नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने कहा है कि देश की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बहुत जल्दी ही समुद्री परीक्षणों के लिए निकल पड़ेगी और अगले साल के अंत तक यह संचालन में आ जाएगी। एडमिरल जोशी ने यह भी संकेत दिया कि भारत अपने मौजूदा विमानवाहक पोत को तब तक रिटायर नहीं करेगा, जब तक देश में ही निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत नौसेना के बेड़े में नहीं आ जाता। स्वदेशी पोत के 2017 के बाद ही नौसेना के ध्वज तले आने की उम्मीद है।
नौसेना प्रमुख ने एक चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब परमाणु पनडुब्बी के रिएक्टर को चालू किया गया तो वह खुद विशाखापत्तनम में इसकी निगरानी के लिए मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अगस्त में जिस दिन अरिहंत का रिएक्टर चालू हुआ तो पूरी दोपहर मैंने वहां बितायी। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग का पूरा स्टाफ, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और हमारी खुद की विशेषज्ञ टीम के लोग वहां मौजूद थे। इस परियोजना को लेकर हर कोई उत्साहित है और सब में एक जोश है। बहुत कम नोटिस पर हम इस पनडुब्बी को समुद्री परीक्षणों के लिए उतार देंगे और अगले साल के अंत तक यह आपरेशनल हो जाएगी।
नौसेना में 16 नवंबर को आईएनएस विक्रमादित्य नाम से शामिल होने वाले विमानवाहक पोत एडमिरल गोश्करेव का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि देश की सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से दो विमानवाहक पोत होना जरूरी है, ताकि एक पोत पूर्वी तट पर तथा दूसरा विमानवाहक पोत पश्चिमी तट पर तैनात रहे। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य के आने से हमारे पास दो विमानवाहक पोत हो जाएंगे, लेकिन आईएनएस विराट पुराना पड़ चुका है और अब वह एक पुरानी कार की तरह अधिक खर्चीला है। उन्होंने कहा कि आईएनएस विराट बहुत क्षमतावान है, लेकिन आप जानते ही हैं कि उसकी आयु को काफी बढ़ाया जा चुका है और यह विंटेज कार की तरह ही हो गया है जो अधिक लागत लेती है।
जोशी ने कहा कि आईएनएस विक्रांत की परियोजना में देरी हो गई है जो अब 2017 तक ही समुद्री परीक्षणों के लिए जा पाएगा। उसके बाद नौसेना के पास दो नए विमानवाहक पोत हो जाएंगे जो पूर्वी और पश्चिमी तट पर तैनात होंगे।
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