शिवाजी राव पाटिल और नीलांगेकर को एक बड़ी राहत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

शिवाजी राव पाटिल और नीलांगेकर को एक बड़ी राहत

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजी राव पाटिल और नीलांगेकर को एक बड़ी राहत देते हुए सीबीआई ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में उन्हें क्लीन चिट दे दी। बंबई हाईकोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में सीबीआई ने कहा है कि एजेंसी ने पाटिल-नीलांगेकर की भूमिका की पड़ताल की लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे पता चले की उनकी तरफ से आपराधिक कदाचार हुआ।

सीबीआई ने हलफनामे में कहा है कि आदर्श के संबंध में शिवाजीराव पाटिल-नीलांगेकर और अन्य की भूमिका की पड़ताल की गयी। जांच के दौरान सामने आए तथ्यों से उनके (नीलांगेकर और अन्य के) खिलाफ कदम उठाने की जरूरत नहीं है। इसलिए आरोपपत्र में उनका नाम आरोपी के तौर पर नहीं है।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वातेगाओनकर की एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में मामले में पाटिल-नीलांगेकर को आरोपी बनाने की मांग की गयी थी। आदर्श जांच पर अपनी जनहित याचिका को लेकर आवेदन करने वाले वातेगाओनकर ने आरोप लगाया था कि पाटिल-नीलांगेकर ने राजस्व मंत्री के अपने कार्यकाल में अवैध तरीके से आदर्श सोसाइटी में कुछ मंजूरी दी थी। बदले में उनके रिश्तेदार को आदर्श में फ्लैट आवंटित किया गया।

सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि बेनामी लेनदेन को लेकर जांच अभी प्रगति पर है। सीबीआई के जांच अधिकारी एस एस गिरि की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पूर्व विधायक और आदर्श प्रोमोटर के एल गिडवानी और शिवाजीराव पाटिल-नीलांगेकर के रिश्तेदार अरुण धावले की संलिप्तता वाले वित्तीय लेनदेन के संबंध में आगे जांच हो रही है, जबकि फ्लैट प्राप्त करने और सोसाइटी के खाते में कोष की जांच प्रगति पर है।

हलफनामे में कहा गया है कि इससे पहले सीबीआई की ओर से राजस्व मंत्री के तौर पर नीलांगेकर की भूमिका के संबंध में की गयी जांच में उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। इसमें कहा गया है कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिससे कि नीलांगेकर पर सोसाइटी का अनुचित समर्थन करने और उनके रिश्तेदार को इसके बदले में फ्लैट आवंटित करने का पता चलता हो। वर्ष 2004 में महंगे दक्षिण मुंबई में आदर्श सोसाइटी को भूमि आबंटित करने वक्त पाटिल-नीलांगेकर राजस्व मंत्री थे। आदर्श सोसाइटी पर निकाय और पर्यावरण संबंधी कई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है।

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