रोगियों के मानव अधिकार संरक्षण पर बनाये कार्ययोजना - कलेक्टर श्री दुबे
- मानव अधिकार दिवस पर दिलाई शपथ
खंडवा (10 दिसम्बर) - रोगियों के भी स्वयं के मानव अधिकार होते हैं। प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति अपने मानव अधिकारों के लिये संघर्ष करता है। लेकिन रोगी स्वयं के मानव अधिकारों को न जानते हैं, ना ही उनके संरक्षण के लिये प्रयास कर पाते हैं। इसलिये जिले में रोगियों के आधारभूत मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये कार्ययोजना बनाये। यह निर्देश कलेक्टर नीरज दुबे ने अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के शपथ ग्रहण अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिये। उन्होंने कहा कि स्वयं की जागरूकता ही आम नागरिक का सबसे सशक्त हथियार है। इसके माध्यम से वे अपने समस्त अधिकारों का उपयोग कर सकता है और संरक्षण भी। इस अवसर पर कलेक्टर श्री दुबे ने अन्य भी संबंधित विभाग के अधिकारियों को मानव अधिकार संरक्षण को लेकर जिले में न्युनतम बिंदु कार्ययोजना तैयार करने के आदेश भी दिये। उन्होंने निर्देश देते हुये कहा कि इस कार्ययोजना में आम नागरिक के समस्त मौलिक मानव अधिकारों को शामिल किया जाये। ताकि जिले में योजना बनाकर इस क्षेत्र में कार्य किया जा सके। मानव अधिकारी की दिलाई शपथ:- इसके साथ ही अन्र्तराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अंतर्गत कलेक्टर नीरज दुबे ने ने सभी विभाग प्रमुखों को मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध होकर कार्य करने की शपथ कलेक्टोरेट सभागार में दिलाई। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थितों को बताया कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानव अधिकारों के प्रति साक्षरता के प्रचार-प्रसार तथा उपलब्ध मानव अधिकारों के प्रति सजगता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। इस संदेश को हम भी जन-जन तक पहुंचाये और उन्हें अपने मानव अधिकार के प्रति जागरूक करने का प्रयास करें। इसके
टीप:- फोटो क्रमांक 1012131, 1012132, 1012133, 1012134 मेल की गई हैं।
उपभोक्ता के अधिकार, वेबसाईट wwwf.camin.nic.in पर सभी पते उपलब्ध, जागरूकता ही हथियार
खंडवा (10 दिसम्बर) - उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान अथवा सेवायें खरीदता है वह उपभोक्ता है। क्रेता की अनुमति से ऐसे सामान एवं सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। अतः हम में से प्रत्येक किसी न किसी रूप में उपभोक्ता ही है।
उपभोक्ता के रूप में हमें कुछ अधिकार प्राप्त हैं। मसलन सुरक्षा का अधिकार, जानकारी होने का अधिकार, चुनने का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, शिकायत-निवारण का अधिकार तथा उपभोक्ता-शिक्षा का अधिकार। उपभोक्ता या कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन जो समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 अथवा कंपनी अधिनियम 1951 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत है । इसके अलावा केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अथवा संघ क्षेत्र का प्रशासन भी शिकायत दर्ज करवा सकता है । किसी व्यापारी द्वारा अनुचित तथा प्रतिबंधात्मक पद्धति के प्रयोग करने से यदि आपको हानि एवं क्षति हुई है अथवा खरीदे गये सामान में यदि कोई खराबी है या फिर किराये पर ली गई एवं उपभोग की गई सेवाओं मे कमी पाई गई है या फिर विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य अथवा लागू कानून द्वारा अथवा इसके मूल्य से अधिक मूल्य लिया गया है। इसके अलावा यदि किसी कानून का उल्लंघन करते हुये जीवन तथा सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है तो आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। उपभोक्ता द्वारा अथवा शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है। शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहां हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज साथ ही प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिये। इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिये किसी वकील की आवश्यकता नही होती। साथ ही इस कार्य पर नाममात्र न्यायालय शुल्क ली जाती है। शिकायत कहां की जाये, यह बात सामान सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है। अगर यह राशि 20 लाख रूपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें। यदि यह राशि 20 लाख रूपये से अधिक लेकिन एक करोड़ रूपये से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रूपसे अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करायें। वेबसाईट wwwf.camin.nic.in पर सभी पते उपलब्ध हैं उपभोक्ताओं को प्रदाय सामान से खराबियां हटाना, सामान को बदलना, चुकाये गये मूल्य को वापिस देने के अलावा हानि अथवा चोट के लिये क्षतिपूर्ति। सेवाओं में त्रुटियां अथवा कमियां हटाने के साथ-साथ पार्टियों को पर्याप्त न्यायालय वाद-व्यय प्रदान कर राहत दी जाती है।
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