बिहार : रेलवे परियोजना से विस्थापितों लोगों को पुनर्वासित नहीं करने से आक्रोश व्याप्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 31 अगस्त 2014

बिहार : रेलवे परियोजना से विस्थापितों लोगों को पुनर्वासित नहीं करने से आक्रोश व्याप्त

patliputra station
पटना। पाटलिपुत्र जंक्शन बनकर तैयार है। उद्घाटन समय निर्धारित करके स्थगित करने का सिलसिला जारी है। जिसके कारण पाटलिपुत्र जंक्शन का रेल परिचालन शुरू नहीं किया जा सका। यहां से जो गाड़ी चलने वाली थी। उसे दानापुर जंक्शन से चलायी जा रही है। यहां से गाड़ी परिचालन नहीं करने का मुख्य कारण विस्थापितों को पुनर्वासित नहीं करने से है। हालांकि रेलवे ने सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी है। सभी झोपड़पट्टी के लोगों को दीघा नहर के किनारे ढकेल दिया गया है। 

फिलवक्त सरकार रेलवे परियोजना से विस्थापित लोगों को पुनर्वासित नहीं कर सकी। हर दरबार में पर जाकर मत्था टेककर गुहार लगाए। गरीब लोगों ने कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और पत्रकारिता के द्वार पर दस्तक दिये। परन्तु सब कुछ नाकाम साबित हो रहा है। नतीजा सिफर पर ही निकला। रेलवे ने सुरक्षा के नाम पर सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी है। इस दीवार के अंदर ही झोपड़पट्टी में रहने वालों को ढकेल दिया गया है। हाल  में सुरक्षा दीवार गिर जाने से दर्जनों लोग घायल हो गए। 
   
सूबे के विभिन्न जिलों से आकर दो दशक पहले गरीब लोग रेलवे की खाली भूखंड पर सड़क के किनारे रहने लगे । इस सड़क के किनारे में अपनी औकात के गरीब लोग झोपड़ी बनाकर रहने लगे। कुछेक साल बेहतर जिन्दगी बिताने के बाद फिर गरीबों को सड़क के किनारे से हटाकर खाली भूखंड के मध्य में कर दिया गया। इस बीच मध्य पूर्व रेलवे के द्वारा नागरिकों को तौहफा के रूप में गंगा नदी पर सड़क सह रेलवे पुल मिला। इसको गंगा सेतु का नाम दिया गया। जो पटना से सोनपुर तक की दूरी को कम कर देगी। इसके आलोक में गरीबों को नहर के किनारे कर दिया गया। इस तरह गांव से विस्थापित होकर शहर में आने वालों को पुनर्वास नहीं किया गया। 
  
landless in bihar
यहां पर 456 घरों में कमजोर वर्ग के गरीब रहते हैं। इन लोगों ने अपने निवास स्थल का नाम विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता टेसलाल वर्मा के नाम पर टेसलाल वर्मा नगर रख दिया। सरकार के द्वारा सभी तरह की सुविधा उपलब्ध करायी जाने लगी। इसके बाद लद्यु और दीद्र्यकालीन आंदोलन चलाने के लिए गरीबों ने जन संगठन के दामन थाम लिये। 

वर्ष 2007 में पुनर्वास की मांग को लेकर दानापुर ब्लाॅक के परिसर में लगातार 9 महीने बेमियादी सत्याग्रह किया गया। सत्याग्रह के दौरान जगन्नाथ बिंद की पत्नी तेतरी देवी की शहीदी मौत हो गयी। गांधी के देश में सत्याग्रह से बात नहीं बनने पर गरीब लोग 2008 में माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किये। माननीय न्यायालय ने प्रस्ताव पारित कर बिहार सरकार को पुनर्वास करने की दिशा में कदम उठाने का आदेश जारी कर दिया। मगर सरकार ने गरीबों के पक्षधर नहीं बनी और पुनर्वास का मामला अधर में लटक गया। इसके बाद टेसलाल वर्मा नगर के गरीबों ने वर्श 2011 में 6 माह तक बेमियादी धरना दिये। मान्यवर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री, प्रधान सचिव, पटना प्रमंडल के आयुक्त, जिलाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, दानापुर, उप समाहर्ता, राजस्व एवं भूमि सुधार, दानापुर, अंचलाधिकार, दानापुर आदि के पक्ष गुहार लगाते-लगाते थक गये। परन्तु आजतक पुनर्वासित नहीं किया गया। 



आलोक कुमार 
बिहार 

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