सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्या वे दिल्ली में वैकल्पिक सरकार गठन की संभावना तलाशना चाहती हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा की पीठ ने नोटिस जारी किया है। पीठ को बताया गया था कि मौजूदा पार्टियों के विधायकों के संभावित दल-बदल पर नजर रखने के लिए विधानसभा को निलंबित रखा गया है।
याचिकाकर्ता आम आदमी पार्टी (आप) के वकील फाली एस. नारिमन ने न्यायालय को बताया कि एक बार विधानसभा के निलंबित हो जाने से दिल्ली के लोग लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार से महरूम हो रहे हैं और निलंबन की स्थिति एक साल तक रहेगी। आप के वकील की दलील के जवाब में न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, "यदि निलंबन एक वर्ष तक जारी रह सकता है तो एक खास स्थिति में यह लोकतंत्र के लिए हानिकारक होगा।" उन्होंने कहा कि यह संभव है कि एक दल दूसरे के समर्थन से सरकार बना ले।
मौजूदा राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) कांग्रेस नीत सरकार का केंद्र में समर्थन दे रही है, जबकि यही पार्टी पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में विपक्ष में बैठी हुई है। आप ने दिल्ली विधानसभा के निलंबन को चुनौती दी है। अदालत के निर्देश पर आप के वकील ने उपराज्यपाल नजीब जंग की केंद्र सरकार को भेजी गई रिपोर्ट की प्रति पेश की। जंग ने अरविंद केजरीवाल सरकार की विधानसभा भंग करने की सिफारिश पर रिपोर्ट भेजी थी। अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 31 मार्च की तारीख तय की है।

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