पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने अपनी किताब में दावा किया है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सैन्य तख्तापलट का खौफ था और उन्हें सीमा पर चीनियों की मौजूदगी से अधिक तत्कालीन थलसेना प्रमुख की लोकप्रियता की चिंता ज्यादा सताती रहती थी।
सिंह ने अपनी नयी किताब में लिखा है कि आजादी के बाद से देश में शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व सैन्य तख्तापलट की आशंका से डरा-सहमा रहा है। यह किसी से छुपा नहीं है कि नेहरू के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग सैन्य तख्तापलट के प्रति उनके खौफ का फायदा उठाते थे और असैन्य-सैन्य रिश्ते विकसित होते वक्त उन लोगों ने इस रिश्ते में सेंध लगाना शुरू कर दिया।
पूर्व थलसेनाध्यक्ष ने किताब में कहा है कि यदि नेहरू की चली होती तो उन्होंने जनरल सैम मानकेशॉ को थलसेना प्रमुख बनने नहीं दिया होता। उन्होंने लिखा है, एक व्यक्ति के तौर पर जनरल थिमैया की लोकप्रियता की वजह से प्रधानमंत्री को सीमा पर चीनियों की मौजूदगी से ज्यादा दु:स्वप्न आते थे। अक्टूबर 1962 में जब हमला हुआ तो भारतीय थलसेना ऑपरेशन अमर में शामिल थी, जहां वे मकान बनाने का काम कर रहे थे जबकि हमारे आयुध कारखाने कॉफी बनाने का यंत्र बना रहे थे।
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