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, सम्बंधिकरण, समायोजन से सम्बंधित समस्त प्रस्ताव उनके अवलोकन में आयें साथ ही विभागीय पत्रावलियों में की गयी टिप्पणियों के अनुसार दिए गए निर्देशों तथा की गयी अपेक्षाओं का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाय जिससे कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिले और साथ ही लंबित पड़े कार्य भी निबटाये जा सकें. उन्होंने तल्ख़ तेवरों में कहा है कि समीक्षा बैठकों का कार्यवृत्त तैयार कर एक सप्ताह में उस पर अनुमोदन करवाकर 15 दिन के अंतराल में अधिकारियों को वर्णित बिन्दुओं व प्रस्तावों पर कार्य कर एक माह के अंतर्गत उसमें कार्यवाही हो जानी चाहिए. निर्माण कार्यों की योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु अतिशीघ्र निविदाएं जारी कर तीन माह में योजना सम्बन्धी प्रगति से अधिकारी उन्हें तत्काल जानकारी उपलब्ध करवाएं.
पर्यटन मंत्री अमृता रावत नेअधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि सभी पदों पर नियुक्ति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति तीन माह के अंदर कर विभागीय कार्य संचालन हेतु स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित कि९ जाय न कि सम्बंधिकरण की ब्यवस्था को बढ़ाया जाय. उन्होंने पर्यटन, उद्यान, संस्कृति, बैकल्पिक ऊर्जा, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के सचिवों को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कोई भी विभाग किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने या देने से पूर्व उन्हें विश्वास में लिए बिना कोई नीतिगत या वितीय मामलों सम्बन्धी अन्य समस्त मामलों का फैसला स्वयं न लें. और ऐसे प्रकरण पर उन्हें भी विश्वास में लेकर ही फैसला करे. उन्होंने मंत्रिगण,विधायकगण, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से लेकर पंचायत स्तर तक के जनप्रतिनिधियों के प्राप्त पत्रों, प्रत्यावेदनो, ज्ञापनों पर उनके द्वारा की गई टिप्पणियों पर तत्काल अनुपालन करने के निर्देश भी जारी किये हैं. साथ ही उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है कि विभागीय अधिकारियों,एवं कर्मचारियों के प्रति प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठतम अधिकारी से जांच करवाकर एक माह में नियमानुसार कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाय ताकि मामले लम्बे समय तक लटके न रहे. व विभागीय पत्रावलियां उनके अवलोकन व अनुमोदन हेतु प्रस्तुत की जाय जिससे तत्काल दिशा-निर्देश जारी किये जा सकें.
उन्होंने कहा है कि आगामी समय में सभी विभाग विधान सभा सत्र के लिए जारी प्रश्नों का समुचित अध्ययन कर उनके उत्तर तैयार करने में पूरी ईमानदारी के साथ पारदर्शिता एवं सतर्कता बरते ताकि कोई कमी न छूटे. पर्यटन, उध्यान, संस्कृति, बैकल्पिक उर्जा और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मंत्री अमृता रावत द्वारा जारी किये गए इन दिशा निर्देशों से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश में नौकरशाही कितनी हावी है.

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