शंकररमन ह्त्या मामले में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती समेत सभी 23 आरोपी बरी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 27 नवंबर 2013

शंकररमन ह्त्या मामले में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती समेत सभी 23 आरोपी बरी.

2004 के बहुचर्चित शंकररमन ह्त्या मामले में पुडुचेरी की अदालत ने कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, उनके भाई विजयेंद्र समेत सभी 23 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र पर हत्या का आरोप था और उन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया था।

करीब नौ साल तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद पुडुचेरी के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशन जज सीएस मुरुगन इस मामले में फैसला सुनाया। पब्लिक प्रॉसिक्यूटर देवदास बताया कि आरोप साबित नहीं होने के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। गौरतलब है कि जयेंद्र सरस्वती की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में मामले की सुनवाई को तमिलनाडु से पुडुचेरी ट्रांसफर कर दिया था।

तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित वरदराजपेरुमल मंदिर के मैनेजर शंकररमन की 3 सितंबर 2004 को हत्या कर दी गई थी। जांच में पुलिस का शक कांची मठ के ही लोगों पर गया। जांच के बाद पाया कि इस मामले में पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके सहयोगी विजयेंद्र शामिल हैं। आरोप था कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती से जुड़ी कोई आपत्तिजनक जानकारी मैनेजर शंकररमन के पास थी, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। हालांकि कोर्ट में चली सुनवाई में सबूतों और गवाहों की कमी से यह कहानी बेदम निकली। 

इस ह्त्या मामले में कुल 24 लोगों पर विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे। एक आरोपी कतिरावन की मार्च में हत्या कर दी गई थी। कांची मठ के एक अन्य मैनेजर सुंदरेशन और जयेंद्र सरस्वती के भाई रघु को साजिशकर्ता के रूप में सह आरोपी बनाया गया था। 2009 से लेकर 2012 तक चली मामले की सुनवाई के दौरान 189 लोगों की गवाही हुई, जिनमें से 83 गवाह बाद में मुकर गए।

कोई टिप्पणी नहीं: