मोबाईल चोर गैंग का खुलासा
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। मोबाइल फोन चोरी करने वाले गैंग का खुलासा कोतवाली पुलिस ने किया है। पुलिस ने पांच लोगांे को गिरफ्तार कर उनके पास से 58 हैंडसैट बरामद किये है, गैेंग के सभी सदस्य झारखंड के रहने वाले है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस गैंग का भांडा फोड़ कोतवाली एसआई मनमोहन को करने में उस वक्त सफलता मिली जब वह मोती बाजार क्षेत्र में गश्त कर रहे थे इसी दौरान उन्होंने एक छोटे बच्चे को संदिग्ध स्थति मंे घूमते हुए देखा उन्होंने इस बच्चे को बुलाकर जब इससे पूछताछ की तो उसकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गई। उन्होंने जब इससे उसका नाम और पता पूछा तो उसने अपना नाम विष्णु कुमार पुत्र अनिल नौडिया बताया जब उससे यह पूछा गया कि वह कहंा रहता है तो उसने झारंखड का रहने वाला बताया यहंा वह क्यों आया है और किसके साथ आया है जैसे सवालों का वह ठीक से जवाब नहीं दे सका जिससे मनमोहन को उस पर शक हुआ जब गहन पूछताछ की तो उसने अपने गिरोह के सभी सदस्यों के नामों के खुलासे करते हुए बताया कि वह मोबाइल फोन चोरी करता है। इस बच्चे की निशानदेही पर पुलिस ने हरिद्वार तक फैले गिरोह के नेटवर्क और उसके अन्य साथियों को धर दबोचा। विष्णु कुमार की उम्र महज 13 साल है तथा दूसरे एक अन्य बच्चे सचिन कुमार पुत्र सुनील चैहान की उम्र मात्र 9 साल है जबकि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये तीन अन्य सदस्यों में दुखे महतो पुत्र स्र्वगीय गणेश महतो 28 वर्ष, भैरो महतो पुत्र स्र्वगीय यूचूरो मेहतो 25 वर्ष, अजय कुमार मंडल पुत्रा दीपनारायण 26 वर्ष शामिल है।
प्रधानमंत्री व उत्तराखंड सरकार पर लगाए आरोप
पिथौरागढ़/देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। भाकपा माले के केन्द्रीय कमेटी के सदस्य राजा बहुगुणा ने पिथौरागढ़ में आयोजित प्रेस कान्फ्र्रेस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर उत्तराखंड सरकार तक को निषाने में रखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चार अक्टूबर को दिल्ली में रा/ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में उत्तराखंड की आपदा से सबक लेने की बात कही। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि केन्द्र और राज्य सरकारें इस आपदा से कुछ सीखने को तैयार हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि अभी तक मुख्य सड़कें तक नहीं खुल सकी हैं। स्थिति यह है कि आपदा पीडि़तों को भवन, मवेषी, जमीन, फसलों के नुकसान का मुआवजा तक पूरी तरह नहीं मिल पाया है। केन्द्रीय कमेटी सदस्य कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड में जन विरोधी विकास को बदले बिना आपदा को रोका नहीं जा सकता है। इसके लिये प्रधानमंत्री उत्तराखंड की सरकार को हिमालय विरोधी विकास नीति को बदलने को कहें। जलव्ुित परियोजनाओं के साथ ही विकास की उन सभी कार्य नीतियों को बदलना होगा जिसे उत्तराखंड हिमालय को पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है। इससे यहां का जनजीवन प्रभावित हुआ है। जंगल और नदियां की पर्यावरणीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केवल चारधाम यात्रा को षुरू करने और मंदिरों में पूजा करने पर जुटी हुई है। सरकार ने आपदा पर राज्य की असल हालात को छुपाने के लिये 22 करोड़ रूपये पानी की तरह विज्ञापनों में बहा दिये हैं। आज सरकार राज्य के पुनर्निमाण और पुनर्वास करने में विफल साबित हो गयी है। उन्होंने कहा कि घर के बदले घर, जमीन के बदले जमीन और गांव के बदले गांव यह उत्तराखंड के आपदा पीडि़तों के पुनर्वास की षर्त है, लेकिन राज्य सरकार 5 लाख रूपये के पैकेज और प्री फैब्रिकेटेड हट का झुनझुना थमाकर आपदा पीडि़तों के घावों पर नमक छिड़कर रही है। उन्होंने कहा कि यह पैकेज नहीं है बल्कि आपदा पीडि़तों के साथ खुला मजाक है। इसके पीछे सरकार की एक ही मंषा है कि नौकरषाह और एनजीओ को जेब भरने का पूरा मौका दे दिया जाय। उन्होंने कहा कि तराई भावर में षीलिंग से निकली जमीनों में हर आपदा पीडि़त परिवार को साढ़े तीन एकड़ जमीन देकर गांव के रूप में बसाया जाना चाहिए। अभी खुरपका फार्म से 1500 एकड़ जमीन लीज समाप्त होने के बाद राज्य सरकार के खाते में आयी है। इस जमीन पर कांग्रेसी नई लीज के लिये नजर गड़ाये बैठे हैं। दूसरी ओर सरकार इस जमीन को सिडकुल के हवाले करने की तैयारी कर रही है। उन्हेांने कहा िकइस जमीन को आपदा पीडि़तों और भूमिहीनों में बांटा जाना चाहिए।इसके लिये भाकपा माले के आपदा पीडि़तों की सूची बनाकर राज्य सरकार को भेज दी है। उन्हेांने कहा कि 8 नवम्बर को प्रदेष में भाकपा माले वाम जनवादी ताकतों के साथ मिलकर पुनर्वास नीति को जनपक्षीय बनाने की मांग को लेकर प्रदर्षन करने वाली है ताकि राज्य सरकार आपदा पीडि़तों का पूर्ण पुनर्वास कर सकें। पत्रकार वार्ता में भाकपा माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिय, जिला प्रवक्ता गोविन्द कफलिया, नगर सचिव सुषील खत्री, मुनस्यारी सचिव सुरेन्द्र बृजवाल, छात्र इकाई के सचिव हेमन्त खाती , किसान नेता हीरा सिंह मेहता, विमलदीप फिलिप मौजूद थे।
दैवीय आपदा में मृतकों की आत्मशान्ति के लिए आईडीपीएल ने किया वृक्षारोपण
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)।पर्यावरण संरक्षण एवं सुरक्षा समिति आईडीपीएल के संरक्षक आईडीपीएल जी.एम.जे.एस. बेदी द्वारा उत्तराखण्ड में आयी दैवीय आपदा में मृतक श्रद्धालुओं की आत्माशान्ति के लिये पौधारोपण का कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर गेस्ट हाउस गुरूद्वारा और आर्यसमाज मन्दिर में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे जैसे अमलताल अरहर बहेड़ा अर्जून शहतुत सिंदूरी नीम इत्यादि पौधों का रोपण किया गया इसके उपरान्त श्यामपुर कृष्णानगर कालोनी एवं बापूग्राम में विभिन्न प्रकार के 1000 पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया इस अवसर पर केसी जोशी, डा. सुधीर कुमार, सुनील कुटलैहडि़या, सौरभ श्रीवास्तव राहूल सिंह आदि ने श्रमदान दिया।
पीने का पानी मांगने का बहाना कर वृद्धा को लूटा
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। घर में वृद्ध महिला से पीने का पानी मांगकर बदमाशों ने महिला के गहने लूट लिये, जिससे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। प्राप्त समाचार के अनुसार गंगानगर क्षेत्र में लूटपाट के इरादे से एक गिलास पानी मांगने के बहाने घर मंे घुसे बेखौफ बदमाश ने वृद्ध महिला को अकेली देख तकिए से मुंह दबाकर मारने का प्रयास किया। वृद्धा के अचेत होने पर बदमाश कान के कुंडल नाक की लौंग और पर्स लूटकर फरार हो गया। सनसनीखेज वारदात से क्षेत्र में हडकंप मच गया। पुलिस ने मामला संज्ञान में लेकर छानबीन शुरू कर दी है। गंगनगर में पंचमुखी हनुमान मंदिर वाली गली में उर्मिला देवी 70 वर्ष पत्नी स्व. दुलारे लाल का आवास है। बताया जा रहा है कि देर शाम वृद्धा बरामदे में कुर्सी लगाकर बैठी थी। इसी बीच 27-28 साल का एक युवक दरवाजे पर आया और एक गिलास पानी मांगा । वृद्धा कुर्सी से उठी और उसे गिलास में पानी लाकर दिया। पानी पीने के बाद उसने और पानी मांगा वृद्धा जैसे ही पानी लेने किचन में घुसी तभी युवक ने पीछे से दबोच लिया और खीचते हुए किचन के सामने एक कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया। वृद्धा जब तक संभलती उसने तकिए से मुंह दबा दिया। वृद्धा बेहोश हो गई तो युवक कंुडल नाक की लौंग और पर्स लूटकर फरार हो गया। घटना की जानकारी उस वक्त लगी जब दूसरी मंजिल पर बने कमरे में काम कर रही वृद्धा की पुत्रवधू नीचे आई । सास को अचेत देख उसके होश फाख्ता हो गए। सूचना पर पुलिस पहुंची और घटना की जानकारी ली। वरिष्ठ उपनिरीक्षक डीएस कोहली ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है। घटना के वक्त वृद्ध महिला का बड़ा बेटा अनिल किसी काम से रेलवे स्टेशन गया हुआ था। जबकि छोटा बेटा विमल गाड़ी लेकर रायवाला गया था।
गांवों के लिए आवंटित राशन की दुकानें कस्बों से हो रही संचालित
- अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खाद्यान्न वितरण प्रणाली अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटित अबिाकांश सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें कस्बों से संचालित हो रही हैं। राशन की दुकानें गांव से बाहर खोले जाने के कारण स्थानीय ग्रामीण सार्वजनिक वितरण प्रणाली का समुचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। खाद्य आपूर्ति एवं रसद विभाग इस ओर उदासीन बना हुआ है। देहरादून जनपद के जौनसार-बावर क्षेत्र अंतर्गत कालसी ब्लाक में मंडोली, परियाड, सिमोग, डिमस्, व कोटा गांवों के लिए आवंटित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें कोटी कालोनी कस्बे में संचालित की जा रही हैं। कनबुआ, ककाड़ी, अलसी, जिसस्, सुरेस्, बसाया, गड़ेथा, कु रोड़ी, बमराड़, कोठा-तारली, मलेथा, दातनू व बडऩू गांवों के नाम आवंटित राशन की दुकानें सहिया मुख्य बाजार में खोली गई हैं। वहीं, चकराता विकासखंड अंतर्गत मगरोली, क्वारना, अस्टाड़, लोरली, होडा, इंबोली, कंदाड़, रावना, पाटी, बुरासवा, महरावना, बगौती, कुराड़, खनाड़ व सिजाईं गांवों के लिए आवंटित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें छावनी बाजार चकराता में संचालित की जा रही हैं। इसके अलावा कुनावा, हयो, टगरी, शिबस्, कैत्री, घिगौस्, ठाणा व ढुंगरा गांवों के लिए आवंटित राशन की दुकानें नवीन चकराता पुरोड़ी में खोली गई हैं। कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटित राशन की दुकानें त्यूणी, क्वांसी, लाखामंडल व कालसी बाजार में अवैबा रूप से खोली गई हैं। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानेें निर्बाारित स्थानों पर संचालित न कर अन्य स्थानों पर खोले जाने से स्थानीय ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों को राशन की दुकानों पर मिलने वाले खाद्यान्न, चीनी, मिट््टी का तेल आदि सामान के लिए कई किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। नियमानुसार सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें उन्हीं गांवों में खोली जानी चाहिए जहां के लिए कि वे आवंटित हो रखी हों। ग्रामीणों द्वारा कई बार विभागीय अबिाकारियों से इसकी शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन इस ओर कोई बयान नहीं दिया गया। इससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि राशन की दुकानें निर्बाारित स्थानों पर न खोल कर अन्य स्थानों पर खोले जाने से खाद्यान्न की कालाबाजारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई बार ग्रामीणों को यह पता भी नहीं लग पाता कि राशन कब आया। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जौनसार-बावर क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का किस प्रकार से मजाक उड़ाया जा रहा है।
बगैर पशु चिकित्सकों के चल रहे कई वेटनरी अस्पताल
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। देहरादून जनपद के पछवादून क्षेत्र के राजकीय पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सकों और फार्मासिस्टों का टोटा बना हुआ है। क्षेत्र के आबाा दर्जन पशु चिकित्सालय बिना पशु चिकित्सक और फार्मासिस्ट के चल रहे हैं। पशु चिकित्सक न होने से पशुपालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पछवादून में विकासनगर विकासखंड में 3, सहसपुर विकासखंड में 5, कालसी विकासखंड में 4 और चकराता विकासखंड में पांच राजकीय पशु चिकित्सालय हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति चकराता ब्लॉक के पशु चिकित्सालयों की है। यहां त्यूणी, क्वानू व लाखामंडल स्थित पशु चिकित्सालयों में न पशु चिकित्सक हैं और नहीं फार्मासिस्ट, सब भगवान भरोसे चल रहा है। पशु चिकित्सालय चकराता में पशु चिकित्सक है लेकिन फार्मासिस्ट नहीं। पशु चिकित्सालय कांडोईभरम में फार्मासिस्ट है लेकिन पशु चिकित्सक नहीं। कालसी ब्लॉक अंतर्गत पशु चिकित्सालय कालसी में पशु चिकित्सक और पशु चिकित्सालय लखवाड़ में फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हुए हैं। विकासखंड सहसपुर अंतर्गत पशु चिकित्सालय गुजराड़ा में पशु चिकित्सक का पद रिक्त पड़ा है। विकासनगर ब्लॉक की बात करें तो यहां पशु चिकित्सालय हरबर्टपुर और पशु चिकित्सालय शीशमबाड़ा में पशु चिकित्सकों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हुए हैं। पशु चिकित्सालय कालसी का पशु चिकित्सक पिछले तीन वर्षों से पशुलोक ऋषिकेश में अटैच है जबकि त्यूणी का पशु चिकित्सक गौसेवा आयोग में अटैच है। पशु चिकित्सक व फार्मासिस्ट न होने से क्षेत्र के पशुपालकों को इन पशु चिकित्सालयों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। चिकित्सकों के अभाव में बीमार पशुओं की समय पर चिकित्सा नहीं हो पा रही है, जिस कारण कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है। पशुओं की मौत होने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। पशुपालक डीपी बहुगुणा, सुरेंद्र कुमार का कहना है कि पशु चिकित्सकों व फार्मासिस्टों के रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरा जाए। उनका कहना है कि पशु चिकित्सक के अभाव में अन्य स्थानों से दवा लानी पड़ती है।
जर्जर विद्यालय भवन दे रहा हादसे को आमंत्रण
- राजकीय प्राथमिक विद्यालय खमरोली जर्जर अवस्था में
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। कालसी ब्लॉक अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय खमरौली का विद्यालय भवन जर्जर हालत में है। विद्यालय भवन जर्जर हालत में होने से दुर्घटना की आशंका बराबर बनी रहती है। विद्यालय भवन का पुनर्निर्माण न किए जाने से स्थानीय ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय खमरौली विद्यालय भवन करीब 32 वर्ष पूर्व बनाया गया था। रखरखाव के अभाव में वर्तमान में स्कूल भवन जर्जर हालत में है। हालात यह है कि भवन की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। खिड़की और दरवाजों को जगह-जगह से दीमक खा गई है। दीवारों का प्लस्तर उखड़ चुका है। फर्श टूटा होने के कारण जमीन में बैठकर भी पढ़ना मुश्किल है। भवन की दयनीय हालत देखकर शिक्षक भी सहमे हुए हैं। शिक्षक बच्चों को बाहर मैदान में बैठाकर पढ़ाने को मजबूर हैं। अभिभावक जर्जर भवन में बच्चों को स्कूल भेजने से भी कतरा रहे हैं। इस कारण विद्यालय में बच्चों की संख्या घटकर 30 रह गई है। शिक्षा विभाग की अनदेखी से लोगों में रोष है। जब से यह विद्यालय भवन बना विभाग ने इसके रखरखाव की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इस जर्जर विद्यालय भवन के गिरने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता बलवीर सिंह, रणवीर सिंह आदि ने विद्यालय भवन का पुनर्निर्माण किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि एक ओर शिक्षा विभाग विद्यालय भवनों के रखरखाव के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, वहीं इस जर्जर हो चुके विद्यालय भवन की कोई सुध नहीं ली जा रही है। कई बार विभाग के ब्लाॅक स्तरीय अधिकारियों को जर्जर विद्यालय भवन के संबंध में लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि यदि जर्जर विद्यालय भवन के गिरने से कोई हादसा होता है तो इसके लिए शिक्षा विभाग जिम्मेदार होगा। विभागीय अधिकारी इस ओर लापरवाह बने हुए हैं।
मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अधूरा छोड़े जाने से परेशानी
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। मुंशीघाटी-देस् मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अधूरा पड़े होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मोटर मार्ग का जो हिस्सा बना हुुआ भी है रखरखाव के अभाव में वह खस्ताहाल में है। मार्ग की हालत खराब होने से लोगों को जोखिमभरा सफर तय करना पड़ता है। मुंशीघाटी-देस् मार्ग कालसी-चकराता मोटर मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस मार्ग से मुंशीघाटी से बाना व सिलगांव खतों के एक दर्जन से अधिक गांव जुड़े हुए हैं। 15 किमी लंबा यह मार्ग लावारिस हालत में है। मार्ग का किलोमीटर 6 भाग तो पीएमजीएसवाई के अबाीन है, जबकि 9 किमी मार्ग लोनिवि साहिया अंतर्गत आता है। मुंशीघाटी-देस् के नाम से स्वीकृत यह मार्ग का सिर्फ बाोइरा गांव तक ही डामरीकरण हुआ है। इससे आगे देस् गांव तक आज भी कच्चा मार्ग है। देस् गांव तक प्रस्तावित इस मार्ग के पीएमजीएसवाई के अबाीन वाले हिस्से की हालत खस्ता है। ग्रामीणों का कहना है कि मार्ग का काफी हिस्सा खस्ताहाल है, जिस कारण यहां से निकलने वालों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मार्ग में जगह-जगह पर गहरे गड्ढे बन चुके हैं जिस कारण आए दिनों दुपहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण न हो पाने से ग्रामीणों को कई किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। लोगों का काफी समय पैदल आने-जाने में ही लग जाता है जिस कारण उनके अन्य कार्य प्रभावित होते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों से कई बार मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण किए जाने की मांग की जा चुकी है लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। विभागीय अनदेखी से लोगों में रोष व्याप्त है। क्षेत्र के ग्रामीण राजेंद्र सिंह और स्वराज सिंह का कहना है कि अधूरे पड़े मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाए। मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण न होने से क्षेत्रवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जड़ाना गांव को सड़क से जोड़ने की मांग
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। कालसी विकासखंड अंतर्गत जड़ाना गांव सड़क से नहीं जुड़ पाया है, जिस कारण ग्रामीणों को कई किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीण लंबे समय से इस गांव को मोटर मार्ग से जोडऩे की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने इस संबंबा में क्षेत्रीय विधायक और सूबे के ग्राम्य विकास मंत्री प्रीतम सिंह को एक ज्ञापन भेजा है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के मोटर मार्ग से न जुड़े होने के कारण लोगों को 6 किमी की पैदल दूरी तय कर मुख्य मार्ग तक आना पड़ता है। ग्रामीणों का काफी समय आने-जाने में ही बर्बाद हो जाता है, जिससे कि अन्य कार्य प्रभावित होते हैं। बीमार लोगों को गांव से डंडी या फिर पीठ पर उठाकर मोटर मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है। कई बार तो समय पर चिकित्सा न मिल पाने के कारण मरीज की मौत तक हो जाती है। इस ग्रामपंचायत के अंतर्गत पियानी, जड़ाना व डांडा गांव आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को सड़क मार्ग से जोडऩे की पिछले काफी समय से मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई बयान नहीं दिया गया। ग्रामीणों को अपनी नगदी फसलों को खच्चरों से मंडी तक पहुंचाना पड़ता है, खच्चरों का भाड़ा अबिाक होने के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की है कि जड़ाना को कोटी-लेल्टा मोटर मार्ग से जोड़ा जाए। ज्ञापन पर सूर्य दन शर्मा, रमेश चंद्र, कांशीराम, भोला राम, शांति, सियाराम शर्मा, जीतराम आदि के हस्ताक्षर हैं।
चैड़ीकरण न होने से तंग हालत में है लक्ष्मीपुर-लांघा मोटर मार्ग
- मार्ग संकरा होने से बड़े वाहन मुश्किल से हो पाते हैं तस
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। लक्ष्मीपुर-लांघा मोटर मार्ग चैड़ीकरण न होने से तंग हालत में है। विभाग की अनदेखी के चलते मार्ग की हालत खस्ताहाल बनी हुई है। मार्ग में जगह-जगह पर बने गड्ढे दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। मार्ग बेहद संकरा होने से यहां से बड़े वाहन बड़ी मुश्किल से तस हो पाते हैं। मार्ग के चैड़ीकरण की मांग लंबे समय समय से की जा रही है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। मार्ग की सबसे अधिक खस्ताहालत केदारावाला से लांघा के बीच बनी हुई है। मार्ग की पेंटिंग उखड़ चुकी है और जगह-जगह पर बड़े-बड़े गके बने हुए हैं। आलम यह है कि मार्ग पर वाहन चालक जान जोखिम में डालकर सवारियां ले जाने को मजबूर हैं। यह मोटर मार्ग लोक निर्माण विभाग साहिया खंड के अधीन आता है। विभाग द्वारा पिछले 18 वषों से मार्ग के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया गया, जिस कारण इसकी हालत काफी बदहाल हो चुकी है। मार्ग पर बने गके दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। इस मार्ग पर आए दिनों सड़क दुर्घटनाएं घट रही हैं। यह मार्ग काफी तंग भी है जिस कारण यहां से वाहन बड़ी मुश्किल से तस हो पाते हैं। जब इस मार्ग का निर्माण हुआ था उस समय क्षेत्र की आबादी काफी कम थी लेकिन अब आबादी दस गुना बढ़ चुकी है जिस कारण मार्ग पर वाहनों का दबाव भी काफी बढ़ गया है। यह मोटर मार्ग विकासनगर के ग्रामीण इलाकों को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है। इस मार्ग से बरोटीवाला, केदारावाला, बालूवाला, लक्ष्मीपुर, रूद्रपुर, लांघा समेत डेड़ दर्जन से अधिक गांव जुड़े हुए हैं। इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता इमरान खान का कहना है कि निर्माण के बाद से अभी तक इस मार्ग पर कभी भी विभाग द्वारा सुबाारीकरण का कार्य नहीं कराया गया। मार्ग पर पड़े गकों के कारण हमेशा गाड़ी पलटने का डर बना रहता है, जबकि दोपहिया वाहन चालक तो इस मार्ग पर जाने से ही कतराते हैं। इस तंग मार्ग का चैड़ीकरण किया जाना बेहद जरूरी है। सड़क के चैड़ीकरण में कोई दिक्कत भी नहीं है, क्योंकि चैड़ीकरण की जद में कोई पेड़ नहीं आ रहा है।
चकराता को पृथक जनपद बनाए जाने की मांग
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। चकराता को अलग जिला बनाए जाने की मांग पिछले लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार द्वारा इस मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि जौनसार-बावर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए इस क्षेत्र को अलग जिला बनाया जाना जरूरी है। जब तक चकराता अलग जिला नहीं बन जाता क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पाएगा। जौनसार-बावर क्षेत्र के अंतर्गत चकराता, कालसी और त्यूणी तीन तहसीलें आती हैं। सरकार ने इस क्षेत्र को तीन तहसीलों में तो विभक्त कर दिया है लेकिन तीनों तहसीलों के लिए अलग-अलग एसडीएम नियुक्त नहीं किए है। कालसी, चकराता और त्यूणी तहसीलों का जिम्मा एक एसडीएम के स्पर है। तीनों तहसीलों के लिए अलग-अलग एसडीएम नियुक्त न होने से क्षेत्रवासियों को तहसील संबंधी कार्य करवाने के लिए खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जौनसार-बावर क्षेत्र के अंतर्गत दो ब्लॉक चकराता और कालसी आते हैं। जौनसार-बावर क्षेत्र की जनसंख्या ड़ेढ़ लाख के करीब है। यह क्षेत्र 460 वर्गमील में फैला है। जौनसार-बावर क्षेत्र की तीनों तहसीलों को मिलाकर अलग जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो पाई है। सरकार द्वारा इस दिशा में ध्यान न दिए जाने से लोगों में रोष है। चकराता को पृथक जनपद न बनाए जाने से जनजाति क्षेत्र के लोग अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता विपुल अग्रवाल, खजान सिंह नेगी, स्वराज सिंह आदि का कहना है कि यह क्षेत्र अलग जिला बनाने के सभी मानक पूरे करता हैं उनर प्रदेश के समय से जौनसार बावर को अलग जिले बनाने की मांग की जा रही है, इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। इन संगठनों का कहना है कि जब क्षेत्रवासियों का जिला मुख्यालय से कोई काम पड़ता है तो 50 से 200 किमी की दूरी तय कर देहरादून जाना पड़ता है। देहरादून जाने में पैसे की बर्बादी तो होती ही है साथ ही समय की भी बर्बादी होती है। जनपद मुख्यालय देहरादून दूर होने से क्षेत्र में न विभागीय अधिकारी नियमित रूप से आते हैं और नहीं विकास योजनाओं की ठीक प्रकार से मानीटरिंग हो पाती है।
जौनसार-बावर के अधिकांश विद्यालयों में नहीं है एनसीसी
देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। देहरादून जनपद के जौनसार-बावर क्षेत्र के महाविद्यालयों और इंटरमीडिएट कालेजों में एनसीसी नहीं है। एनसीसी न होने से इन विद्यालयों में अबययनरत छात्र-छात्राएं एनसीसी के लाभ से वंचित हैं। क्षेत्र में स्थित महाविद्यालयों और इंटरमीडिएट काॅलेजों में एनसीसी खोले जाने की लंबे समय से मांग की जा रही है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है, जिससे कि छात्र निराश हैं। चकराता विकासखंड में दो राजकीय महाविद्यालय, एक दर्जन इंटरमीडिएट कालेज व 16 हाईस्कूल स्थित हैं। राजकीय महाविद्यालय चकराता, राजकीय महाविद्यालय त्यूणी समेत एक भी विद्यालय में अभी तक एनसीसी की यूनिट नहीं खोली गई हैं। इसके अलावा कालसी विकासखंड अंतर्गत 9 इंटरमीडिएट कालेज और 14 हाईस्कूल आते हैं। इनमें से जीआईसी साहिया को छोड़कर अन्य विद्यालयों में एनसीसी नहीं है। एनसीसी न होने से क्षेत्र के महाविद्यालयों और विद्यालयों में अबययनरत सैकड़ों छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एनसीसी का लाभ न मिलने से क्षेत्र के विद्याथम् प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं, जिस कारण उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। एनडीए व सीडीएस की परीक्षाओं में एनसीसी सी प्रमाणपत्र बाारकों को छूट प्रदान की जाती है। इसके अलावा इंजीनियरिंग कालेजों और बीएड, डीपीएड, सीपीएड समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं में एनसीसी का बी व सी प्रमाणपत्र बाारकों को वेटेज प्रदान किया जाता है। एनसीसी न होने से क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। छात्र नेता सुरेंब सिंह चैहान, विनीत कुमार, दयाशंकर, मोहित कुमार का कहना है कि शिक्षा विभाग के अबिाकारियों और एनसीसी निदेशालय से कई बार क्षेत्र में स्थित महाविद्यालयों व विद्यालयों में एनसीसी यूूनिट खोले जाने की मांग की जा चुकी है, उसके बावजूद अभी तक एनसीसी नहीं खुल पाई है। उनका कहना है कि क्षेत्र के कई विद्यार्थियों को एनसीसी की वजह से विकासनगर और देहरादून स्थित महाविद्यालयों व इंटर कालेजों में प्रवेश लेना पड़ता है। उनका कहना है कि क्षेत्र के महाविद्यालयों और इंटरमीडिएट काॅलेजों में एनसीसी की यूनिट शीघ्र खोली जाए।
अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन व विधायक में हुई नोकझोंक
ऋषिकेश/देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)।ऋषिकेश हरिद्वार राष्ट्रीयराजमार्ग के चैड़ीकरण की जद में आने वाले अतिक्रमण के खिलाफ अभियान तीसरे दिन भी जारी रहा। हालांकि अभियान की शुरूआत में श्यामपुर फाटक पर टीम को विरोध का सामना भी करना पड़ा। बाईपास मार्ग स्थित बाजार में विधायक ने भी अभियान का विरोध किया। इस दौरान जेसीबी कई कच्चे पक्के निर्माण को ध्वस्त करते हुए आगे बढ़ी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और प्रशासन की टीम का हाईवे पर अतिक्रमण के खिलाफ डंडा चला। श्यामपुर फाटक के दूसरे छोर से शुरू हुआ अभियान बाईपास बाजार जेजी ग्लास हनुमान मंदिर बाबा नीम करोली नगर तक चला। टीम ने कई कच्चे और पक्के निर्माण को ध्वस्त किया। श्यामपुर फाटक पर ग्राम प्रधान देवेन्द्र सिंह रावत ने कार्यवाही का विरोध किया वहीं सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक पे्रमचंद अग्रवाल ने बाईपास बाजार में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान पर उनको विश्वास मंे नहीं लेने का आरोप लगाते हुए अभियान रोकने के निर्देश दिए। जिससे अभियान में कुछ समय के लिये बाधा उत्पन्न हुई। विधायक के जाते ही टीम ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान फिर शुरू कर दिया। अभियान दल में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सहायक अभियंता यूएस मेहर, अवर अभियंता अमित वर्मा, संजय सैनी, अनिल गुप्ता, श्यामपुर चैकी प्रभारी प्रताप सिंह नेगी सहित पुलिस बल मौजूद था।
उत्तराखण्ड विकेन्द्रिकृत जलागम परियोजना के सम्बन्ध में प्रकटीकरण कार्यशाला
हल्द्वानी/देहरादून, 10 अक्टूबर (राजेन्द्र जोशी)। उत्तराखण्ड विकेन्द्रिकृत जलागम परियोजना (ग्राम्य) फेज-2 के सम्बन्ध में एक प्रकटीकरण कार्यशाला का आयोजन होटल देवाशीष में किया गया। कार्यशाला में ग्राम्या फेज-2 विस्तृत जानकारी देते हुए परियोजना निदेशक कुमाऊं गौरीशंकर ने कहा कि ग्राम्या फेज-2 का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों तथा वर्षा आधारित कृषि की उत्पादक क्षमता में वृद्धि कर उसे बनाये रखना व सहभागी जलागम विकास माॅडल को प्रभावी व कुशलतापूर्वक सुदृढ़ करते हुए चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों के ग्रामवासियों की आय में वृद्धि करना है। परियोजना निदेशक ने कहा कि ग्राम्या फेज-2 में कुमाऊँ के 3 जनपद अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर के छः ब्लाकों का चयन किया गया। इन छः ब्लाकों की 192 ग्राम पंचायतों में ग्राम्या फेज-2 के कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना सहभागिता पर आधारित है। ग्राम्या फेज-2 की आत्मा, डिजाइन व आकार पूर्ववर्त ही है मगर फेज-1 के अनुभवों के आधार पर कुछ बदलाव जरूर किए गए हैं। परियोजना के अन्तर्गत चयनित ग्रामपंचायतों में सामाजिक विकास के साथ ही काश्तकारों द्वारा उत्पादित उत्पादों की ग्रीडिंग, भंडारण तथा प्रस्संकरण के साथ ही विपणन व्यवस्था भी की जाएगी जिससे काश्तकारों को उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों में रोजगार सृजन भी होगा। उन्होंने बताया कि ग्राम्या फेज-2, 2013 से 2020 तक चलेगी। कार्यशाला में जानकारी देते हुए उपपरियोजना निदेशक डाॅ. एसके उपाध्याय ने कहा कि ग्राम्या फेज-2 में उत्तराखण्ड के 9 जनपदों को चयनित किया गया है जिसमें 509 ग्राम पंचायतों के 1066 राजस्व ग्राम सम्मिलित है। कार्यशाला में चयनित 6 ब्लाकों के 5-5 ग्रामप्रधानों/प्रशासकों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, स्वयंसेवी संस्था, चिया व सुधा ने भाग लिया।
कार्यशाला में उपपरियोजना निदेशक/निदेशालय जेसी पाण्डे, दीपचन्द्र आर्य, प्रवीण कोरंगा, गोविन्द कोरंगा, रमेश भट्ट, दया किशन पाण्डे, भगवान सिंह खनी, सुरेश मेहरा, देव सिंह गडि़या, गोविन्द सिंह साही, गिरीश चन्द्र जोशी, चन्द्र सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

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