बिहार : आज भी सदमे से उबरा नहीं जोसेफ पीटर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 11 नवंबर 2013

बिहार : आज भी सदमे से उबरा नहीं जोसेफ पीटर

वह आज भी अपनी पत्नी की कब्र पर जाकर रोते और बिलखते रहता है। अब दुख में कोई सिस्टर सहायक नहीं बन रहे हैं। जोसेफ पीटर कहते हैं कि एक चिकित्सक के लापरवाही के कारणा बसा बसाया आशियाना उजड़ गया। पत्नी के गम में साथी के तौर पर शराब का सहारा लेने लगा है। 

bihar christian
पटना। राजधानी में कुर्जी होली फैमिली अस्पताल का नाम है। इस अस्पताल को सिस्टरों के समाज के द्वारा संचालित किया जाता है। फिलवक्त मोकामा नाजरेत हॉस्पिटल और कुर्जी होली फैमिली अस्पताल की सिस्टरों के गठजोड़ से संचालित है। जानलेवा एड्स बीमारी के मरीजों को भर्त्ती करके इलाज किया जाता था। एड्स रोगियों को भर्त्ती करके इलाज करने में सरकार ने सहयोग देना बंद कर दी है। इसके अलावे अन्य तरीके से उनकी सेवा दी जाती है। कुर्जी अस्पताल के द्वारा ‘दो बंूद दवा और पोलियों हो हवा’ अभियान में भी योगदान दिया जाता है। अभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के स्मार्टकार्डधारियों की सेवा दी जाती है।  

कुर्जी होली फैमिली अस्पताल को ईसाई मिशनरियों की सिस्टरों के द्वारा चलाया जाता है। इसमें गरीब मरीजों को भर्त्ती करने का प्रावधान किया गया है। प्रारंभ में यहां पर प्रायवेट, सेमी प्रायवेट और जेनरल वार्ड था। अब तीन स्तरीय वाडों का प्रसार किया गया है। अलग-अलग नाम से वार्ड बनाया गया है। अभी बच्चों और सयानों का आईसीयू बनाया गया है। इसके अतिरिक्त पीलिया मरीजों को रखने के लिए भी वार्ड बनाया गया है। यहां पर सारी सुविधाओं को एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराया जाता है। 

दीघा थानान्तर्गत फेयर फील्ड कॉलोनी में जोसेफ पीटर रहते हैं। जोसेफ पीटर और उनकी पत्नी पत्रिसियां जोसेफ के कई छोटे-छोटे बच्चे थे। जो अब सयाने हो गये हैं। एक दिन की बात है। आम के बगीचा में स्थित मकान में पत्रिसियां पीटर सो रही थीं। इस बीच पत्रिसियां पीटर के स्तन में अज्ञात जहरीला सांप ने डंस लिया। दुर्भाग्य से सर्फ के दांत का निशान पता नहीं चला। जो मौत का कारण ही बन गया।

बगल में सोने वाले जोसेफ पीटर को पत्रिसियंा ने जगाकर कहा कि सांप डंस लिया है। इतना सुनते ही जोसेफ पीटर ने अपनी पत्नी को उठाकर कुर्जी होली फैमिली अस्पताल ले गया। अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में उपस्थित सीएमओ ने पत्रिसियां को की जांच करके कहा कि इसे कुछ नहीं हुआ है। कुछ दवा देकर घर चले जाने को कह दिया। तब जोसेफ पीटर ने ओपीडी में दवा-दारू का बिल भुगतान करके घर जाने लगा। अस्पताल के मुख्यद्वार पर जैसे ही जोसेफ पीटर लेकर पत्रिसियां पहुंची थीं कि हालत काफी खराब हो गयी। उसे फिर आपातकालीन कक्ष में लिया गया। उपस्थित सीएमओ ने भर्त्ती किया और ग्लुकोज स्लाइन चढ़ा दिया। रात से सुबह होते ही पत्रिसियां पीटर की मौत हो गयी। इसकी सूचना मिलते ही आपातकालीन कक्ष के सीएमओ नौकरी छोड़कर फरार हो गया। 

इस प्रत्याषित मौत से ईसाई समुदाय और कुर्जी होली फैमिली अस्पताल की सिस्टरों में हड़कम्प मच गया। आननफानन में बिना रकम लिये ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। सिस्टर लुसिया और सिस्टर आन डिसुजा ने बच्चों और परिवार को मदद करने का आश्वासन दिया। इस बीच सिस्टर लुसिया ने जोसेफ पीटर को नौकरी देने का आश्वासन भी दिया। मगर सिस्टर लुसिया की मौत होने से नौकरी नहीं मिली। इधर सिस्टर आन डिसुजा का स्थानान्तरण हो गया। उनके स्थान पर आयी सिस्टरों ने घास देना बंद कर दिया। इसके कारण जोसेफ पीटर काफी कष्ट में रहता है। 

वह आज भी अपनी पत्नी की कब्र पर जाकर रोते और बिलखते रहता है। अब दुख में कोई सिस्टर सहायक नहीं बन रहे हैं। जोसेफ पीटर कहते हैं कि एक चिकित्सक के लापरवाही के कारणा बसा बसाया आशियाना उजड़ गया। पत्नी के गम में साथी के तौर पर शराब का सहारा लेने लगा है। 



आलोक कुमार
बिहार 

कोई टिप्पणी नहीं: