नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने टाटा समूह के ट्रस्टों को अनियमित तरीके से टैक्स छूट देने के मामले में आयकर विभाग की खिंचाई की है। कैग के मुताबिक, टाटा समूह के दो ट्रस्टों को मिली इन छूटों से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ।
संसद में पेश की गई कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विभाग ने जमशेदजी टाटा ट्रस्ट व नवाजभाई रतन टाटा ट्रस्ट को अनियमित तरीके से टैक्स छूट की इजाजत दी। इन ट्रस्टों ने कैपिटल गेन से हासिल हुई 3,139 करोड़ रुपये की रकम ऐसे क्षेत्रों में निवेश की जहां छूट हासिल करने की पात्रता नहीं है। इस रकम पर 1,066.95 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी बनती है। कैग ने 14 ट्रस्टों में कुल 1,090.03 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी की अनियमितता उजागर की है।
कैग के मुताबिक, इन मामलों में निवेश या तो सही तरीकों से नहीं किया गया या उसका लेखांकन सही तरीके से नहीं किया गया। आयकर विभाग ने निगरानी के बावजूद इन अनियमित टैक्स छूटों की इजाजत दी। कैग ने बताया कि जमशेदजी टाटा ट्रस्ट को वर्ष 2008-09 और 2009-10 में 1,905 करोड़ रुपये का कैपिटल गेन हुआ, जबकि नवाजभाई रतन टाटा ट्रस्ट को 1,234 करोड़ रुपये का कैपिटल गेन हुआ। इन ट्रस्टों ने यह रकम प्रतिबंधित निवेश क्षेत्रों में निवेश की जो कि आयकर अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) के अनुकूल नहीं है।
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