मकान के किराए में आय कर छूट लेने के लिए मकान मालिक का पैन देना होगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2013

मकान के किराए में आय कर छूट लेने के लिए मकान मालिक का पैन देना होगा.

आयकर विभाग ने वेतनभोगी कर दाताओं के सामने नई मांग रख दी है। जो वेतनभोगी कर दाता किराए के मकान में रहते हैं, उन्हें अब मकान के किराए में आय कर छूट लेने के लिए मकान मालिक का पैन देना होगा। इसमें राहत वाली बात यह है कि जिनका सालाना किराया 1 लाख रुपए से कम होगा, उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इसको लेकर पिछले हफ्ते एक सर्कुलर जारी किया था। इसके मुताबिक, 'अगर मकान मालिक के पास पैन नहीं है, तो रिटर्न भरने वाले को उसके नाम और पते के साथ इस बारे में डिक्लेरेशन देना होगा।'

अब तक नियम यह था कि जिन लोगों के मकान का मासिक किराया 15,000 रुपये से कम है, उन्हें मकान मालिक का पैन देने की जरूरत नहीं होगी। नए नियम में यह सीमा प्रभावी तौर पर घटकर 8,333 रुपए मासिक पर आ गई है। सीबीडीटी की इस कवायद को उन वेतन भोगी प्रफेशनल्स के टैक्स इवेजन पर अंकुश लगाने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है जो टैक्स बचाने के लिए फर्जी किराए के रसीद जमा करते हैं।हालांकि, इस मामले में ईमानदार टैक्सपेयर्स गेहूं के साथ जौ की तरह पिस जाएंगे। इस पर केपीएमजी के डायरेक्टर विनीत अग्रवाल कहते हैं, 'इससे बहुत से एंप्लॉयीज को दिक्कत हो सकती है क्योंकि मकान मालिक आमतौर पर किराएदारों को किराये पर पैन देने से कतराते हैं।'

सीबीडीटी के इस सर्कुलर में वेतन भोगी टैक्सपेयर्स के लिए एक और चेतावनी है। इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत 3,000 रुपए मंथली तक एचआरए पाने वाले सैलरीड एंप्लॉयी को किराये का रसीद दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन सर्कुलर में साफ किया गया है कि यह रियायत सिर्फ टीडीएस के मकसद से दी गई है। एंप्लॉयी के रेग्युलर असेसमेंट में असेसिंग ऑफिसर को इस बात की संतुष्टि के लिए जांच करने का अधिकार होगा कि क्या सही में उसने रेंट पर उतना पैसा खर्च किया है, जितना उसने बताया है।

सरकार ने अप्रैल से सितंबर 2013 के बीच 3.01 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन किया था। यह पिछले वित्तीय वर्ष में इसी दौरान हुए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से 10.7 फीसदी ज्यादा है। लेकिन सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए टैक्स कलेक्शन में 19 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रखा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 6.72 लाख करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का सिर्फ 45 फीसदी लक्ष्य हासिल हो पाया है।

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