बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से जुड़े जासूसी कांड की जांच के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने दिसंबर में एक जांच आयोग की घोषणा की थी, लेकिन इसके लिए अभी तक कोई जज ही नहीं मिला है। हालांकि, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को उम्मीद है कि आचार संहिता लागू होने के बावजूद इस पैनल को रिवाइव किया जा सकता है।
शिंदे ने ईटी को बताया, 'कैबिनेट का फैसला आचार संहिता लागू होने से पहले का था। इस वजह से घोषणा अभी भी हो सकती है।' सरकार पैनल के लिए अभी तक किसी रिटायर्ड जज को खोजने में नाकाम रही है। कमिशन ऑफ इनक्वॉयरी के लिए नोटिफिकेशन भी अभी नहीं निकला है।
बीजेपी इस फैसले को एक राजनीतिक मकसद वाला कदम बता रही है। वह निश्चित तौर पर अब जांच के लिए पैनल गठित करने का विरोध करेगी। पार्टी के नेता अरुण जेटली ने बुधवार को ब्लॉग पर कहा कि कमिशन बनाने का केंद्र का कदम पूरी तरह से राजनीतिक है। यह जासूसी कांड मोदी की ओर से राज्य के पूर्व मिनिस्टर अमित शाह से गुजरात पुलिस को कथित तौर पर एक लड़की की अवैध तौर पर निगरानी करने के निर्देशों से जुड़ा है। शाह ने इस मामले को जासूसी की जगह 'सुरक्षा उपलब्ध कराना' करार दिया है।
ईटी ने पहले रिपोर्ट दी थी कि केंद्र के इस कदम के पीछे राजनीतिक मकसद होने के शक की वजह से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कम से कम 6 रिटायर्ड जज यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी से कहा कि बीजेपपी अब आचार संहिता का हवाला देकर किसी घोषणा का कड़ा विरोध कर सकती है। उनका कहना था, 'कमिशन के लिए अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है, क्योंकि इसके लिए जज को फाइनल नहीं किया गया है। जेटली ने बुधवार को ब्लॉग में लिखा कि कमिशन बनाने का केंद्र सरकार का उद्देश्य राजनीतिक है क्योंकि वह मोदी को बदनाम करना चाहती है। अगर अब घोषणा होती है तो बीजेपी निश्चित तौर पर चुनाव आयोग से संपर्क करेगी।'
शिंदे ने ब्लॉग पर की गई जेटली का टिप्पणियों पर कुछ कहने से इनकार कर दिया। जेटली ने लिखा है कि बहुत से रिटायर्ड जजों ने कमिशन का हेड बनने से इनकार किया है। जेटली के मुताबिक, 'उस कमिशन को क्या हुआ है? एक के बाद एक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों से कमिशन का हेड बनने के लिए संपर्क किया गया। उन्होंने इस राजनीति से प्रेरित काम में शामिल होने से इनकार कर दिया। इसके बाद हाई कोर्ट के कुछ रिटायर्ड चीफ जस्टिस से भी संपर्क किया गया। ऐसा लगता है कि उन्होंने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इसके लिए उपलब्ध नहीं हैं। सरकार नैतिक तौर पर अलग-थलग पड़ गई है।'
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