यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विवाद के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने आज केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि परीक्षा के लिए कल जारी किए गए एड़मिट कार्ड इस मसले को सुलझाने तक वापस लिए जाएं। जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, यूपीएससी पहले ही एड़मिट कार्ड जारी कर चुकी है। अगले तीन दिनों में हालात चिंताजनक हो जाएंगे। सरकार दो अलग-अलग रास्तों पर नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर गठित तीन सदस्यीय समिति जब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती तब तक एड़मिट कार्ड वापस लिए जाएं।
कांग्रेस ने कहा कि सरकार को समस्या के समाधान के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए। पार्टी ने कहा कि वह संसद के भीतर और बाहर यूपीएससी अभ्यर्थियों की तरफ से लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। कांग्रेस सांसद और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, मेरी सहानुभूति उन छात्रों के साथ है जो प्रतिभावान हैं और हिंदी माध्यम के हैं। केंद्र और यूपीएससी को इस बारे में सहानुभूति से सोचना चाहिए। गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कांग्रेस संसद के भीतर और बाहर इस लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार है।
आम आदमी पार्टी ने भी कहा कि वह प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगों का समर्थन करती है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया, केंद्र यूपीएससी मुद्दे पर सो रही थी और उसने स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने दिया। केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, पुलिस को प्रदर्शनकारी यूपीएससी छात्रों की पिटाई बंद करनी चाहिए। उनकी मांगें सही हैं। आप उनकी मांगों का समर्थन करती है।
बसपा ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, यह मुद्दा संसद में दोनों सदनों में पहले भी उठाया जा चुका है। केंद्र ने कहा है कि वह मामले को सुलझाएगी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं किया गया है और पार्टी इसकी निंदा करती है। भाजपा ने आलोचना के लिए कांग्रेस पर पलटवार किया। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, तीन सदस्यीय समिति का गठन पिछली यूपीए सरकार ने किया था। अब जब वे (कांग्रेस) विपक्ष में हैं, तो वे इस पूरे मामले के लिए हमें जिम्मेदार करार दे रहे हैं। असल में हम इसका समाधान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
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