आरक्षण की नीति जो पहले थी वह आज भी लागू है :सिब्बल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 4 सितंबर 2013

आरक्षण की नीति जो पहले थी वह आज भी लागू है :सिब्बल

लोकसभा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी संकाय में नियुक्ति एवं पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने के लिए तत्काल ठोस उपाय किये जाने की एक बार फिर मांग उठी। सरकार ने इस दौरान सदस्यों को आश्वस्त किया कि जो आरक्षण की नीति पहले थी वह आज भी लागू हैं और कल भी लागू रहेगी।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जदयू के शरद यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से सभी लोग बेचैन है, क्योंकि इससे 80 प्रतिशत लोग प्रभावित हो रहे हैं। अदालत के इस फैसले को निरस्त करने के संबंध में सरकार ने पहल करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है और संविधान संशोधन के बगैर कोई रास्ता नहीं है। अब संसद के इस मौजूदा सत्र के तीऩ़-चार दिन ही बचे हैं, इसलिए सरकार को इस दिशा में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। शरद यादव की बातों का समाजवादी पार्टी, बसपा, राजद और वाम दलों के सदस्यों ने समर्थन किया और सरकार से जवाब देने की मांग की।

कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर 14 अगस्त को पुनरीक्षा याचिका दायर की गयी है। उन्होंने कहा कि 17 अगस्त को  अदालत से इस याचिका की जल्द सुनवाई किये जाने का अनुरोध भी किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो आरक्षण की नीति पहले थी वह आज भी लागू है और कल भी लागू रहेगी।

सिब्बल ने कहा कि वह जल्द ही एटार्नी जनरल से राय लेकर सारे हिन्दुस्तान में डीओ द्वारा यह जारी करेंगे कि जो आरक्षण की नीति हम आज तक अपना रहे थे वही आज भी लागू है और कल भी लागू रहेगी। सदन में मौजूद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बताया कि एम्स में 148 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए दिसम्बर 2012 में जो विज्ञापन आया था उसमें अदालत के इस फैसले से कोई असर नहीं पड़ा है और न ही हमने अभी तक विचार किया है। उन्होंने बताया कि 1800 आवेदन आये हैं और संस्थान के प्रेसिडेंट की हैसियत से उन्होंने निदेशक को लिखकर दिया है कि पहले और दूसरे बैच के आवेदन मिल गये हैं और अब इसमें जल्दी इंटरव्यू लिया जाना चाहिए।

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