- कहीं किसी बिल्डर या सफेदपोश का हाथ तो नहीं
- सप्ताहभर बाद नहीं पुलिस नहीं ढूढ़ सकी मृतका की मोबाइल
- रामसेवक की पत्नी व बच्चों नेे कहा, पुलिस जबरन दवाब बनाकर कबूलवा रही मनचाहा बयान
आरोपों से घिरी यूपी पुलिस व अखिलेश सरकार अगर पाक-साफ है तो लखनउ निर्भयाकांड की जांच सीबीआई से क्यों नहीे करवा रहीं। मतलब साफ है-सीबीआई जांच हुई तो इसमें न सिर्फ पुलिस के कई अधिकारी कटघरे में आ जायेंगे, बल्कि बिल्डर सहित सत्ता के करीबी कई सफेदपोश को जेल की हवा खानी पड़ सकती। फिलहाल अगर पुलिस की ही थ्योरी को सच मान लिया जाएं तो गिरफतार रामसेवक के बताने के बावजूद झांडी से मृतका का मोबाइल आज तक पुलिस के हाथ क्यों नहीं लगे। जो बात पुलिस रामसेवक से नहीं कबूलवा सकी, उसकी पत्नी-बच्चों सहित रिश्तेदारों को हिरासत में लेकर क्या उगलवाना चाहती है। जिस राजू का नाम प्रकरण में आया और उसके नाम पर ही महिला रात घर से निकल गई, वह पुलिस की नजरों से कहां ओझल है कि इस संचार क्राति में नहीं मिल रहा। जबकि पुलिस पहले ही अपनी बनाई कहानी में बता चुकी है कि रामसेवक अकेले ही मृतका की हत्या है, जो संभव ही नहीं। लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा कि जो व्यक्ति महिला के प्राइवेट पार्ट में मात्र एक चाभी से लहूलुहान कर हत्या कर दिया उसके शरीर पर मात्र दो-चार नाखून के निशान है। जबकि सच तो यह है कि अगर वह अपनी पत्नी के संग जोर जबरदस्ती करें तो बगैर उसकी मर्जी के कुछ भी नहीं कर सकता। एक अदना से गार्ड द्वारा काॅल करने पर महिला आधी रात को कैसे निकल गयी और उसके बाइक पर बैठकर कई किमी का सफर कर लिया, लेकिन वह शख्स राजू ही है भांप न सकी। यह सवाल पुलिस की थ्योरी को झूठलाने के लिए काफी है।
मोहनलालगंज के प्राथमिक स्कूल, बलसिंहखेडा में गैंगरेप के बाद नृशंस हत्या के मामले में गार्ड रामसेवक को गिरफतार किया था। पुलिस के मुताबिक आरोपी रामसेवक द्वारा ही महिला को बुलाने के बाद रेप न करने पाने की दशा में उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने आरोपी का हेलमेट, चाभी, कपड़े व अन्य सामान भी बरामद दिखाएं है। लेकिन रामसेवक ने घटना के दौरान महिला से छिनी गयी मोबाइल को झाडी-गड्ढे में फेके जाने की बात पुलिस को बताई उसे नहीं बरामद कर सकी। अगर पुलिस को मोबाइल नहीं मिला तो उसके काॅल डिटेल से क्यों नहीं पुलिस पता कर पा रही है कि उस रात किससे-किससे बात हुई। पुलिस ने जिस राजीव नाम के शख्स के ईदगिर्द खुलासे की कहानी रची है, वह राजीव कौन है? इसका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है। खुलासे की कहानी से साबित हो रहा है कि पुलिस अन्य घटनाओं की तरह इसमें भी फर्जी खुलासा कर महिला को न्याय मिलने से वंचित कर रही है। लोग जानना चाहते है कि अकेला सख्श कैसे महिला को मार डाला। हेलमेट वाले अंजान व्यक्ति के साथ कैसे महिला बाइक पर चली गयी। आखिर वह राजू है कौन जिसके एक फोन पर वह घर से निकल गयी। महिला से संघर्ष के दौरान आरोपी को सिर्फ दो-चार नाखून लगे, जबकि मामूली बात पर होने वाली हाथापाई में भी लात-घूसे चलने से चेहरा सूज जाता है। कभी-कभी दांत टूट कर बाहर आ जाते है। और आरोपी प्राइवेट पार्ट तक पहुंच गया, शरीर के सारे कपड़े फाड़ डाले, लेकिन उसे सिवाय नाखून खरोच के खुद के कपड़े साफ-सुथरे रहे और बड़े ही आसानी से ब्लड धोकर घर जाकर अपनी पत्नी के साथ सो गया। पुलिस ने बताया था कि बाइक रुकने पर आरोपी के हेलमेट उतारते ही महिला ने विरोध किया था, तो वह इतनी आसानी से स्कूल कमरे तक कैसे पहुंच गयी। जबकि स्कूल के चंद कदम दूरी पर बस्ती है और कई दुकाने है, जिसकी चीख-पुकार सुनकर कोई भी पहुंच सकता था। ये तमाम सवाल पुलिस के इस खुलासे पर प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए काफी है।
हृदयविदारक यह घटना कोई सामान्य घटना नहीं है। जिंदगी से जूझकर बच्चों की परवरिश में खुद को खपाने वाली जांबाज महिला का अंत इतनी आसानी से हो जायेगा, बिलकुल सोचा नहीं जा सकता। महिला अपने हर सांस तक संघर्श करती रही और आरोपी को सिर्फ नाखून के खरोच ही लगे, यह संभव ही नहीं। पुलिस अपने दायित्व का दुरुपयोग कर रही है। पुलिस इस मामले में राजीव नाम के व्यक्ति को जांच दायरे में नहीं ला रही है, जो इस वीभत्स कांड में गिरफ्तार रामसेवक यादव का बॉस है।
सच तो यह है कि शुरआती दौर में लखनऊ में हुए दर्दनाक हादसे का खुलासा पहली दृष्टि में ही फर्जी लग रहा है। एक ऐसा अनजान राजीव नाम का शख्स जिसे मृत महिला कभी नहीं मिली उसके कहने पर रात दस बजे महिला घर से निकलती है, जो शख्स कभी नहीं मिला वो हेलमेट लगाया था। महिला ने उसका चेहरा देखने की भी जरुरत महसूस नहीं की. उसने मोटर साइकिल पर बैठने को कहा और इतनी रात को वो बिना उसका चेहरा देखे बैठ गई। कई किलोमीटर दूर जाकर एक सुनसान स्कूल में हेलमेट उतारने पर महिला ने देखा अरे यह तो गार्ड रामसेवक है। इस मामले में स्वयंसेवी संगठनों सहित पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए प्रकरण की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे है। पीडित के देवर सहित कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्र ने राज्यपाल को सीबीआई जांच के लिए पत्र भी भेजा है। कहा गया है कि फर्जी खुलासे से ही अपराधियों के हौसले बुलंद है। सरकार जल्द ही कार्रवाई नहीं किया तो आंदोलन होगा। बीजेपी ने कहा है कि यदि पीडि़ता के परिजन इस प्रकरण की सीबीआई जांच चाहते है तो उनकी मांग मानी जानी चाहिए। पुलिस की बात विश्वसनीय नहीं लगती। पहले उसने घटना को सामूहिक बलात्कार बताया और अब पुलिस कह रही है कि इस कांड को अकेले चैकीदार ने अंजाम दिया।
अनिल उपाध्याय कहते है, कम दिमाग वाले इंसान की भी समझ में आ रहा है कि बाइक की एक चाभी से सिर्फ एक आदमी का काम नहीं है ये। बचाया किसको जा रहा है। आधी रात को जल्दबाजी में अंतिम संस्कार क्यों किया गया। लाश खत्म तो दोबारा पोस्टमार्टम भी नहीं हो सकता। क्या ये महिला किसी बहुत बड़े मंत्री को ब्लेकमेल करने की स्थिति में थी। किस पैसे की गद्दारी का नाम लिया है यादव गार्ड ने। नेताओं की अय्याशी के किस्से तो लखनऊ में खूब सुने जाते हैं। बहुत बड़ा देह का धंधा है क्या इसके पीछे? मोहनलालगंज की घटना के पीछे कोई बहुत बड़ा रहस्य छिपा है। बहुत बड़ा. फार्म हाउस - पैसे की गद्दारी - राजीव - प्रापर्टी डीलर ??? किस्सा गहरा है। जांच सीबीआई हरहाल में होना चाहिए।
सवालों का जवाब दो -
एक आदमी ने की वारदात - पहले एडीजी सुतापा सान्याल ने पीएम रिपोर्ट के आधार कहा कि वारदात में एक से ज्यादा लोग शामिल है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि जिस तरह की महिला की चोटे है अकेले का काम नहीं है।
प्राइवेट पार्ट में किया हाथ से प्रहार - पोस्टमार्टम के मुताबिक किसी ब्लंट आब्जेक्ट से उसके प्राइवेट पार्ट में कई प्रकार किए गए है।
राजू उर्फ राजीव मिलने समझकर गई - पुलिस ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि राजीव कौन है? अगर महिला इतनी रात उसके साथ जाने के लिए राजी हुई तो वह उसका करीबी ही होगा। तहिला उससे परिचित थी तो बाइक पर बैठते ही उसे पहचान लेना चाहिए था। सिर्फ हेलमेट लगाने से पहचान छिपाने की बात हजम नहीं होती।
अंतिम संस्कार में जल्दबाजी क्यो?- एडीजी सान्याल ने 18 जुलाई को प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि पीडि़ता का शव सुरक्षित रखा जायेगा। लेकिन उसी रात को गुपचुप अंतिम संस्कार करा दिया। घर वालों का आरोप है कि पुलिस ने जबरन संस्कार करवाया।
अजीज ने क्यों नहीं लिखवाई मोबाइल चोरी की रिपोर्ट ?-पुलिस ने जिस अजीज के नंबर को वारदात में शामिल होने का दावा कर रही है, उसके बारे में नहीं बता सकी कि आखिर मोबाइल चोरी होने के बाद भी उसने रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई?
रामसेवक पर नाखून के निशान- अगर महिला को मारने पर आमादा था तो महिला के बी जमकर हाथापाई हुई होगी, लेकिन सिर्फ नाखून के निशान यह समझ से परे है। और अगर सही है तो नाखून के निशान का क्यों नहीं कराया गया परीक्षण। परीक्षण हुआ तो कहां है रिपोर्ट।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से गुत्थी उलझी : सवालों में घिरी यूपी पुलिस की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। अब महिला की पहचान पर ही सवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, दरिंदगी का शिकार बनी महिला के घर वालों के मुताबिक उसकी एक ही किडनी थी। उसने अपनी दूसरी किडनी पति को दान कर चुकी थी। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मृत महिला की दोनों किडनियां मौजूद थीं। रिपोर्ट में गुर्दे (दशा और वजन) के सामने लिखा है कि बोथ पेल एनएडी (नथिंग अबनॉर्मल डिटेक्टिंग) 150 ग्राम ईच। मतलब दोनों किडनियों की हालत ठीक। पोस्टमॉर्टम दो फॉरेंसिक एक्सपर्ट समेत 6 डॉक्टरों के पैनल ने किया। जबकि महिला के देवर ने बताया कि 15 अक्टूबर, 2011 को पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। इस दौरान भाभी ने ही भाई को अपनी किडनी डोनेट की थी। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी 15 जून, 2001 को भाई की किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। तब मां ने किडनी दी थी। पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके शर्मा ने बताया कि 15 अक्टूबर, 2011 को महिला और उसके पति का किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन हुआ था।
लिखावट में अंतर : पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के जिस हिस्से में डॉक्टरों ने चोटों को लेकर अपनी राय लिखी है उस पेज की लिखावट का अंतर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। रिपोर्ट में महिला के प्राइवेट पार्ट में चोटों का जहां जिक्र है वह हिस्सा काफी हल्के से लिखा गया है, जबकि उस पेज की बाकी रिपोर्ट गहरे रंग में साफ लिखी है। विशेषज्ञ के मुताबिक रिपोर्ट एक ही डॉक्टर द्वारा लिखी जाती है। उसे कार्बन पेपर लगाकर लिखते हैं। इसलिए लिखावट एक सी आती है।
हिरासत में अब भी छह लोग : मामले का खुलासे का दावा करने वाली पुलिस ने अब भी एक महिला समेत छह लोगों को हिरासत में ले रखा है। सूत्रों के मुताबिक जिस महिला से पूछताछ की जा रही है, वह उन्नाव की रहने वाली है। यह महिला रामसेवक व दरिंदगी का शिकार महिला दोनों के सम्पर्क में थी। रामसेवक के बेटे को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा है। परिवारीजनों का कहना है कि किसी को उससे मिलने भी नहीं दिया जा रहा है।
चाबी से इतना गहरा घाव संभव नहीं : पोस्टमॉर्टम में महिला के शरीर पर मिलीं दो चोटें भी पुलिस की कहानी से मेल नहीं खा रहीं। पुलिस के मुताबिक आरोपी रामसेवक ने चाबी, हेलमेट और हाथ से चोटें पहुंचाईं, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक पोस्टमॉर्टम में मिली दो चोटें चाबी, हाथ या हेलमेट से नहीं पहुंचाई जा सकतीं। रिपोर्ट में करीब 3 सेमी गहरे पंचर्ड बोन के बारे में लिखा गया है। यह चोट चाभी से नहीं लग सकती। चाभी से घाव एक सेमी से अधिक नहीं हो सकता।
---सुरेश गांधी---

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें