समावेशी विकास का सिद्धांत देश के लिए नया नहीं : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

समावेशी विकास का सिद्धांत देश के लिए नया नहीं : मोदी

कांग्रेस के ‘समावेशी विकास’ के सिद्धांत पर जोर दिये जाने पर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह नारा देश के लिए नया नहीं है. आध्यात्मिक नेता माता अमृतानंदामायी के 60वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह के दौरान मोदी ने कहा कि देश को महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए पारंपरिक मूल्यों एवं दार्शनिक सिद्धांत आधार हो सकता है.

अमृतनंदामायी के अनुयायिओं समेत यहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘ अब समावेशी विकास की बात की जा रही है.. लेकिन यह भारत के लिए नया नहीं है. सदियों से हमारे संत अपने संदेश में यह बात कहते रहे हैं.’ ‘लोक संस्था सुखिनो भवंतु’ जैसे भारत के प्राचीन संतों के संदेश और इस सिद्धांत पर सरकार के मामलों को चलाने की शिक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरा दृढ़ मत है कि अगर हम इन विचारों पर कायम रहे तब भारत आगे बढ़ सकता है और महाशक्ति बन सकता है.’

गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं कि किस तरह से ऋषी मुनियों ने इस सिद्धांत को आगे बढ़ाया. हाल के समय में इन विचारों पर स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंदो जैसे आध्यात्मि नेताओं और सुधारकों ने जोर दिया. राजनीतिक उल्लेख से बचते हुए भाजपा नेता ने हालांकि कहा कि देश की स्थिति खराब है ,लेकिन वह निराश नहीं हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है.

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा, ‘ देश की वर्तमान स्थिति को देखकर कई लोग अप्रसन्न महसूस करते हैं, लेकिन मैं नहीं करता. मुझे पूरा विश्वास है कि मजबूत आध्यात्मिक और पारंपरिक मूल्यों के आधार पर भारत आने वाले समय में विश्व नेता बनेगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘. मेरा दृढ़ मत है कि स्वामी विवेकानंद और अरविंदो की शिक्षा सही होगी क्योंकि वे देश का उज्जवल भविष्य देखते हैं.’ नैरोबी में शापिंग माल और पेशावर में चर्च तथा आज जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले की निंदा करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने हमेशा से प्रेम और करूणा पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने दो स्थितियां है एक पक्ष निर्दोष लोगों का रक्त बहा रहा है जबकि दूसरा गंगा की प्रेम और करूणा की धारा की तरह बह रहा है.’ 

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