मोदी और ओबामा ने संयुक्त ऑप एड पेज पर लिखा आलेख - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 30 सितंबर 2014

मोदी और ओबामा ने संयुक्त ऑप एड पेज पर लिखा आलेख

 अपने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संयुक्त संपादकीय लिखने के लिए पहली बार एक दूसरे से डिजिटल माध्यम से अंतर्संवाद किया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी एवं राष्ट्रपति ओबामा ने एक अमेरिकी अखबार में संयुक्त रूप से एक आप एड (संपादकीय पृष्ठ के सामने वाले पृष्ठ पर एक संयुक्त संपादकीय) लिखा है, जो कल प्रकाशित होगा। हालांकि दोनों पक्षों के अधिकारी इस आलेख के संबंध में काफी गोपनीयता बरत रहे हैं। उन्होंने उस अखबार का नाम भी नहीं बताया जिसमें यह प्रकाशित होगा।

जब प्रवक्ता से पूछा गया कि दोनों नेताओं ने संयुक्त संपादकीय के लिए किस तरह से तालमेल बिठाया, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति ओबामा डिजिटल कूटनीति के बहुत ही बड़े पैरोकार हैं अतएव डिजिटल ढंग से अंतर्संवाद करना बहुत आसान था। प्रधानमंत्री के यहां पहुंचने के बाद उसे (आलेख को) आज ही अंतिम रूप दिया गया।

जब उनसे पूछा गया कि यदि दोनों नेता डिजिटल ढंग से इतने सक्रिय थे तो उनके बीच साइबर जगत में विचार विनिमय क्यों नहीं हुआ, उन्होंने कहा, इंतजार कीजिए और देखते जाइए। प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि पहली बार कोई भारतीय नेता संयुक्त संपादकीय लिखने की दिशा में आगे बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने अमेरिका आने से पहले वाल स्ट्रीट जर्नल में एक आलेख लिख था। वह मई में सत्ता संभालने के बाद पहली बार अमेरिका यात्रा पर आए हैं। राजन ने कहा मुद्रास्फीति का जोखिम अब भी उंचा है हालांकि यह मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा की तुलना में कम हुआ है। इसलिए यदि कोई जोखिम सामने आता है कि उसके दबाव से निपटने के लिए नीतिगत रप से तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी विनिमय दर की स्थिरता से मुद्रास्फीति के जोखिम पर कुछ अंकुशल लगेगा।

आर्थिक वृद्धि के संबंध में राजन ने कहा कि दूसरी और तीसरी तिमाही की वृद्धि दर पहली तिमाही के मुकाबले कम रहेगी लेकिन चौथी तिमाही ज्यादा आशाजनक दिखती है। राजन ने यह भी कहा कि प्रस्तावित छोटे बैंकों और भुगतान बैंकों के लाइसेंस के बारे में अंतिम दिशानिर्देश नवंबर के आखिर तक जारी कर दिए जाएंगे। गैर बैंकिंग फिनांस कंपनी के लिए नियामकीय ढांचे में बदलाव संबंधी अंतिम मानदंड अक्टूबर के आखिर तक पेश किए जाएंगे।

बैंकों को निर्यात ऋण पुनर्वित्त (ईसीआर) सुविधा के तहत प्रदान की जाने वाली उधार की सुविधा बकाया निर्यात ऋण के 32 प्रतिशत के मुकाबले घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। नयी व्यवस्था 10 अक्टूबर से प्रभावी होगी। आरबीआई ने हालांकि नकदी समायोजन सुविधा के तहत एक दिन, सात दिन और 14 दिन की रेपो सुविधा की शर्तों में बदलाव नहीं किये हैं।

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