प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आज दुनिया कई जी समूहों में बंट गया है। संयुक्त राष्ट्र जैसा संगठन के होने बावजूद कई जी समूह बना लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्या यह बेहतर नहीं होगा कि अलग-अलग समूहों के बजाय एक ही 'जी ऑल' हो जाए। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में मोदी ने सवाल किया, 'क्या हम इंटर डिपेंडेंट होने के बाद भी एकजुट हो पाए हैं?' मोदी ने कहा कि जिस साइबर और स्पेस के क्षेत्र में हम सभी साथ थे, अब वहां झगड़े की बातें हो रही हैं। जिस समुद्र से हम जुड़ते हैं, वह हमारे लिए संघर्ष का कारण बन रहा है।
उन्होंने कहा कि कई ऐसे लोग हैं जो दूसरों के लाभ को अपना नुकसान और दूसरों के नुकसान को अपना फायदा समझते हैं, हमें इस प्रवृत्ति को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी देशों को इसके लिए उपाय करने होंगे, ऐसे नियम बनाने होंगे जिसमें अपना विकास तो हो लेकिन दूसरे का नुकसान न हो। मोदी ने कहा कि कोई भी देश या समूह दुनिया की दिशा और दशा तय नहीं कर सकता। दुनिया के सभी देशों को समय के साथ बदलना होगा। अगर वैश्विक संस्थाएं समय के साथ नहीं बदलीं तो उन पर अप्रासंगिक होने का खतरा पैदा हो जाएगा।
मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उचित विस्तार की अपेक्षा है। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन को बेहतर बनाया जाए, इसके लिए इसमें शामिल देशों को निर्णय लेने में भी जगह मिले। उन्होंने कहा कि सयुक्त राष्ट्र 70 साल का होने जा रहा है, यह लेखा-जोखा का साल है, इस पर विचार मंथन हो। आइए हम सुरक्षा परिषद में विस्तार की बात को पूरा करें। हम 2015 के विकास लक्ष्य को आगे बढ़ाएं।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हो :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत करनी चाहिए और इसे अंगीकार करना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्मवाद का अनिवार्य हिस्सा है। हम प्रकृति की विपुलता को पवित्र मानते हैं। उन्होंने कहा कि योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है। मोदी ने कहा कि योग मन और शरीर को, विचार और कार्य को, अवरोध और सिद्धि को साकार रूप प्रदान करता है और यह व्यक्ति और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाता है। यह स्वास्थ्य को अखंड स्वरूप प्रदान करता है। इसमें केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मनुष्य के बीच की कड़ी है। यह जलवायु परिवर्ततन से लड़ने में हमारी मदद करता है। उन्होंने आह्वान किया, "आइए, हमसब मिलकर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत करें।"
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया अभी महत्वपूर्ण समय से गुजर रही है, बड़े युद्ध नहीं हो रहे हैं लेकिन कई समस्याएं मौजूद हैं। आतंकवाद नित कई रूपों में हमारे सामने आ रहा है और इससे लड़ने के लिए सभी को साथ आना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम अपने क्षेत्र में 40 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं, यह नित नए रूप में हमारे सामने आ रहा है। सवाल यह है कि आतंकवाद से निपटने के लिए क्या हम मिलकर प्रयास कर रहे हैं? मोदी ने कहा कि आज भी कई देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं और यह उनकी नीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए हम सभी को साथ आना चाहिए।
वसुधैव कुटुम्बकम है भारत की परंपरा :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसकी परंपरा हमेशा से 'वसुधैव कुटुम्बकम' की रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसने दुनियाभर में न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के हक में आवाज उठाता रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया का छठा हिस्सा रहता है और यह देश सामाजिक आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में लोकतंत्र की लहर है। अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान में लोकतंत्र की सफलता दिखाई दे रही है। मोदी ने कहा कि अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में स्थिरता की नई उम्मीद दिख रही है। लैटिन अमेरिका स्थिरता के लिए स्थिरता के लिए एकजुट हो रहा है और यह विश्व के लिए उदाहरण हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य क्षेत्र की स्थिरता से जुड़ा है।
बाढ़ पीड़ित कश्मीर की मदद का समय :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा यहां उठाने से कोई हल निकल आएगा, इस पर शक है। उन्होंने कहा कि अभी कश्मीर में बाढ़ की समस्या है, हमारा ध्यान पीड़ितों को राहत पहुंचाने पर होना चाहिए।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक दिन पहले महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाया था और वहां जनमत संग्रह कराने की बात कही थी। मोदी ने अपने जवाब में कहा, "हमारा भविष्य क्षेत्र की स्थिरता से जुड़ा है, इसीलिए हमारी सरकार ने पहले दिन से ही पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध के प्रयास किए हैं।" उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी सहायता की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ सार्थक और शांतिपूर्ण वार्ता चाहता है 'लेकिन पाकिस्तान की भी यह जवाबदेही है कि वह बातचीत के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाए।'

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