विशेष : आधा आसमाँ जुटा है ग्राम्य विकास का इन्द्रधनुष दर्शाने - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 31 जुलाई 2014

विशेष : आधा आसमाँ जुटा है ग्राम्य विकास का इन्द्रधनुष दर्शाने

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जनजाति क्षेत्रों में ग्रामीण विकास और बुनियादी सुख-सुविधाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महानरेगा) के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। एक तरफ इस योजना ने जहाँ गरीब ग्रामीणों को उनके अपने ही क्षेत्र में रोजगार मुहैया करवाया है वहीं इन मजदूरों ने भी अपने गांव व क्षेत्र के विकास तथा संसाधनों के दीर्घकालीन उपयोग को देखते हुए पूरी आत्मीयता दर्शाते हुए अपने कामों को अंजाम दिया है।
       
चहकने लगी हैं जल सँरचनाएँ
इसी का परिणाम है कि आज पहाड़ों की धरा काँठल अंचल अर्थात प्रतापगढ़ जिला ग्राम्य विकास की ओर अग्रसर है। महानरेगा के अन्तर्गत ग्रामीण विकास की गतिविधियों में मुख्य रूप से सम्पर्क सड़कों और जल संरचनाओं के कामों को हाथ में लिया गया और इसी का परिणाम है कि अब तक हुई बरसात में भी जल संरचनाएं चहकने लगी हैं। ग्रामीण विकास और महानरेगा से जुड़े हुए कामों में ग्राम्य महिलाओं की भागीदारी आदिवासी अंचलों में इतिहास कायम करने वाली रही है। खूब सारे कामों पर काम करने वाले श्रमिकों में महिलाओं की बहुतायत एक खासियत ही कही जा सकती है।
       
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ग्राम्य महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी
घर-गृहस्थी और खेती-बाड़ी से लेकर ग्रामीण विकास की तमाम गतिविधियों में  महिलाओं की भूमिका और भागीदारी उल्लेखनीय कही जा सकती है। महानरेगा के अधिकांश कामों में ग्रामीण महिलाएं ही नियोजित हैं। सड़कों और तालाबों के कामों से लेकर हर प्रकार की ग्रामीण विकास और निर्माण की गतिविधियों में जनजाति क्षेत्र की महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी के चलते क्षेत्र का आधा आसमाँ  आदिवासी अंचलों के नवनिर्माण का नया इतिहास लिख रहा है। प्रतापगढ़ जिले के पाड़लिया क्षेत्र में कालकामाता एनिकट को गहरा कराने का काम महानरेगा में चलाया गया। पहाड़ियों से घिरे इस एनिकट के जलपहुंच क्षेत्र में मिट्टी भराव हो जाने से इसकी जलभराव क्षमता प्रभावित हो गई। इस स्थिति में इसे गहरा कराने से इसमें बरसाती पानी का अपेक्षाकृत अधिक भराव हुआ और इसमें निरन्तर पानी की आवक के चलते लम्बे समय तक पानी टिका रह सकेगा। बरसात से पहले यहाँ चलाए गए काम पर कुल स्वीकृत 75 श्रमिकों में से पन्द्रह को छोड़कर शेष सभी श्रमिक महिलाएं ही थीं। आस-पास के क्षेत्र के इन श्रमिकों के लिए एनिकट दोहरा फायदा देने वाला रहा। एक तो रोजगार ने राहत दी, दूसरा उनके इलाके में पशुओं के लिए पानी की समस्या दूर हुई। तीसरा फायदा यह हुआ कि इस एनिकट में जल भराव से आस-पास के कूओं में जलस्तर बढ़ा।
       
सँवरी जरूरतमन्दों की जिंदगी
कालका माता एनिकट गहरा करने का कार्य कई गरीब आदिवासी महिलाओं के लिए राहत का पर्याय ही कहा जा सकता है। पाडलिया निवासी 58 वर्षीय विधवा रूपली, 65 वर्षीय विधवा गोती/रूपा सहित इस काम पर लगी विधवा महिलाओं ने बताया कि नरेगा की बदौलत वे रोजगार पा रही हैं अन्यथा मेहनत-मजूरी भी बड़ी ही मुश्किल से कर पाती थीं। महानरेगा के कार्यों में लगे श्रमिकों का मानना है कि महानरेगा के कामों की वजह से उनके जीवनस्तर में सुधार आया है और साल भर किसी न किसी प्रकार की प्रवृत्ति की उपलब्धता रहने से आर्थिक समस्याओं पर काफी हद तक काबू पाया जा सका है। बरसात के बाद में खेती-बाड़ी और पशुपालन तथा इसके अलावा के दिनोें में नरेगा की मजदूरी ने ग्रामीणों की माली हालत को काफी हद तक सुधार दिया है।





---डॉ. दीपक आचार्य---
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
प्रतापगढ़

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