कांग्रेस विपक्ष के नेता पद की हकदार नहीं: अटॉर्नी जनरल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

कांग्रेस विपक्ष के नेता पद की हकदार नहीं: अटॉर्नी जनरल

भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलना चाहिए। रोहतगी ने कहा है कि इसके लिए कोरम के बराबर यानी लोकसभा में कम से कम 10 फीसदी सीटें पार्टी के पास होनी चाहिए, तभी किसी पार्टी को नेता विपक्ष का पद मिल सकता है। सरकार ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी। 

कांग्रेस ने अटॉर्नी जनरल की राय को अहमियत न देते हुए कहा है कि उनकी राय कोई बंधन नहीं है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने टाइम्स नाउ से बातचीत में कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय से कांग्रेस की मांग की अहमियत कम नहीं होती और सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को मान्यता मिलनी ही चाहिए।

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को तटस्थ होकर संसद में विपक्ष की आवाज को उठने देना चाहिए। राज्य सभा में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इस संबंध में उदार होना चाहिए, खासतौर पर ऐसे समय में जबकि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है। 

आजाद ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह से बाद कहा, 'लोकतंत्र में असहमति का स्वर बहुत महत्व रखता है। अगर संसद में असहमति की आवाज नहीं सुनी जाती तो यह वास्तविक लोकतंत्र नहीं कहलाएगा। बाहर लोकतंत्र है, संसद के भीतर भी लोकतंत्र होना चाहिए।' उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसद में विरोध की आधिकारिक आवाज नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) के माध्यम से उठाई जाती है। 

उन्होंने कहा, 'हमने सोचा था कि सरकार उदारता दिखाएगी और हमें नेता प्रतिपक्ष का पद दे देगी। उन्हें उदार होना चाहिए और विपक्ष को आवाज उठाने के लिए एलओपी का पद देना चाहिए। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया गया।'  वैसे, 1984 में राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने भी किसी को नेता, विपक्ष का पद नहीं दिया था। तब कांग्रेस को 415 सीटें मिली थीं। 1969 तक तो विपक्ष इतना छोटा था कि किसी को नेता, विपक्ष बनाया ही नहीं गया था।

कोई टिप्पणी नहीं: