विशेष : अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 30 सितंबर 2014

विशेष : अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी

  • मो.जब्बार के परिवार के लोग ‘शेरू’ को देंगे अल्लाह को

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पटना। दीघा थाना क्षेत्र के नवाबकोठी में मो. जब्बार रहते हैं। इनके और इनकी पत्नी हसीना खातून के दो लड़के और एक लड़की हैं। लड़के में दसवीं कक्षा में मो.कादिर और लड़की में नौवीं कक्षा में साजिया परवीन अध्ययनरत हैं। मो.शाबीर कार्यरत हैं। पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में स्थित वैंकोस कम्पनी में खुद मो.जब्बार लैथमैन के पद पर कार्यरत हैं। इस छोटे परिवार की अभिलाषा थी। हमलोग भी अल्लाह को कुर्बानी दें। मगर गरीबी के कारण कामयाब नहीं हो पा रहे थे। इस साल कुर्बानी देने में सफल हो गए हैं। अभी से ही तैयारी करने में जुट गए हैं। 

मखदुमपुर मोहल्ला में स्थित इन्द्र प्रसाद गंगस्थली उच्च विघालय में अध्ययनरत साजिया परवीन कहती हैं कि हमलोग अल्लाह को कुर्बानी देने की तैयारी में हैं। अब्बा मो.जब्बार ने मखदुमपुर मोहल्ला से खस्सी खरीद कर लाए हैं। 2 खस्सी की कीमत 15 हजार रू.लगी। हमलोगों ने एक खस्सी को नासरीगंज में रहने वाले रिश्तेदार को दे दिए हैं। ‘शेरू’ नामक खस्सी को रख लिए हैं। वह 3 सितम्बर 2014 को घर में आया है। सभी लोगों का दिल जीत लिया है। बिन बिछावन के सोता ही नहीं है। वह हमेंशा मेरे बिछावन में आकर सोता है। क्या मजाल की वह बिछावन पर पैशाब और पैखाना कर दें। बिछावन से बिल्कुल हटकर मल त्याग करता है। 

मो. जब्बार कहते हैं कि जिस घर से खस्सी खरीदकर लाए हैं। उसने खस्सी की कीमत 15 हजार रू.को बेटी के नाम से बैंक में फिक्स कर दिया है। जब बड़ी होगी। उसी राशि में और अधिक राशि मिलाकर सामाजिक धर्म और पिता का कत्र्तव्य निभा देगा। उन्होंने कहा कि ‘शेरू’ को विशेष आहार दिया जाता है। जब से वह घर में आया है। तब से सभी लोगों का दिल जीत लिया है। हमलोगों का आजीज दोस्त बन गया है। संबंध प्रगाढ़ हो चला है। अभी 20 किलोग्राम का है। कुर्बानी का समय 6 अक्तूबर आते-आते और मिलनसार हो जाएगा। भावुकता में आकर मो.जब्बार कहते हैं कि आखिरकार अल्लाह को सबसे न्यारी और प्यारी चीज को ही कुर्बान कर देनी है। इसे बेहतर कुर्बानी हो ही नहीं सकती है। जो हमलोगों के परिवार के अभिन्न अंग ‘शेरू’ बन गया है। एक सवाल के जवाब में साजिया परवीन कहती हैं कि ‘शेरू’ की कुर्बानी के दिन रोने लगेंगी। मबर तुरन्त संभलकर कहती हैं कि अल्लाह के नाम पर वियोग सह लूंगी। हर्गिज नहीं रोएंगी।




आलोक कुमार
बिहार 

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