वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के मामले में एसआईटी द्वारा नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार को अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन कोर्ट अहम फैसला सुना सकती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी।
जकिया जाफरी ने एसआईटी के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी जिस पर चली पांच महीने की सुनवाई के बाद आज कोर्ट का अहम फैसला आ सकता है। इस केस में नरेंद्र मोदी का नाम जुड़ा होने से आज आने वाले फैसले को अहम माना जा रहा है। गौरतलब है कि जकिया जाफरी के पति और कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी को वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान जिंदा जला दिया गया था।
अहसान जाफ़री 2002 के दंगे में गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे। गुजरात में साल 2002 के दंगों में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर मुसलमान थे। इस केस में शुरू में नरेंद्र मोदी समते कुल 62 लोगों, जिनमें पॉलिटिशन, ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस ऑफिसर शामिल थे के खिलाफ केस फाइल किया गया थ। लेकिन अब इस लिस्ट 56 लोगों के नाम शामिल हैं।
एसआईटी ने सितंबर 2011 में इस मामले में यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट फाइल की थी कि मोदी को इस मामले में आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। इसके एक साल बाद जकिया ने एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। जकिया की इस याचिका पर पांच महीने की सुनवाई के बाद आज कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है।
जकिया के वकीलों ने मामले की सुनवाई के दौरान दावा किया कि एसआईटी ने इस मामले से जुड़े अहम सबूतों की तरफ ध्यान नहीं दिया और क्लोजर रिपोर्ट फाइल करने में जल्दबाजी दिखाई। उन्होंने इस मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी से फिर से जांच कराने की मांग की। वहीं एसआईटी ने जकिया के आरोपों को आधारहीन बताया है।
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