एमेनेस्टी ने भारत से मृत्युदंड खत्म करने का किया आग्रह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

एमेनेस्टी ने भारत से मृत्युदंड खत्म करने का किया आग्रह


life sentence
एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को भारत सरकार से मृत्युदंड की सजा पाए लोगों की सजा को उम्रकैद में बदलने और फांसी पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया। एमेनेस्टी की यह अपील गुरुवार को मनाए जाने वाले मृत्युदंड विरोधी दिवस के एक दिन पहले आई है। एमेनेस्टी ने कहा है कि भारत में कम से कम 23 लोग ऐसे हैं जिन्हें फांसी दी जानी है।

मृत्युदंड की सजा पाए 18 लोग फांसी की कगार पर हैं और इन लोगों ने दया याचिका के निस्तारण में देरी के आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने की मांग की है। इन लोगों की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में 22 अक्टूबर को एक साथ सुनवाई शुरू होगी।

अन्य पांच लोग जिनकी दया याचिका ठुकराई जा चुकी है, वे भी फांसी के खतरों का सामना कर रहे हैं। एमेनेस्टी ने कहा है कि भारत में मृत्युदंड की सजा को भारतीय अदालतों ने बार-बार भेदभावपूर्ण, असंगत, पूर्वाग्रही और दोषपूर्ण ठहराया है।

1 टिप्पणी:

Pallavi saxena ने कहा…

बस इसी की कमी थी जहां एक और पहले ही भारत में लोग प्रशासन और कानून व्यवस्था को लेकर दुखी थे और अब भी हैं क्यूंकि यहाँ अपराध करें वाले इंसान नहीं दरन्दे हैं वहाँ इस याचिका का समर्थन कम से कम मैं तो नहीं करूंगी और मेरी समझ से कोई भी समझदार इंसान इसका समर्थन नहीं करेगा और करना भी नहीं चाहिए। क्यूंकि पहले ही हमारे यहाँ न्याय मिलने में बहुत देर लगती है ऊपर से मिलेगा भी या नहीं इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती।
ऐसे में जो वास्तव में फांसी की सज़ा के हकदार हैं उनके मन से भी और जिन्हें अब तक कोई सज़ा नहीं हुई है उनके मन से भी कानून का डर जाता रहेगा। जो किसी भी सूरत में ठीक नहीं होगा।