ममता पर शारदा के अखबारों को प्रोत्साहित करने का आरोप - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 10 सितंबर 2014

ममता पर शारदा के अखबारों को प्रोत्साहित करने का आरोप


mamta banerjee
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर शारदा समूह के अखबारों को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त पूर्व न्यायाधीश ए. के. गांगुली ने बुधवार को कहा कि देश में ऐसी कोई सरकार नहीं है जिसने लोगों को यह 'आदेश' देने की कोशिश नहीं की होगी कि उन्हें कौन सा अखबार पढ़ना है। उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी को याद होगा कि उन्होंने कभी यह निर्देश दिया था कि लोगों को कौन सा अखबार पढ़ना चाहिए। ये अखबार भी अब बंद हो चुके हैं। क्योंकि ये अखबार भी शारदा चिट फंड के पैसे से चल रहे थे।"

पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष गांगुली ने कहा कि शारदा समूह किसी भी अखबार में मास मीडिया की विशेषता नहीं थी। यहां एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "वे केवल यशगान (मुख्यमंत्री का) कर रहे थे। मैं नहीं जानता कि देश की किसी अन्य सरकार ने लोगों को यह बताने की कोशिश की थी कि उन्हें कौन सा अखबार पढ़ना चाहिए।"

गांगुली की यह टिप्पणी राज्य सरकार के मार्च 2012 में दिए गए आदेश की तरफ था। इस आदेश के तहत सरकार ने सभी अंग्रेजी अखबार सहित प्रमुख दैनिकों को सरकारी सहायता प्राप्त पुस्तकालयों में प्रतिबंधित कर दिया था। स्वतंत्रत चिंतन को प्रोत्साहन देने के नाम पर केवल आठ बांग्ला, उर्दू और हिंदी अखबारों को ही अनुमति दी गई थी। जिन अखबारों को अनुमति दी गई थी वे सभी सरकार समर्थक थे और उनमें से कई शारदा समूह द्वारा खरीद लिए गए थे।

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