समाजवादी पार्टी के महंगाई पर हंगामे के बीच आज राज्यसभा में लोकपाल एवं लोकायुकत विधेयक पेश किया गया, पर इस पर तत्काल चर्चा शुरु नहीं हो पाई और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इससे पहले 11 बजे के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा जब 12 बजे शुरू हुई तो उपसभापति पीजे कुरियन ने आज की कार्यसूची में दर्ज कामकाज को निबटाना शुरु किया, पर सपा के नरेश अग्रवाल ने अपनी सीट से खड़े होकर व्यवस्था का प्रश्न उठाया।
उन्होंने राज्यसभा की नियमावली की धारा 24 के तहत व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि शुक्रवार को दिन निजी संकल्प पर चर्चा के लिए निर्धारित होता है और अपराह्न ढाई बजे से उन पर चर्चा होती है तथा राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति ने भी कल निजी संकल्प पर चर्चा कराने का फैसला किया है, इसलिए लोकपाल पर चर्चा निजी संकल्प पर चर्चा से पहले नहीं हो सकती है। लेकिन कुरियन ने यह कहते हुए उनकी दलील खारिज कर दी कि सभापति के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, इसलिए व्यवस्था का प्रश्न नहीं बनता है। इस पर नरेश अग्रवाल ने अपनी पार्टी के सांसदों के साथ हंगामा मचाने का इशारा किया और उनके चार-पांच सांसद सभापति के आसन के पास जाकर महंगाई के विरोध में नारेबाजी करने लगे। इस बीच तेलुगुदेशम के दो सांसद हाथ में आंध्र बचाओ का कागजी बैनर लिए हुए सभापति के आसन के पास पहुंच गए।
इस बीच कुरियन ने सरकारी दस्तावेज सदन के पटल पर पेश किए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी.नारायणसामी को लोकपाल एवं लोकायुकत विधेयक 2013 पेश करने को कहा।
गौरतलब है कि यह विधेयक संसद की प्रवर समिति को पहले भेजा गया था और वहां से वापस आने के बाद राज्यसभा में आज पेश किया गया। नारायणसामी ने शोरशराबे और हंगामे के बीच लोकपाल विधेयक पेश करने के लिए उसे पढ़ना शुरु किया, लेकिन उनकी आवाज साफ सुनायी नहीं पडी। इस बीच सपा के एक सांसद अतुल तिवारी उनकी तरफ विधेयक फाड़ने के लिए बढ़े, लेकिन कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने उन्हें वहां से हटा दिया। जब नारायणसामी ने हंगामे के बीच विधेयक पेश कर दिया, तो सपा के सदन में नेता रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल कुरियन के साथ जाकर सदन की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग करने लगे।
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