बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को कहा कि दवा खरीद में 14 करोड़ रुपये की गड़बड़ी के मामले की जांच चल रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्लीनचीट देते हुए कहा कि यह गड़बड़ी उस समय की नहीं है जब उनके जिम्मे स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार भी था। पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभारी स्वास्थ्य मंत्री रहते यह गड़बड़ी नहीं हुई है। गड़बड़ी जिस मंत्री के कार्यकाल में हुई है, उसकी जांच चल रही है।
उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री का नाम तो नहीं लिया, मगर कहा कि इस मामले में राज्य स्वास्थ्य समिति से जुड़े अधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच कराई जाएगी। मांझी ने इशारे-इशारे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा, "जो दवा घोटाले का आरोप लगा रहे हैं, उनके कार्यकाल की जांच हो रही है तो उनको घबराने की क्या जरूरत है। जिस समय यह घोटाला हुआ उस समय नीतीश कुमार स्वास्थ्य मंत्री नहीं थे।"
भाजपा नेताओं ने दवा घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। इस पर मांझी ने कहा कि राज्य सरकार की एजेंसी दवा घोटाले की जांच में सक्षम है। उन्होंने कहा, "भाजपा नेताओं पर भले ही नागवार गुजरे, मगर हमलोग गहन जांच करा रहे हैं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा भले ही वह मंत्री हो या संतरी।"
मंत्रिमंडल विस्तार के विषय में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब यह महागठबंधन का मामला है। जनता दल (युनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में जो निर्णय होगा, उस सामूहिक निर्णय के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में कार्यवाही होगी। उल्लेखनीय है कि खुद स्वास्थ्य विभाग ने बिहार में दवा खरीद में गड़बड़ी की बात स्वीकार की है। विभाग ने 60़ 63 करोड़ रुपये की दवा खरीद में 14़ 4 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मानी है।

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