सर्वोच्च न्यायालय का तेलंगाना गठन पर रोक से इनकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 7 मार्च 2014

सर्वोच्च न्यायालय का तेलंगाना गठन पर रोक से इनकार


supreme court of india
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के बंटवारे की प्रकिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू और न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई एक वृहत्तर संविधान पीठ में होनी चाहिए क्योंकि इसमें संवैधानिक मुद्दा शामिल है और बड़ी पीठ ही यह तय कर सकती है कि तेलंगाना के गठन को रोका जाए या नहीं।

नए राज्य के रूप में 2 जून को तेलंगाना अस्तित्व में आ जाएगा। देश के 29वें राज्य के रूप में इसके गठन पर संसद मुहर लगा चुकी है। शीर्ष अदालत द्वारा 7 और 17 फरवरी को तेलंगाना के गठन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ध्यान देने से मना करने के बाद नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह नोटिस आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी सहित अन्य लोगों की याचिका पर नोटिस जारी किया है। रेड्डी ने उल्लेख किया है कि राज्य का विभाजन संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।

याचिका में कहा गया है कि संसद की शक्ति की कुछ जटिलताएं हैं और नए राज्य का गठन करने के समय राज्य विधानसभा के विचारों को तवज्जो दिए बगैर यह असीमित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत केवल सीमाओं में बदलाव या किया जा सकता है न कि एक राज्य को खत्म किया जा सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: