किसी व्यक्ति के फटकार को बुरा न माने। मगर उसे चुनौती के रूप में लें। 24 बीघा के खेतधारक झलक देव शर्मा ने एक बंधुआ मजदूर को रखकर खेतीबारी का कार्य करवाते थे। बंधुआ मजदूर वंशी पासवान ने ‘आधी रोटी खाएंगे फिर भी बच्चों को पढ़ाएंगे’नारा के तर्ज पर अपने पुत्र राम छविला पासवान को पढ़ाते थे। जब मैट्रिक की परीक्षा देने जा रहा था तो दबंग झलक देव शर्मा ने कहा कि ‘ तू परीक्षा देवे जाएगा तो मेरा हल कौन जोतेगा? इतना सुनना था कि छविला पासवान के स्वाभिमान जाग गया। मैट्रिक उर्त्तीण कर शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र से शिक्षक बने और पढ़ाने लगे। इस तरह एक बंधुआ मजदूर के पुत्र सरकारी शिक्षक बन गया।
पटना जिले के सीमांत पर अवस्थित है पालीगंज। राजधानी के ब्यार भी पालीगंज को नक्सलियों की छत्रछाया से बचा नहीं पाए। स्पष्ट है कि सटे ही नक्सली प्रभावित क्षेत्र भोजपुर है। इसकी चपेट में आ जाने से पालीगंज भी अछूता न रह सका। पालीगंज लगभग चारागाह बन ही गया।
पालीगंज में रहने वाले नक्सलियों के प्रभाव में आकर छुटमैया भी दबंगकारी दबंग बन गए। ऐसे लोग अपने सामने आने वाले महादलितों को बेहद ही तुच्छ समझने लगें। नव दबंग काफी कठोर और हृदय विदारक बात करते। सोनार की तरह नहीं बल्कि लोहार की तरह चोट करते थे। इस तरह की कठोर वाणी से बंधुआ मजदूर के पुत्र को जाकर धड़ाम से लग गया। उसने तत्क्षण अपने पिता को हलवाहा का कार्य छोड़ देने का निवेदन किया। इस पर बंधुआ मजदूर के छोटका पुत्र भी कठोर वाणी कहने वाले को धमकी देने पर उतारू हो गया। पिता और बड़े भाई के कहने पर वह खामोश हो गया।
पटना जिले के पालीगंज प्रखंड में अजदा सिकरिया ग्राम पंचायत है। इस पंचायत में ठकुरी गांव है। इस गांव में राम छविला पासवान रहते हैं। इनके पिता का नाम वंशी पासवान और माता का जागेश्वरी देवी हैं। जो परलोक सिधार गए हैं। इनके भाई राम नरेश पासवान की मृत्यु गोली चालन देखने के क्रम में हो गया। राम छविला पासवान के 2 पुत्र हैं। अजय कुमार और संजय कुमार। संजय भारती दसवीं कक्षा की परीक्षा देने आया है। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यालय में अपने मां-बाप के साथ रहकर संजय कुमार परीक्षा देने जाता है। उसका परीक्षा केन्द्र के0बी0 सहाय प्लस 2 विघालय, शेखपुरा,पटना में पड़ा हुआ है। अभी मिडिल स्कूल, पालीगंज में राम छविला पासवान पढ़ाते हैं। इस साल 2014 के मध्य में अवकाश ग्रहण करेंगे। सन् 1982 में शिक्षण कार्य शुरू किए।
बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए राम छविला पासवान कहते हैं कि गांव में झलक देव शर्मा रहते हैं। इन्हीं के पास मेरे पिताश्री वंशी पासवान कार्यरत बंधुआ मजदूर थे। उस समय मैट्रिक की परीक्षा देने वाले थे। इनके मालिक के पास 24 बीघा खेती योग्य जमीन है। अब 3 भाइयों में बंटवारा कर दिया गया हैं खेत पर आकर झलक दिखाकर झलक देव शर्मा कहने लगे। ई छोकरा को काम नहीं करना है? इसको तो बाप के कार्य में हाथ बंटाकर साथ साथ काम चाहिए था। इस पर राम छविला पासवान कहते हैं कि मैट्रिक की परीक्षा देने जा रहे हैं। इस पर तपाक से झलक देव शर्मा कहते हैं कि ‘ तू परीक्षा देवे जाएगा तो मेरा हल कौन जोतेगा? इतना सुनना था कि छविला पासवान के स्वाभिमान जाग गया। बाबू जी से कहे कि आप बंधुआगीरी छोड़ दें। इस पर पिता जी ने कहा कि झलक देव गोली मार देगा। दोनों को मार देगा। इतना कहकर हल-बैल को खोल दिया। इसके बाद घर चले गए।
शिक्षक राम छविला पासवान ने कहा कि जब इस बात की जानकारी मेरे अनुज राम नरेश को चली तो सीधे घर आकर वस्तुस्थिति से अवगत होकर आग बबूला हो उठा। किसी तरह से शांत किया गया। मैट्रिक पास करके बिहारशरीफ स्थित नूरसराय के पास शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र से उर्त्तीणकर के शिक्षण कार्य करने लगा। जब काम शुरू किए तो पिता जी कहे कि आपलोग बंधुआगीरी से मुक्त कराए हैं। तो आप 10 कट्टा जमीन खरीद लो। जब जमीन खरीदी गयी तो छाती पर हाथ मारकर बहुत खुश हो गए। अपार खुशी होने पर मौत के मुंह में समा गए।
शिक्षक राम छविला पासवान ने आगे कहा कि मेरे प्रयास से 4 लोगों को टोला सेवक में बहाल हो सका है। पीयूष कुमार, रामप्रवेश मांझी, विशुनदेव मांझी और प्रदीप मांझी हैं। विकास मित्र में रिंकी कुमारी और आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका में रेवंती देवी को बहाल करा दिए हैं। अवकाश ग्रहण करने के बाद सामाजिक कार्य करने का मन बना लिए हैं।
आलोक कुमार
बिहार

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