वाराणसी नगर निगम द्वारा वरुणा से लगे इलाके में दिनदहाड़े कूडा पाटने के विरोध में आज साझा संस्कृति मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा सरैया स्थित पुराने पुल के निकट सत्याग्रह किया गया. उल्लेखनीय है कि पुराने पुल के निकट विगत कई माह से लगातार कूडा डम्प किया जा रहा है, इसके अतिरिक वरुणा नदी के प्रायः सभी पुलों के किनारे डाला जा रहा है, इसकी शिकायत गत दिनों मंच ने नगरायुक्त, जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से की थी किन्तु कोई कार्यवाही नही हुयी, क्षुब्ध होकर मंच द्वारा आज शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर एक धरने के माध्यम से सत्याग्रह किया गया .इस दौरान इस स्थान पर दर्जनों ट्रकों और डंपरों को कूड़ा गिराने से रोका गया. इस सत्याग्रह में क्षेत्रीय नागरिक भी शामिल रहे. इन नागरिकों का आरोप था कि मना करने के बाबजूद कूड़ा लगातार गिराया जा रहा है और इससे एक उपासना स्थल पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, उन्होंने खा कि यह सब भूमाफियाओं के इशारे पर नगर निगम और विकास प्राधिकरण की मिलीभगत से हो रहा है.
3 घंटे के धरना और विरोध के बाद मंच के कार्यकर्त्ता समूह में जैतपुरा थाने पहुचे, वहां कूड़ा गिराने, प्रदूषण फ़ैलाने, और गंगा में कचरा डालने के दोषी नगर आयुक्त, ड्राइवरों और अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध लिखित शिकायत दी गयी और उनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग की गयी. वहां मौजूद थानाध्यक्ष शिव कुमार मिश्र, क्षेत्राधिकारी चेतगंज राहुल मिश्र ने पहले तो शिकायती पत्र लेने से ही मना कर दिया बाद में उच्चाधिकारियों से बातचीत करने के बाद जांच का आश्वासन दिया.
इसके पूर्व 3 घंटे चलाए गए धरने के दौरान हुयी बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वाराणसी नाम का उद्भव जिन नदियों ‘वरुणा’ और ‘असि’ के नाम पर हुआ है वे दोनों नदियाँ आज गटर जैसी स्थिति में हैं. नगर निगम द्वारा लगातार कूडा डाले जाने से स्थिति गंभीर हो गयी है. नदी की भूमि पर अवैध कब्जे आने वाले दिनों में गंगा, गोमती, वरुणा आदि नदियों के लिए हजारो करोड़ की परियोजनाएं आएँगी, जिससे निस्संदेह इन नदियों का मूल स्वरूप प्रभावित होगा और कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुचेगा. वक्ताओं ने गम्भीर चिता व्यक्त करते हुए कहा कि वरुणा नदी पर बने पुलों से खुले आम कूड़ा डम्प किया जा रहा है, जो अंततः गंगा में ही पहुंचता है. स्थिति भयावह होती जा रही है और सरकारी विभाग एवं जिम्मेदार लोग परियोजना बनाने और संगोष्ठियों के आयोजन में लगे हुए हैं.”असि” नदी अपना अस्तित्व खो चुकी है, एक तरफ जहाँ 2 अक्टूबर से प्रधान मंत्री जी पूरे देश में “स्वच्छ भारत अभियान” संचालित करने जा रहे हैं दूसरी ओर खुलेआम नदियों में कूडा पाटा जा रहा है. इसी क्रम में वक्ताओं ने कहा कि संत कबीर प्राकट्य स्थल का लहरतारा तालाब, मोतीझील तालाब, सगरा तालाब, खरबूजा शहीद स्थित इए अनेक कुंड और तालाब हैं जिनका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है लेकिन ये कुंड और तालाब आज दुर्दशाग्रस्त स्थिति में हैं और इन पर अवैध अतिक्रमण होता जा रहा है इसी प्रकार नजूल की जमीनों पर भी हो रहे अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त की गयी. वक्ताओं ने बनारस के ऐतिहासिक और पौराणिक स्वरूप की कीमत पर ‘क्योटो’ या ‘सेंटियागो’ जैसे विकास माडल को खारिज करते हुए कहा कि बनारस के विकास की योजना बनाते समय यहाँ की विशेषताओं को ध्यान में रखना होगा. किसी और विदेशी शहर का माडल यहाँ स्वीकार्य नहीं हो सकता. रिवर फ्रंट बनाने के क्रम में घाटों के स्वरूप, मछुवारा समाज की आजीविका, पर्यावरण आदि पहलू को भी ध्यान में रखना होगा.
कार्यक्रम में फादर आनंद, डा नीता चौबे, मुनीजा खान, डा राजेश श्रीवास्तव, अफलातून देसाईं, वल्लभाचार्य पाण्डेय, डा आनंद तिवारी, नंदलाल मास्टर, दीन दयाल सिंह, दीपक पुजारी , प्रदीप सिंह , सतीश सिंह, सूरज पाण्डेय, विनय सिंह, राम जनम यादव, कमलेश चौहान, गिरसंत कुमार, राजकुमार पटेल, गोपाल पाण्डेय आदि की प्रमुख भूमिका थी, कार्यक्रम के दौरान प्रेरणा कला मंच के कलाकारों द्वारा जनवादी गीत प्रस्तुत किये गए.

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