प्रधानमंत्री बनने के सपने नहीं देखने के दिए बयान के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी कल लाल किले की प्राचीर से लोगो को संबोधित करेंगे। लाल किले से मोदी के कल सम्बोधन को लेकर आप जरूर आश्चर्य में पड़ गए होंगे, पर चौंकिएं नही। यह लाल किला दिल्ली का नहीं, बल्कि उसका मॉडल है, जोकि उनके सम्बोधन के लिए खासतौर पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल सरगुजा जिला मुख्यालय पर तैयार किया जा रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की लगभग छह हजार किलोमीटर की 81 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली विकास यात्रा का कल यहां समापन होगा। इस मौके पर आयोजित जनसभा में भाजपा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह राज्य में इस वर्ष के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान का शंखनाद करेंगे।
अम्बिकापुर शहर के पीजी मैदान में आयोजित होने वाली समापन सभा के लिए पहले पार्टी अध्यक्ष सिंह को आमंत्रित किया गया था, पर बाद में मोदी को भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया। मोदी के इस कार्यक्रम को अलग रूप देने के लिए सरकार एवं पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। लाल किले का मॉडल तैयार कर उसकी प्राचीर से उनका सम्बोधन करवाना, उन्हे प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में लोगो में प्रस्तुत करना है।
मोदी का सम्बोधन लाल किले की प्राचीर से करवाने का आइडिया किसका है, यह तो बता पाना मुश्किल है, पर यह अब तक का देश में शायद पहला मौका होगा, जबकि प्रधानमंत्री पद के किसी दावेदार का भाषण प्राचीर के मॉडल पर होगा। हालांकि गुजरात में पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस पर उनके सम्बोधन से पूर्व कुछ पोस्टर जरूर लगे थे, जिसकी पृष्ठिभूमि में लाल किले की तस्वीर बनी थी।
प्रधानमंत्री बनने के सपने नही देखने के बयान के ठीक दूसरे दिन लाल किले के मॉडल से मोदी का सम्बोधन देश में राजनीतिक सन्देश देने की कोशिशों के रूप में भी जानकार देख रहे है। इस मॉडल को तैयार करने में भारी भरकम धनराशि खर्च की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार माडल और विशेष डोम बनाने आदि पर लगभग ढाई करोड की राशि खर्च की जा रही है।
जानकारी के अनुसार लाल किले का मॉडल तैयार करने समेत पूरी व्यवस्था पर लगभग 500 लोग लगभग 15 दिनों से लगे हुए है। डोम एवं कुछ अन्य व्यवस्थाओं का ठेका तो रायपुर की किसी कम्पनी ने लिया है, पर पूरा काम गुजरात की कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। बडी संख्या में गुजरात के लोग भी यहां डटे है।

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