अलकायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तानी फौज छावनी के इर्द-गिर्द पकड़ा जाना और मारा जाना सबूत के तौर पर गवाह है। अब तक हुए आतंकी धमाकों के बाद पकड़े गए आतंकियों ने खुद पाकिस्तान को अपना महफूज वाला स्थल बताया है। यासिन भटकल की गिरफतारी के बाद से जिस तरह एक के बाद एक भारतीय खुफिया एजेंसियों के हाथ अलकायदा के आतंकी लग रहे है, उससे अलकायदा की न सिर्फ नीव हिल गयी है बल्कि उसके कमर तोड़ने में सफल रहे है। ऐसे में अलकायदा भारत को अपना टारगेट तो बनायेगा ही। ऐसे हालात में सिर्फ एलर्ट ही नहीं बल्कि कारगर उपाय करने होंगे खासकर धार्मिक स्थलों व भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बेहद चैकसी बरतनी होगी।
आतंकी संगठन अलकायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस्लाम के दुश्मन के तौर पर पूरी दुनिया में दिखाना चाहता है। ऐसे में भारत को इस धमकी भरे वीडियों को काफी गंभीरता व संजीदगी से लेना होगा। मतलब साफ है पाकिस्तान में चल रही उठापठक व वहां की सेना द्वारा सुंरग के जरिए जिस तरह आतंकियों को भारत सीमा में घुसपैठ कराने की नापाक कोशिशें से लगातार की जा रही है, उसके मंसूबे साफ नहीं है। वैसे भी पाक आईएसआई अलकायदा, इंडियन मुजाहिद्दीन सहित कई आतंकी संगठनों को समय-समय पर खाद-पानी देकर उसे हरा-भरा करता रहा है। अलकायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तानी फौज छावनी के इर्द-गिर्द पकड़ा जाना और मारा जाना सबूत के तौर पर गवाह है। अब तक हुए आतंकी धमाकों के बाद पकड़े गए आतंकियों ने खुद पाकिस्तान को अपना महफूज वाला स्थल बताया है। यहां जिक्र करना जरुरी है कि यासिन भटकल की गिरफतारी के बाद से जिस तरह एक के बाद एक भारतीय खुफिया एजेंसियों के हाथ अलकायदा के आतंकी लग रहे है, उससे अलकायदा की न सिर्फ नीव हिल गयी है बल्कि उसके कमर तोड़ने में सफल रहे है। जाहिर सी बात है ऐसे में अलकायदा भारत को अपना टारगेट बनायेगा। वैसे भी सीआईए जब खुद भारत को आतंकी धमाकों से सजग करने की बात कर रहा है तो मामला बेहद गंभीर है। भारत को पल-पल चैकन्ना तो रहना ही पड़ेगा। शनिवार को सहारनपुर से गिरफतार एजाज शेख जो अलकायदा का सक्रिय सदस्य है और जामा मस्जिद धमाके का अभियुक्त भी है, का पकड़ा जाना अपने आप में गवाही दे रहा है कि वह उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में आतंकी नेटवर्क बनाने के लिए किस तरह उतावले है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडू में कुछ युवकों द्वारा आईएसआईएस टी-शर्ट पहनकर घूम रहे है, तो कुछ युवक बड़े पैमाने पर इस टीशर्ट को बनाने का आर्डर दिए है और बेरोजगार युवकों को अपने संगठन में शामिल कर रहे है। 11 जुलाई को और बाद में ईद के दिन 29 जुलाई को कश्मीर में कुछ युवाओं को आइएस के झंडे फहराते देखे चुके हैं। कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि आइएस समर्थक गतिविधियां निकट भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी देखी जाएं। मतलब कहीं न कहीं से आईएस की भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में घुसपैठ हो चुकी है। पेशावर और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में आईएस समर्थकों में अपना प्रोपोगैंडा अथवा प्रचार साहित्य वितरित किया है। इसमें आईएस ने अपने आपको ‘दौलते इस्लामिया’ के रूप में प्रस्तुत किया है और लोगों से खलीफा के समर्थन में जेहाद छेड़ने की अपील की है। इसके अलावा आईएस ने अमेरिका को खुलेआम धमकी दी है कि वह मुंबई में हुए 26 नवंबर जैसी घटना ब्रिटेन में भी करेंगे। सूत्र बताते है कि अलकायदा वर्तमान में ब्रिटेन के बराबर भौगोलिक क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित कर चुका है। खुफिया तंत्र ने यह भी सूचना दी है कि अलकायदा व आईएम इराक में कहर बरपा रहे आईएसआईएस से भी संपर्क साधा है।
माना जा रहा है कि अगर तीनों आतंकी संगठनों का मिलना हुआ तो भारत, ब्रिटेन व अमेरिका में बड़ी घटना को अंजाम दे सकते है। इस रिपोर्ट पर बल मिलता है आंतकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए एक दूसरे से कम्यूनिकेट कर रहे हैं। वह इसके लिए फेसबुक और कुछ ईमेल सर्विस वालों की चैट फसलिटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को यह जानकारी देते हुए बताया है कि आईएम का को-फाउंडर रियाज भटकल भी सोशल नेटवर्किंग के जरिए अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहा है। मोबाइल-कम-कंप्यूटर ऐप्लिकेशन आईएम निम्बज आतंकियों की पहली पसंद है। वे इसका प्रयोग फ्री कॉलिंग, फ्री मेसेजिंग के लिए करते हैं। सीमा पर घुसपैठ की तमाम साजिशें नाकाम होने के बाद पाकिस्तान सुरंग के जरिए घुसैपठ की कोशिश कर रहा है। खबर है कि सीमा पर सुरंगे मिलने का क्रम जारी है। सुरंग की ऊंचाई करीब 8 से 10 फीट है और चैड़ाई 2 से 2.5 फीट है। जिसमें एक आदमी आराम से आर-पार जा सकता है। इन सुरंगों का क्या मकसद है, कहीं फिर से कारगिल की तैयारी तो नहीं है। माना जा रहा है इस सुरंग में अलकायदा के आंतकी छीपें होंगे।
पाकिस्तान के सरजमी से ही जारी घमकी भरा वीडियों अलकायदा की आधिकारिक मीडिया वेबसाइट अस-सहाब पर जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में कायदात अल जिहाद नाम से अलकायदा की नई शाखा खोलने का ऐलान किया है। कहा जा रहा है कि इस शाखा की कमान पाक आतंकी आसिम उमर को दी गई है। यू ट्यूब, सोशल मीडिया पर मौजूद जवाहिरी के विडियो को जांच के बाद एजेंसियों ने सही पाया। विडियो में जवाहिरी ने कहा है कि अल कायदा की नई शाखा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद का परचम बुलंद करेगी, इस्लामी शासन वापस लाएगी और अल्लाह की शरीयत को मजबूत बनाएगी। ऑनलाइन पोस्ट किए गए अपने 55 मिनट के विडियो में जवाहिरी ने अफगानिस्तान के तालिबानी नेता मुल्ला उमर के प्रति अपनी वफादारी को दोहराया है। जवाहिरी के ऐलान से साफ हो गया है कि अल कायदा अपनी पुरानी ताकत को फिर से हासिल कर आईएस के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती भी देना चाहता है। साल 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल कायदा के चीफ बने अल जवाहिरी ने इस कदम को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुस्लिमों के लिए अच्छी खबर बताया है। जवाहिरी ने कहा कि अल कायदा की यह नई शाखा मुस्लिमों को अन्याय और जुल्म से बचाएगी।
दिल्ली पुलिस ने गत दिनों आईएम के छह संदिग्धों के खिलाफ सप्लिमेंटरी चार्जशीट दाखिल करते हुए आतंकी सूचनाएं दी थी। चार्जसीट में कहा गया है कि संदिग्ध ईमेल और चैट मैसेंजर्स के जरिए भगौड़े भटकल के साथ कम्यूनिकेट करते हैं। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरोपियों ने निम्बज, याहू, पैलटॉक, जीमेल और फेसबुक के कई सारे आईडीज का खुलासा किया है। वे आपस में चैट के जरिए मेसेज भेजते हैं। पिछले कुछ सालों या महीनों से वे इन आईडीज के जरिए एक दूसरे से निरंतर जुड़े हुए हैं। कई बार एनक्रिप्टेड फाइल्स भेजने और मंगाने के अलावा ये लोग कई फर्जी डॉक्युमेंट्स एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए भी इनका प्रयोग करते रहे। इनके ठेकानों से पहले ही भारी संख्या में विदेशी असलहें बरामद हो चुके है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से आईएम यानी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन का सक्रिय सदस्य एजाज शेख की गिर्तारी को खुफिया एजेंसी इसी कड़ी से जोड़कर देख रही है। शेख पूणे का रहने वाला है। लेकिन हाल ही में हुए सहारनपुर व मुजफरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगे के दौरान से शेख की मौजूदगी खुफिया एजेंसियों की नींद उ़ा दी है। कहा जा रहा है किवह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में था। यह आतंकी दिल्ली सहित कई महानगरों में धमका कर चुका है। जामा मस्जिद धमाका का अभियुक्त है। वह अपने नेटवर्क के जरिए यूपी में कई हमलों को अंजाम देना चाहता हैं। इस वीडियों की सत्यता चाहे जो भी हो, भारत के विरुद्ध अलकायदा के सुनियोजित हमले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के काफी दिन बाद अल जवाहिरी का कोई नया वीडियों आया है। इस दौरान इस्लामिक स्टेट के जेहादी आतंकवाद ने पश्चिमी एशिया में इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अ बवह लीबिया लेबनान में भी अपने पांव पसारने की जुगत में है। हालांकि इस्लामिक स्टेट ने जेहादी इस्लाम के अगुवा के रुप में अलकायदा के प्रभुत्व को खारिज कर दिया है। इस नए संगठन द्वारा खिलाफत की घोषणा और उसकी सैन्य सफलताओं ने चरमपंथी लड़ाकों और ऐसी हरकतों को धन तथा तकनीकी सहयोग देने वाले तत्वों की की नजर में अलकायदा के आकर्षण को काफी हद तक कम कर दिया है। नाइजीरिया में बोको हरम और पाकिस्तान में तहरिक-ए-तालिबान भी अल जवाहिरी के नेतृत्व से स्वायत्त होकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे है। ऐसे में अलकादा को अपनी शाख बनाएं रखने के लिए नए मोरचों की जरुरत है, क्योंकि अफ्रीका और अफगानिस्तान के अलावा एशिया में उसके लिए जगह नहीं बची है। अलजवाहिरी के इरादों को नेस्तनाबूत करने की चुनौती सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि विश्व समुदाय को भी इसे गंभीरता लेना होगा। क्योंकि वीडियों में कहा है कि अलकायदा ब्रिटिश साम्राज्य के समय खींची गई कृत्रिम सीमाओं को, जो मुसलमानों को अलग-अलग देशों में बांटती है, ध्वस्त कर देगा। हालांकि वह ऐसा कहते समय शायद भूल गया कि ऐसी सीमाओं में डूरंड लाइन भी है और इसके ध्वस्त करने का मतलब पाकिस्तान का विघटन होगा।
फिलहाल आतंकवाद से निपटने का हमारा जो ढांचा है उसे सशक्त बनाने की जरूरत है। आंतरिक कलह त्यागकर भारतीय राजनेताओं को एकजुटता प्रदर्शित करनी होगी। राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों व अन्य गतिविधियों पर तत्काल रोक लगानी होगी। देश की एकता और संप्रभुता को चुनौती देने वाले को सीधे-सीधे एक निर्धारित अवधि के लिए अंदर कर दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर एक काउंटर टेररिज्म एकेडमी का गठन हो, जहां सशस्त्र पुलिस बलों को आतंकवाद से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाए। देश को पश्चिमी सीमाओं को भी और चाक-चैबंद करना होगा। घुसपैठ किसी भी दशा में नहीं होना चाहिए। बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा तगड़ी करनी होगी। ऐसे भी कदम उठाने की जरुरत है, जिससे आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर अब तक होती गलतियां फिर से ना दोहराई जाएं। ढाई दशक के स्िरय अलकायदा ने अनके देशों में आतंकवाद का जो खूनी खेला है, वह सबके सामने है। 13 साल पहले 11 सितम्बर को अमेरिका पर हुए हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इसमें 3 लोगों की मौत के बाद दुनिया ने अलकायदा की ताकत और उसके नापाक इरादों को देखा था। 3 साल पहले अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद संगठन कमजोर पडता जा रहा था। आईएसआईएस के बढते प्रभाव से अलकायदा को घुटन महसूस होने लगा था। अपनी शक्ति का एहसास कराने के लिए वर्तमान में वह किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसे हालात में सिर्फ एलर्ट ही नहीं बल्कि कारगर उपाय करने होंगे खासकर धार्मिक स्थलों व भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बेहद चैकसी बरतनी होगी। बिहार चुनाव के दौरान मोदी की सभा से पहले बड़ा धमाका को भी हल्के में लिया जाना चाहिए।
(सुरेश गांधी)

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