अपने पूर्ववर्ती पी. सतशिवम के केरल का राज्यपाल का पद स्वीकार करने के प्रति गंभीर असहमति प्रदर्शित करते हुए प्रधान न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी प्रधान न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद कुछ समय तक कोई सरकारी पद या संवैधानिक निकाय में नहीं जाना चाहिए। अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मीडिया से मुखातिब होते हुए लोढ़ा ने ढाई वर्ष की उपशमन अवधि रखने का सुझाव दिया।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "मेरा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश और न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद संवैधानिक हैसियत या सरकार से संबद्ध हैसियत स्वीकार करनी चाहिए। यह ढाई वर्ष की उपशमन अवधि के बाद होना चाहिए।"
वैसी संस्थाएं और न्यायाधिकरणों जहां सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ही अध्यक्ष बनाया जाना अनिवार्य है, का ध्यान रखते हुए प्रधान न्यायाधीश लोढ़ा ने कहा कि इसका एक विकल्प उनके वैधानिक प्रावधान में संशोधन कर वैकल्पिक उपाय की राह खोलना या फिर दो वर्ष तक इंतजार करना हो सकता है।

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