नशे के दो सौदागर और चढ़े पुलिस के हत्थे
देहरादून, 1 नवम्बर (राजेन्द्र जोशी)। क्लीनिक की आड़ में युवाओं को नशा बेचने वाले नशे के दो सौदागर पुलिस के हत्थे चढ़ गए है उनके पास से भारी मात्रा में नशे की प्रतिबंधित गोलियां, कैप्सूल बरामद हुए है। यह लोग सहसपुर में इस गोरख धंधे को अंजाम देकर युवाओं को नशे का आदि बना रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस को मुखबीर से सूचना मिल रही थी कि सहसपुर क्षेत्र में युवाओं को नशे का आदि बनाकर उनकी जिदंगी से खिलवाड़ करने वाले नशे के दो सौदागर सक्रिय है यह लोग क्लीनिक आड़ में लम्बे समय से अपने गोरख धंधे को अंजाम दिए हुए थे। पुलिस टीम ने छापा मारकर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया तलाशी में उनके पास से नशे के रूप मे ंइस्तेमाल की जाने वाली साढ़े छह हजार प्रतिबंधित गोलियां बरामद हुई। यह लोग लम्बे समय से नशे की गोलियां युवाओं को बेच कर उन्हें नशे का आदि बना रहे थे। उनके खिलाफ एनडीपीएस के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि बीते रोज भी पुलिस ने ऐसे ही एक नशे के सौदागर को गिरफ्तार किया था। जिसके पास से गोलियां, कैप्सूल इंजेक्श् बरामद हुए थे।
कब चढेंगे पुलिस के हत्थे जुआ किंग
देहरादून, 1 नवम्बर (राजेन्द्र जोशी)। दीवाली पर दौलत कमाने का खेल खेलने वाले जुआ किंग क्या इस बार भी पुलिस के हत्थे नही चढ़ पाऐंगे। यह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। पुलिस छोटे-मोटे जुआरियों को हल्की फुल्की रकम के साथ पकड़कर अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन इस खेल के जो बडे़ खिलाडी है उन पर आखिर हाथ खाकी क्यों न ही डाल पा रही है यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है। सूत्रों के मुताबिक दीवाली को दौलत से रंगीन बनाने के लिए शहर के जुआ किंगों ने कुछ होटलों, क्लबों और रेस्टोरेंट बुक कराकर इस खेल की बिसात बिछा ली है। क्या पुलिस अधिकारी जुए के खेल और जुआ किंगों पर शिकंजा कसने में कामयाब रहेगी। जुए के गोरखधंधे को दिवाली के त्योहार पर मानों पंख लग जाते है। कई इलाको में जुए के बड़े खिलाड़ी बिसात बिछाकर इस खेल को अंजाम देने में जुट जाते हैं। हालांकि पुलिस ने पिछले दिनों कुछ जुआरियों को सलाखों के पीछे पहुंचाकर अपनी पीठ थपथपाई थी। लेकिन एक बार फिर पकड़ी गई रकम और दर्शाई गई रकम को लेकर जिस तरह के सवाल खड़े हुए उसके बाद इस अभियान पर पुलिस ने फिर ब्रेक लगा दिया। जिसके चलते राजधानी में जुआरियों की बल्ले-बल्ले हो रही है। क्योंकि उन्हें अब पुलिस का कोई खौफ नही रहे गया है। वही सूत्रों का यह भी कहना है कि जुए के खिलाड़ी अधिकारियों की जेबों का भी ख्याल रख रहे हैं और उनकी दिवाली मनवा रहे है। ऐसे में जुएं के इस खेल पर दिवाली तक कोई शिकंजा कस पाएगा। इस पर भी अब चर्चाएं उठने लगी है। सूत्रों का कहना है कि राजधानी में जुए व सट्टे का गोरखध्ंाधे खाकीधारियों के संरक्षण में ही चल रहा है। यदि ऐसा नहीं है तो जो पुलिस दो बार एक रेस्टोरेन्ट में हुक्के बार पर छापा मारने जाती है उसे उस स्थान पर जुए का ध्ंाधे क्यों नजर नहीं आया। यह अपने आप में कई सवालों को जन्म दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि जुए का यह गोरखध्ंाधे शहर का एक सबसे बड़ा जुआरी इस रेस्टोरेन्ट की आड़ में न जाने कब से चला रहा है। यही नहीं इस जुआ घर से लाखों करोड़ों की दौलत की कमाई की जा रही है। जिस पर पुलिस क्यों शिकंजा नही कस पा रही यह सबसे बड़ा सवाल राजधानी में गूज रहा है।
सीएम आवास कूच कर रहे शिक्षा आचार्य गिरफ्तार
देहरादून, 1 नवम्बर (राजेन्द्र जोशी)। शिक्षा मित्र के रूप में समायोजित करने की मांग को लेकर लंबे समय से आन्दोलनरत शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक संगठन ने सरकार की उदासीनता से नाराज होकर आज मुख्यमंत्री आवास कूच करने का प्रयास किया किन्तु पुलिस ने उन्हे परेड मैदान के पास ही रोक लिया। पुलिस द्वारा रोके जाने से नाराज होकर शिक्षा आचार्यो ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और जैसे ही उन्होंने पुलिस की घेराबंदी तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया तो पुलिस ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया। हालांकि इस दौरान उनकी पुलिस से नोकझांेक व धक्का मुक्की हुई। जिसके चलते पुलिस ने उनपर हल्का बल प्रयोग भी किया।
शिक्षा आचार्य और अनुदेशक शिक्षामित्र के रूप में समायोजित करने की मांग को लेकर पिछले लंबे समय से आंदोलनरत हैं। शिक्षा आचार्यो का कहना है कि सरकार द्वारा वर्ष 2008 में ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद कर दिया गया था। ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद किए जाने से इनमें कार्यरत 1745 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक बेरोजगार हो गए थे। सरकार ने 18 जुलाई 2010 को शासनादेश जारी कर प्रथम चरण में स्नातक योग्यताधारी 1,107 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों को शिक्षामित्र के रिक्त पदों पर वरिष्ठता के आधार पर आरक्षण के प्राविधानों के अनुरूप समायोजित कर दिया था लेकिन जो शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक रह गए थे उन्हें अभी तक समायोजित नहीं किया गया है। वर्ष 2011-12 तक स्नातक योग्यता हासिल करने वाले 1,745 शिक्षा आचार्यों एवं अनुदेशकों को शीघ्र शिक्षामित्र के रूप में समायोजित किया जाए। शिक्षामित्र के पदों पर समायोजित न किए जाने से ईजीएस एवं एआईई सेेंटरों को बंद किए जाने से बेरोजगार हुए शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों के समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है। प्रदेश में शिक्षामित्रों के 1,797 पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन सरकार इन पदों पर शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों का समायोजन नहीं कर रही है, जबकि शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक समायोजन की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। लंबे समय से अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने परेड मैदान के पास धरना दे रखा था। सरकार की उपेक्षा से आहत होकर उन्होंने आज मुख्यमंत्री आवास कूच करने का ऐलान कर रखा था। लेकिन पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया।
और लंबी खिचेंगी कर्मचारियों की हड़ताल
देहरादून, 1 नवम्बर (राजेन्द्र जोशी)। उत्तराखंड में कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को यह भी साफ हो गया कि अब राज्य कर्मचारियों की हड़ताल लंबी खिचेगी। कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं और इनकी साफ मांग है कि जब तक मुख्य मांगों से संबंधित शासनादेश जारी नहीं होते तब तक हड़ताल भी समाप्त नही होगी। दीपावली के बाद तालाबंदी और आवश्यक सेवाओं को ठप करने की बात कर्मचारी कर रहे हैं। वहीं, शासन ने कर्मचारियों की तीन अनिवार्य पदोन्नति का शासनादेश देर शाम तैयार कर लिया था पर 2800 ग्रेड पे पर पेच फं सा हुआ है।17 अक्टूबर से कर्मचारी हड़ताल पर हैं। बृहस्पतिवार को हुई आम सभा में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने ऐलान किया कि शासनादेश नहीं तो काम भी नहीं। परिषद केे अध्यक्ष प्रहलाद सिंह के मुताबिक हड़ताल समाप्त करने की शर्त पर मुख्यमंत्री से भी बात नहीं की जाएगी। पहले शासनादेश जारी होंगे और इसके बाद आम राय से फैसला होगा कि हड़ताल कब समाप्त होगी।दूसरी ओर शासन भी अपने रुख पर अड़ गया है। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा शाम तक यही कहते रहे कि कि शासनादेश तभी जारी किए जाएंगे जब हड़ताल समाप्त होगी। हालांकि इसके साथ ही सचिवालय में बृहस्पतिवार को देर शाम तक कर्मचारियों की मुख्य मांगों से संबंधित शासनादेश तैयार किए जाने की मशक्कत जारी थी।कर्मचारियों की तीन पदोन्नति वाला शासनादेश देर शाम तैयार भी कर दिया गया पर जारी नहीं किया गया। 2800 ग्रेड पे को समाप्त करने वाले शासनादेश को लेकर शासन ने असमर्थता जताई। अपर मुख्य सचिव के मुताबिक पीरक्षण के बाद ही यह आदेश जारी हो पाएगा और उसकेलिए कर्मचारियों से छह दिसंबर तक का समय मांगा गया है। देर शाम मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने भी कर्मचारियों से बात की ओर शासनादेश तैयार होने का हवाला देते हुए हड़ताल समाप्त करने की अपील की।
धनतेरस पर जमकर हुई खरीदारी
बाजारों में दिखने लगी दिवाली की रौनक
देहरादून, 1 नवम्बर (राजेन्द्र जोशी)। धनतेरस पर खरीददारी के लिए बाजारों में खासी रौनक दिखाई दी। जिससे दुकानदारों के चेहरे खिल उठे। लोगों ने धनतेरस पर जहां बर्तनों की जमकर खरीदारी की वहीं सोने चांदी के सिक्के भी बिके इसके अलावा लोगों ने वाहन व अन्य उत्पादों को भी जमकर खरीदा।
धनतेरस के अवसर पर बाजार खरीदारों की भीड़ से भरे नजर आए। विशेषकर बर्तनों व सर्राफा बाजार में काफी भीड़ भाड़ रही लोगों ने जमकर बर्तन व अन्य वस्तुओं की खरीदारी की तो दिपावली के त्यौहार के लिए लक्ष्मी गणेश की मूर्ति, खील बताशे आदि भी खरीदे गए। बाजार में इस बार गणेश-लक्ष्मी के साथ हनुमान, साईं बाबा आदि देवताओं की मूर्तियां उपलब्ध है। खासकर इस बार मूर्ति उद्योग में भी चाइना बाजार का दख्ल देखा जा रहा है। बाजार में कई ऐसी मूर्तियां उपलब्ध हैं जो मेड इन चाइना है।इस धनतेरस पर बाजार में रंगीन बर्तनों की बहार है। धनतेरस पर खरीददारी के लिए इलेक्ट्रानिक बाजार भी पूरी तरह से सजा था। खरीददारों ने एलसीडी, एलईडी, वाशिंग मशीन, टीवी, एसी, फ्रिज की भी खूब खरीदारी की। लाईसेंस मिलने के बाद शुक्रवार को पटाखा कारोबार को भी पंख लग गए। सुबह ही बाजार पटाखों से सज गया। इस बार कई तरह के आतिशबाजियो से भरे नए पटाखे बाजार में आए हैं। जिनकी जमकर खरीदारी की जा रही है। मिठाइयों में आ रही शिकायत को देखते हुए इस बार कई कंपनियों ने पियोरिटी का वादा करते हुए कई मिठाइ पैक भी बाजार में उतारे हुए है।मुख्य बाजार में शुक्रवार से जीरो जोन लागू हो गया है। इसके तहत तीन दिन तक चौपहिया वाहनों का बाजार में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। जीरो जोन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लोग पेदय या दुपहिया वाहनों से ही बाजारों में खरीददारी कर सकेंगे। शुक्रवार से शुरू हुई दिवाली रंगत को देखते हुए पुलिस भी मुस्तैद हो गई है। यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

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