उत्तराखंड की विस्तृत खबर (24 सितम्बर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 सितंबर 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (24 सितम्बर)

आपदा के मृतकों को मिलेगी पांच लाख की आर्थिक सहायता 

uttrakhand news
देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। इस वर्ष की दैवीय आपदा में मृतक आश्रित को 5 लाख रूपए की सहायता राशि दी जाएगी। इस वर्ष मानसून में दैवीय आपदा में दुकानों को हुए नुकसान पर मुआवजे को भी पैकेज में लाया जाए। बुधवार को बीजापुर में पौड़ी जनपद के विभिन्न स्थानों पर दैवीय आपदा से हुई भारी क्षति के अध्ययन के लिए गठित समिति व संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सिंचाई विभाग सुखरो, मालन, खौ आदि नदियों के किनारे बाढ़ सुरक्षा के लिए कार्ययोजना तैयार करे। आपदा में पशुधन की हानि पर मुआवजा सीमित संख्या में ना होकर पशुओं की वास्तविक संख्या के आधार पर दिया जाए। सीएम ने सचिव लघु सिंचाई विनोद फोनिया को निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले के एक ब्लाॅक में लघु सिंचाई का आॅडिट करवाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार काम करके एक माह में एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। जिलाधिकारी समिति के सुझावों के आधार पर आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता के अनुसार छांट कर कार्य करवाएं। इससे अति आवश्यक प्रकृति के काम जल्द हो सकेंगे। दैवीय आपदा से नष्ट हुई गूलों, सड़कों, ग्रामीण मार्गों, पेयजल लाईनों,  की मरम्मत के लिए लघु सिंचाई, लोनिवि, पीएमजीएसवाई, जलनिगम को आवश्यक धनराशि का प्राविधान किया जाए। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पौड़ी चंद्रशेखर भट्ट को आपदा के बाद के कार्यों की लगातार माॅनिटरिंग कर शासन को अवगत करवाने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि जनपद पौड़ी के यमकेश्वर, दुगड्डा व द्वारीखाल विकासखण्डों में 2014 के मानसून के दौरान अतिवृष्टि, भूस्खलन व बाढ़ आने से हुई क्षति के अध्ययन के लिए संसदीय सचिव विक्रम सिंह नेगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इसमें श्रीमती सरोजनी कैंतुरा व श्री जगमोहन भण्डारी सदस्य के तौर पर शामिल थे। अपनी रिपोर्ट में समिति ने नुकसान की जानकारी देते हुए बताया कि यमकेश्वर व रिखणीखाल विकासखण्ड में 6-6 जनहानि रही। इसी प्रकार मकान, पशुधन, कृषि भूमि की क्षति होने के साथ ही सड़क मार्गों, पेयजल योजनाओं, बिजली, ग्रामीण सड़कों, सिचाई नहरों को भी भारी नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में प्रभावित परिवारों से मिली जानकारी के हवाले से बताया गया कि मृत व्यक्तियों के परिजनों को अनुमन्य सहायता प्रदान की जा चुकी है। इसी प्रकार क्षतिग्रस्त भवनों, पशुओं व कृषि भूमि की हानि, के लिए अनुमन्य सहायता के साथ ही अहेतुक सहायता का वितरण भी जिला प्रशासन द्वारा किया गया। समिति ने यमकेश्वर, द्वारीखाल व दुगड्डा विकासखण्डों में क्ष्तिग्रस्त मोटर मार्गों की जानकारी देते हुए कहा है कि अधिकांश सडक मार्ग हालांकि खोल दिए गए हैं परंतु अनेक मार्गों में सुधार किया जाना आवश्यक है। इसी प्रकार क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं की मरम्मत के लिए विभाग को धनराशि उपलब्ध करवाई जाए। बैठक में समिति के अध्यक्ष व सदस्यों के अतिरिक्त प्रमुख सचिव एसएस संधु, सचिव भाष्करानंद, डीएस गब्र्याल, विनोद फोनिया, मोहम्मद शाहिद, अमित नेगी, अपर सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

मंगल सफलता पर मुख्यमंत्री ने दी देश को बधाई

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देशवासियों को मंगलयान की मंगल की कक्षा में ऐतिहासिक सफलतापूर्वक प्रस्‍थापना पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने इसरो सहित देश के सभी वैज्ञानिकों को भी इस सफलता पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम सभी के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। देश के वैज्ञानिकों ने अपनी प्रतिभा और क्षमता से पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है। 

कांग्रेस ने मंगलयान की सफलता का श्रेय सोनिया व मनमोहन को दिया

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मंगलयान के सफलतापूर्वक  मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित होने पर इसरो के वैज्ञानिकों तथा यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी व तत्कालीन प्रधानमंत्राी डाॅ0 मनमोहन सिंह को बधाई देते हुए कहा है कि इस यान का सफलतापूर्वक पहुंचना ऐसी शक्तियों के मुंह पर करारा तमाचा है जो पिछले एक वर्ष से देश में घूम-घूम कर भारत की प्रगति को नकारते हुए कह रहे थे कि साठ वर्षों में भारत में विकास नहीं हो सका है। किशोर उपाध्याय ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि 15 अगस्त 2011 को लाल किले से अपने सम्बोधन में डाॅ0 मनमोहन सिंह ने मंगलयान के अभियान के लिए 450 करोड़ रुपये की घोषणा करते हुए कहा था कि जल्द ही भारत का स्वदेशी तकनीक से निर्मित यान मंगल ग्रह पर पहुंचेगा। इस यान के पहुंचने से न केवल वैज्ञानिक क्षेत्र में बल्कि गरीबी उन्मूलन से लेकर विकास के विभिन्न क्षेत्रों में भारत तेजी से विकास कर सकेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस अभियान की सफलता कुछ ही समय में प्राप्त नहीं हुई है बल्कि यह भारत की निरन्तर विकास यात्रा का उपलब्धि पूर्ण पड़ाव है। श्री उपाध्याय ने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों सहित देश की समूची प्रतिभा ने विश्व में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। श्री उपाध्याय ने कहा कि आज पूरा भारत विज्ञान की इस सपफलता से इसलिए भी कृतज्ञ है कि यह अभियान पूरी तरह स्वदेशी निर्मित होने के साथ यू0पी0ए0 सरकार के एक सपने का पूरा होना है। श्री उपाध्याय ने इस अभियान से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि उनके इस प्रयास का पूरा देश आभारी है और यह ऐसी शक्तियों के लिए बड़ी सीख है जो भारत की प्रगति को सिरे से नकार कर केवल अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति में लगी रहती है। श्री उपाध्याय ने उत्तराखण्ड राज्य के सभी कांग्रेस जनों की ओर से इस उपलब्धि पर देश के नागरिकों को बधाई देते हुए कहा कि विज्ञान की उपलब्ध्यिों के आधार पर जल्द ही उत्तराखण्ड राज्य में नई कार्य योजना बनाकर राज्य को विकसित करने का कार्यक्रम बनाया जायेगां।

मंगलयान की सफलता से गौरवान्वित हुआ राष्ट्र: महाराज

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता सतपाल महाराज ने कहा कि मंगलयान की सफलता पर देश को अपने वैज्ञानिकों पर नाज है। मंगलयान मिशन में जुटे इसरो के वैज्ञानिकों को उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासो व सतत् अनुसंधान के कारण ही भारत ने प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह पर तिरंगा फरहा दिया। भाजपा नेता महाराज ने कहा कि विश्व के तीन देशों ने ही अभी तक मंगल ग्रह तक पहुंचने में कामयाबी पाई है और आज भारत विश्व का चैथा देश तथा प्रथम प्रयास में ही सफलता के कारण विश्व का प्रथम देश हो गया जिसने मंगल पर यान भेजने में सफलता प्राप्त की। उन्होनंे कहा कि जय जवान! जय किसान! और जय विज्ञान! ही भारत को विकसित देशों की कतार में खड़ा करने का मूल मंत्र है। राश्ट्र को अपने जवानों, किसानों और वैज्ञानिकों पर गर्व है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल महाराज ने आगे कहा कि युवा वैज्ञानिकों की जो नई टीम देश के विकास में लगी है निश्चित ही वह देश को विकसित देशों की कतार में खड़ा करेगी। उन्होंने कहा कि रूस, अमेरिका और स्पेन के बाद अब भारत भी मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला चैथा देश हो गया। इसरो के वैज्ञानिकों ने मंगल पर यान भेज कर जो कार्य किया है राष्ट्र उसके लिए सदैव उन्हें याद रखेगा और हर भारतवासी अपने वैज्ञानिकों पर गर्व महसूस कर रहा है।

उत्तराखंड मे स्थापित हो एनआईएफटी: दुर्गापाल

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। नई दिल्ली में स्थित स्कोप काम्पलैक्स आॅडिटोरियम, में आयोजित राज्यों के कपड़ा मंत्रियों के वार्षिक सम्मेलन में उत्तराखण्ड के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, श्रम सेवायोजन मंत्री हरीश चंद दुर्गापाल ने  प्रतिभाग करते हुए केन्द्र सरकार से उत्तराखण्ड में एक एनआईएफटी की स्थापना करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रदेष के पर्वतीय क्षेत्रों में दो मिनी टैक्सटाईल पार्क स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया है, ताकि स्थानीय कच्चेमाल पर आधारित उद्यमों के साथ टैक्सटाईल पार्क का लिंकेज स्थापित किया जा सके। इसका लाभ पर्वतीय क्षेत्र के हथकरघा उद्योग को भी मिल सकेगा। प्रदेष में वस्त्र उद्योग के एकीकृत विकास के दृश्टिगत राज्य सरकार ने वस्त्र मंत्रालय की टैक्सटाईल पार्क योजना के अन्तर्गत जसपुर(ऊधमसिंहनगर) में लगभग 75 एकड़ भूमि पर टैक्सटाईल पार्क की स्थापना प्रस्तावित की है। उन्होंने पार्क की विस्तृत परियोजना बनाने के लिये 31 मार्च, 2015 तक का समय देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हथकरघा क्लस्टर विकास योजना के अन्र्तगत कन्सोलिडिषन अवयव को कम से कम 3 वर्श चलाये जाने एवं कुल सहायता रू0 30 लाख तक किया जाये। उत्तराखण्ड राज्य पर्वतीय राज्य होने तथा जनसंख्या का घनत्व कम होने के कारण यहाॅ बड़े क्लस्टर सीमित हैं। राज्य के लिये ग्रुप एप्रोच योजना अधिक लाभदायक है। उन्होने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड राज्य के लिये ग्रुप एप्रोच योजना में केन्द्र सरकार द्वारा पर्याप्त बजट का प्राविधान किया जाय। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में प्राकृतिक रेषों एवं बांस के विकास के लिये उत्तराखण्ड बैम्बू एण्ड फाईबर डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड द्वारा उत्तराखण्ड के प्राकृतिक रेषों पर अनुसंधान एवं विकास कार्य किये जा रहे हैं। प्राकृतिक रेषों के क्लस्टर्स में समुदाय आधारित उद्यमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मांग (प्दकनेजतपंस भ्मउच) की खेती उत्तराखण्ड के लिये उपयोगी हो सकती है। प्राकृतिक रूप से उग रही मांग में टीएचसी की मात्रा अधिक होने के कारण इसकी व्यवसायिक खेती नहीं की जा सकती। कम टीएचसी के मांग की प्रजातियों को राज्य में प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंनंे उत्तराखण्ड मंें प्राकृतिक रेशों पर शोध एवं उत्पाद विकास के लिये एक सेन्टर आफ एक्सीलेंस की स्थापना करने का केन्द्र सरकार से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य विषेश श्रेणी का राज्य है। इसलिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं सहित हथकरघा एवं हस्तशिल्प की सभी योजनाओं में उत्तर-पूर्व एवं जम्मू-कष्मीर की भाॅति उत्तराखण्ड के लिये भी केन्द्रांष तथा राज्यांष का अनुपात 90ः10 रखा जाय। सम्मलेन का उद्घाटन बुधवार को केन्द्रीय कपड़ा (स्वतंत्र प्रभार) संसदीय कार्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार द्वारा किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये कपड़ा मंत्रियों ने भी प्रतिभाग किया। 

संस्कृत सम्मेलन के नाम पर फिजूल खर्ची

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)।  उत्तराखण्ड क्रांति दल ने अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के आयोजन को फिजूल खर्ची बताते हुए  इसे निरस्त करने की मांग की है। उक्रांद का कहना है कि जहां पूरा पहाड़ आपदा के भारी संकट से गुजर रहा है वहां अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के नाम पर एक करोड़ रूपये का खर्च किया जाना सरकारी धन की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है। दल के मीडिया प्रभारी मनमोहन लखेड़ा ने कहा कि संस्कृत सम्मेलन की आड़ मंे बेहताशा पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है जिसमें सिर्फ 240 छात्र-छात्राओं के ही भाग लेने की संभावना है। उन्होंने कहा कि संस्कृत  विश्वविद्यालय हरिद्वार में पिछले काफी समय से अवैध नियुक्तियों का खेल चल रहा है। यूजीसी के 2009 के नियमों को दरकिनार कर अपने-अपने चहेतों को नियुक्तियां प्रदान की जा रही है। तयशुदा अभ्यर्थियों का एक दिन पहले दस्तावेज लेना, साक्षात्कार दिखाना और  अगले दिन नियुक्ति आदेश थमाना संशय पैदा करता है। अवैध नियुक्तियों के खिलाफ बार-बार जांच की मांग  पर सरकार कार्रवाई करने से हिचकिचा रही है। कुलपति महावीर प्रसाद अग्रवाल के खिलाफ जांच के आदेश को भी ठंडे बस्ते मंे डालकर उन्हंे मनमानी करने के लिए खुला छोड़ दिया गया है। विश्वविद्यालय भवन बनाने के नाम पर एक कार्यदायी संस्था को ढाई करोड़ रूपये  अग्रिम दिये जाने के खिलाफ भी जांच की मांग की जा रही है। लखेड़ा ने कहा प्रदेश के आधे से ज्यादा विश्वविद्यालयों में रजिस्टार नहीं है और जहां  चयनित रजिस्टार हैं उन्हें अयोग्य ठहरा कर प्रदेश से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुयोग्य और ईमानदार लोग काम करने के इच्छुक हैं लेकिन सरकार मंे बैठे नेता,  अधिकारी और शिक्षा माफिया ईमानदारों को  काम करने से रोक रहे हैं।  ईमानदार लोगों को चुन-चुन कर यहां से हटाया जा रहा है। लखेड़ा ने प्रश्न उठाया कि यहां से हटाये गये रजिस्टार सुधीर बुड़ाकोटि इस समय इन्द्रा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय  नई दिल्ली में रजिस्टार के पद को संभाले हुए हैं अगर वे अयोग्य होते तो उन्हें इन्द्रा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय का रजिस्टार  क्यों बनाया जाता?   उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय में नियमित रजिस्ट्रार न होने की वजह से आर्थिक घोटाले तो हो ही रहे हैं, साथ ही साथ विश्वविद्यालयों में अवैध नियुक्तियों का गोरखधंधा फल-फूल रहा है, जिस पर समय रहते अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नियमित रजिस्ट्रारों की नियुक्ति की जाए और जब तक रजिस्टार नियुक्त नहीं होते तब तक नियुक्तियों पर पाबंदी लगायी जाए।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के ढाॅंचे पर हुई चर्चा 

देहरादून 24 सितम्बर, (निस)। प्रदेश के कृषि, कृषि विपणन व उद्यान मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित कार्यालय कक्ष में जैव प्रौद्योगिक विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कर्नाटक व अन्य प्रदेशों में अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में जैव प्रौद्योगिकी ने एक बहुत सुदृढ़ आधार दिया है। उन्होंने कहा कि कृषकों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एक क्रान्तिकारी आधार दिया है। बैठक में उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बायोटेक्नोलाॅजी विभाग को काउन्सिल बनाया जायेगा। इसके लिए जरूरी प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये जिससे इसको कैबिनेट में लाया जा सके। जैव प्रौद्योगिक विभाग जिसका मुख्यालय पंतनगर के हल्दी में है, इस विभाग को साइन्स एवं टैक्नोलाॅजी से हटाकर एक अलग विभाग या काउन्सिल बनाने की दिशा में कार्य करें। बैठक में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के ढाॅंचे पर विचार विमर्श किया गया जिसमें 27 साइनटिस्ट (वैज्ञानिक) जी.बी.डी.सी. की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया। जिससे जैव प्रौद्योगिक निदेशालय सुचारू रूप से कार्य कर सके। इसके लिये प्रतिनियुक्ति  से वैज्ञानिक नियुक्त करने के निर्देश निदेशक जैव प्रौद्योगिकी को दिये। उन्होंने कहा कि उक्त निदेशालय में 8 प्रयोगशालाएॅं हैं। तथा जिसमें और मशीनें तथा उपकरण क्रय कर प्रयोगशाला के प्रयोगार्थ क्रय किये जाने हैं। इसके लिए मंत्री जी ने अपर सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, निदेशक जैव प्रौद्योगिकी एवं वित्त नियंत्रक की एक त्रि-स्तरीय कमेटी गठन करने के निर्देश दिये। उक्त कमेटी उपकरणों का क्रय एवं प्रयोगशालाओं को सुव्यवस्थित करेगी। बैठक में उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो 4-5 यूनिवर्सिटी चल रही है। टैक्निकल यूनिवर्सिटी, मेडिकल यूनिवर्सिटी हैं। उससे बायोटेक्नोलाॅजी  एमओयू. करेगी। जिससे यहां के प्रतिभावान छात्रों को इस जैव प्रौद्योगिकी विभाग में पी.एच.डी. करने का सौभाग्य भी प्राप्त होगा। बैठक में उन्होंने कहा कि पन्तनगर विश्वविद्यालय को पूर्व में जो 2 करोड़ 75 लाख रू0 दिये थे। इसके बदले जैव प्रौद्योगिक विभाग को सर्किल रेट पर विभाग की आवश्यकतानुसार भूमि मुहैया करायेगी तथा शेष बचा धन जैव प्रौद्योगिकी विभाग को मय ब्याज के रुप में वापिस करने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में मंत्री जी ने कहा कि जैव प्रौद्योगिक विभाग प्रदेश में क्रांति लाने के लिये टिशू कल्चर तैयार करेगी हाल्टिकल्चर  विभाग प्रदेश में टिशू कल्चर से उत्पादित पौधरोपण का कार्य करेगा। धन की कमी इनमें आड़े नहीं आयेगी। उन्होंने कहा कि 10 करोड़ रू0 पहले से ही विभाग के पास मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिक पार्क बनाने की जरूरत है या नहीं इसका अध्ययन निदेशक जैव प्रौद्योगिकी एवं कुलपति पन्तनगर विश्व विद्यालय करेंगे। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 11 फंडिंग एजेन्सि कार्यरत है। जैसे डी0एस0टी0, डीबीटी, आईसीआर, आरकेवीआई जो फंन्डिग का कार्य करती हैं। इसके लिए विभाग निरन्तर इन ऐजेन्सियों  से अनुश्रवण करें जिससे उत्तराखण्ड में इनका उपयोग किया जा सके। बैठक में मनीषा पंवार प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।  विजय कुमार ढ़ौढियाल अपर सचिव, राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी। प्रो0 मैथ्यू प्रसाद कुलपति पन्तनगर विश्व विद्यालय। डाॅ0के0पी0सिंह निदेशक जैव प्रौद्योगिकी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

उत्तराखंड के लोगों की मांगों को पूरा करने का मिला भरोसा 

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जयपुर/देहरादून, 23 सितम्बर (निस)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद का उत्तराखंड महासभा राजस्थान द्वारा जयपुर में जोरडार स्वागत किया गया । अपने दो दिवसीय दौरे पर राजस्थान पहुंचे डा. निशंक वनस्थली विद्यापीठ के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुवे थे । उसके बाद उत्तराखंड समाज के लोगों ने जयपुर के गढ़वाल सभा भवन  में डा. निशंक के स्वागत में भव्य आयोजन किया इस दौरान लोगों ने सामूहिक बैठक का भी आयोजन किया जिसमे स्वयं रमेश पोखरियाल निशंक ने भी शिरकत की लोगों ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह राजस्थान सरकार से उनकी कुछ मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करें । उत्तराखंड महासभा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बी.एस.रावत ने और गढ़वाल सभा जयपुर के अध्यक्ष चन्द्र सिंह रावत ने डा. निशंक से आग्रह किया कि वह प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से मिलकर हमारी मांगे उन तक पहुंचाने में उत्तराखंड समाज के लोगों को सहयोग प्रदान करें। लोगों की मांग थी कि राजस्थान सरकार जयपुर में गढ़वाल  भवन के निर्माण हेतु रियायती दरों 3 हजार गज (एक बीघा) जमीन मुहय्या कराये। जिससे उत्तराखंड समाज के लोग तीज त्योहारों के मौकों पर संगठित होकर अपने क्षेत्र के धार्मिक, पारम्परिक, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सामूहिक आयोजन कर मेल मिलाप कर सकें व संगठित रह सकें । गढ़वाल सभा जयपुर के अध्यक्ष चन्द्र सिंह रावत ने कहा कि गहलोत सरकार के वक्त राजस्थान में उत्तराखंड की बेटी बबली की गैंग रेप के बाद हत्या कर दी गई थी जिसके बाद उत्तराखंड के लोगों ने बबली को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर कैंडिल मार्च किया लेकिन तब गहलोत सरकार ने उत्तराखंड के  बेकसूर 50 से 60 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था और आज भी सभी लोगों पर मुकादमा चल रहा है लोगों ने ने मांग की है कि डा. निशंक राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से वार्ता करें और उत्तराखंडियो पर हुए मुकदमे वापस लेने को कहें । बैठक के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुुन्धरा राजे से मुलाकात कर लोगों की मांगांे से उन्हें अवगत कराया और राजस्थान की मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डा. निशंक को आश्वस्त किया कि लोगों की मांगों पर गहनता से विचार कर निवारण करने की दिशा में कार्य करने के निर्देश सम्बंधित अधिकारीयों को शीघ्र ही दिए जायेंगे ।

30 सितम्बर से 6 अक्टूबर तक देश भर में बैंकों में प्रायः नहीं होगा काम काज व्यापार पर इसका असर दिखेगा -कैट

देहरादून, 24 सितम्बर (निस)। आगामी 30 सितम्बर और एक अक्टूबर को बैंकों की अर्द्धवार्षिक क्लोजिंग और उसके बाद लगातार पांच दिन की छुट्टियों को देखते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश भर के व्यापारियों को सलाह दी है की वो अपने बैंक के काम काज 29 सितम्बर तक पूरा कर लें क्योंकि उसके बाद लगभग आठ अक्टूबर के बाद ही बैंकों में सामान्य रूप से काम काज हो पाना संभव होगा। देश भर के व्यापारिक संगठनों को भेजे एक प्रपत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा है कि 30 सितम्बर और एक अक्टूबर को बैंकों की अर्द्धवार्षिक क्लोजिंग है जबकि दो अक्टूबर को गांधी जयंती, तीन अक्टूबर को दशहरा, चार अक्टूबर को शनिवार होने के कारण बैंकों में आधे दिन ही काम होगा, पांच अक्टूबर को रविवार और बकरीद है जबकि बैंकों ने बकरीद के लिए छह अक्टूबर को छुट्टी घोषित कर रखी है। इस तरह मौटे तौर पर लगभग एक सप्ताह बैंकों में कोई काम काज नहीं होगा और इतने दिनों की छुट्टियों के कारण सभी बैंकों पर सात और आठ अक्टूबर दोनों दिन काम का बेहद बोझ होगा और बैंकों में सामान्य रूप से काम काज उसके बाद ही संभव होने की सम्भावना है । गुरूवार (25 अक्टूबर) से नवरात्र शुरु हो रहे हैं और देश भर में नवरात्र से ही व्यापारियों का त्यौहारी सीजन शुरू हो जाता है जो दिवाली तक चलेगा और उसके तुरंत बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा जो 14 दिसंबर तक चलेगा लेकिन इसी बीच क्रिसमस और नव वर्ष का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे समय में जब ​त्यौहारी  सीजन शुरू हो रहा है तब लगातार इतने दिन तक बैंकों के छुट्टियों के कारण कारोबारियों को जहाँ प्रतिदिन के बिक्री की नकद राशि अपने पास रखनी पडे़गी वहीँ बैंक बंद होने से बैंकों के द्वारा होने वाला कारोबार भी अधिक रूप से प्रभावित होगा। इसी को दृष्टि में रखते हुए कैट ने देश भर के व्यापारियों को सलाह दी है की बैंक से सम्बंधित अपने सभी जरूरी काम काज 29 सितम्बर तक अवश्य पूरा कर लें जिसे अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।

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