कांग्रेस उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद समाजवादी पार्टी के साथ कोई तालमेल करने को उत्सुक नहीं दिखायी पड रही है. लेकिन साथ ही वह बसपा से नाता जोडने के खिलाफ नहीं दिखायी देती है.
नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल का सवाल नहीं उठता. मुजफ्फरनगर में हिंसा के बाद हमारा उस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि सपा अगर केन्द्र की संप्रग सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेती है तब भी कोई फर्क नहीं पडेगा.
अभी सपा बाहर से समर्थन देने वालों में एक महत्वपूर्ण दल है. पिछले लोकसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस और सपा ने काफी बातचीत की थी लेकिन दोनों दलों में कोई समझौता नहीं हो पाया था. यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा से कोई तालमेल हो पायेगा, कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा हो भी सकता है. कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब सपा ने कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार से दूरी बनाने की मंशा जाहिर की है.
ऐसी खबरे हैं कि सपा के एक वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से संप्रग सरकार से नाता तोड लेने का आग्रह किया है. अग्रवाल की पार्टी में काफी अहमियत मानी जाती है और आम तौर पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की राय सबसे पहले वही जाहिर करते हैं. उनके बयान को देखते हुए यह माना जा रहा है कि सपा का शीर्ष नेतृत्व संप्रग सरकार से अपना नौ साल पुराना नाता तोडने के लिये सही समय का इंतजार कर रहा है.
विपक्ष ने सपा पर अक्सर आरोप लगाया है कि वह संप्रग सरकार को समर्थन दे रही है ताकि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति मामले को दफनाया जा सके. सीबीआई ने हाल ही में इन नेताओं को इस मामलों में क्लीन चिट दे दी है.
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