आरुषि हत्याकांड मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई पूरी हो गई है। गाजियाबाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में फैसला 25 नवंबर को आएगा। सीबीआई की दलील है कि आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखकर तलवार दंपति ने गुस्से में दोनों की हत्या कर दी। सीबीआई ने अदालत में ये भी कहा कि तलवार दंपति ने सबूत मिटाने और जांच को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
दरअसल आरुषि हत्याकांड में उसके माता पिता ही मुख्य आरोपी हैं। पूरे देश की निगाहें कोर्ट के इस फैसले पर टिकी हैं। शुक्रवार को फाइनल बहस शुरू होने से पहले ही जज ने डिफेंस को निर्देश दिए कि वो शुक्रवार को ही अपनी बहस खत्म कर लें। इस पर डिफेंस ने सोमवार तक का समय मांग लिया। जानकारों का मानना है कि डिफेंस की फाइनल बहस पूरी होने के बाद अभियोजन अपना काउंटर जवाब दाखिल करेगा और अब कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 25 नवंबर की तारीख तय कर दी है।
आरुषि-हेमराज मर्डर केस की बहस में डिफेंस ने सीबीआई की थ्योरी पर जमकर सवाल उठाए। डिफेंस का कहना था कि हेमराज के कमरे से बरामद बीयर की बोतल से खून का निशान मिला था। फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. बीके महापात्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बोतल पर एबी पॉजीटिव ग्रुप का ब्लड था। डिफेंस के वकील का कहना था कि हेमराज का ब्लड ग्रुप भी एबी पॉजीटिव था। खास बात ये भी है कि दीवार पर लगा खूनी पंजा और छत के दरवाजे पर लगे खून के छींटे भी इसी डीएनए से मैच कर रहे थे।
15 मई 2008 को आरुषि का शव उसके कमरे में बिस्तर पर पड़ा मिला। सिर पर चोट के निशान थे। हत्या गला काटकर की गई थी। घर में कुल 4 लोग थे। राजेश और नूपुर तलवार के अलावा बेटी आरुषि और नौकर हेमराज। सुबह हत्या की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने नौकर हेमराज को घर पर न पा कर उसे ही कातिल मान लिया। लेकिन 17 मई को अचानक इस मामले में तब नया मोड़ आ गया। जब डॉ. तलवार के छत पर ही नौकर हेमराज की लाश मिली। लाश को छत पर छुपाने की कोशिश की गई थी।
इस मामले की तफ्तीश कर रही नोएडा पुलिस ने 23 मई को आरुषि की हत्या के आरोप में पिता राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन पुलिस न तो राजेश तलवार से गुनाह कबूल करवा पाई और न ही आला-ए-कत्ल ही बरामद कर पाई। 27 मई को जांच सीबीआई को दे दी गई। सीबीआई ने 1 जून से हत्याकांड की जांच शुरू की। सीबीआई ने डॉ. तलवार के कंपाउंडर कृष्णा, उनकी बिज़नैस पार्टनर डॉ. दुर्रानी के नौकर राजकुमार और पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सीबीआई भी इन आरोपियों से गुनाह कूबलवाने में नाकाम रही। हालांकि सीबीआई ने इनके सारे साइंटिफिक टेस्ट कराए। बाद में सबूतों की कमी के चलते धीरे-धीरे सभी नौकर जमानत पर छूटते चले गए।
बाद में सीबीआई ने दूसरी टीम को आरुषि हत्याकांड का जिम्मा सौंपा। इस टीम ने हत्याकांड में शक के दायरे में गिरफ्तार किए गए नौकरों को तो क्लीन चिट दे दी। लेकिन डॉ. तलवार को शक के दायरे में रखा। बाद में इस टीम ने गाजियाबाद की विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी और कहा कि डॉ. तलवार आरुषि हत्याकांड में आरोपी हैं। लेकिन ठोस सबूत की कमी के चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
हालांकि बाद में कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मान लिया और कहा कि इसके आधार पर तलवार दंपति के खिलाफ मामला चलाया जा सकता है। सीबीआई ने इस क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि सर्कम्स्टांशियल एविडेंस ये बताते हैं कि इस दोहरे हत्याकांड को राजेश और नूपुर तलवार ने अंजाम दिया है। लेकिन इस मामले में उसके पास कोई सीधा सबूत नहीं है। गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए तलवार दंपति को आरोपी बनाकर ट्रॉयल शुरू करने का आदेश दिया।
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