जम्मू एवं कष्मीर में आई बाढ़ के बाद अब वहां महामारी का खतरा मंडराने लगा है। बाढ़ के बाद राज्य में महामारी और संक्रामक रोगों के खतरे को रोकना केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती हो गया है। बाढ़ के बाद घाटी में पानी तो कम हुआ है लेकिन हर जगह मलबा और पषुओं के षव बिखरे हुए हैं। षव सड़ने से दुर्गंध की वजह से लोगों का सांस लेना मुष्किल हो रहा है। जम्मू एवं कष्मीर के सरहदी जि़ला पुंछ में भी बाढ़ की वजह से ज़बरदस्त नुकसान हुआ है। बाढ़ के कारण पुंछ जि़ले में 27 लोगों की मौत हुई जबकि 65 लोग घायल हुए और 1557 पषु मारे गए। मरने वाले पषुओं के षव सड़ने और गंदगी की वजह से जि़ले में संक्रामक बीमारियां तेज़ी से पांव पसार रही हैं। इस बारे में पुंछ के स्थानीय नागरिक व सामाजिक कार्यकर्ता निज़ाम दीन मीर कहते हैं कि बाढ़ की वजह से दूसरे जि़लों की तरह पुंछ में भी संक्रामक रोग जैसे सर्दी, जुकाम, वायरल-बुखार, खसरा, मलेरिया आदि तेज़ी से पांव पसार रहे हैं। जि़ले में लोगों को इलाज मुहैया कराने के लिए मेडिकल कैंप तो लगाए गए हैं लेकिन वह नाकाफी हैं। उन्होंने आगे बताया कि पुंछ की ओर राज्य सरकार को सबसे ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है क्योंकि जम्मू संभाग में सबसे ज़्यादा नुकसान पंुछ को ही हुआ है।
बाढ़ प्रभावित जम्मू एवं कष्मीर में जलजनित बीमारियों का प्रकोप रोकने के लिए केंद्र ने भारी मात्रा में दवाईयां और टीके यहां भेजे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कष्मीरा उच्च न्यायालय को बताया है कि खसरे की 5.5 लाख से अधिक खुराक तथा विटामिन ए की 30,000 षीषियां श्रीनगर के लिए और खसरे के टीके की 50,000 खुराक जम्मू के लिए भेजी गई हैं। उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजी गई राहत सामग्री पर्याप्त न होने का आरोप लगाया गया है। लेकिन पुंछ जैसे दूरदराज़ इलाकों में यह बहुत कम पहुंच पा रही हैं। इस बारे में पुंछ की सुरनकोट तहसील के स्थानीय निवासी एजाज़-उल-हक-बुखारी कहते हैं कि बाढ़ की वजह से पुंछ में ज़बदज़स्त बर्बादी हुुई और लोगों को जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ। वह आगे कहते हैं कि पुंछ में बाढ़ के बाद स्थिति और ज़्यादा भयावक हो गयी है। संक्रामक बीमारियों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बीमार लोग इलाज के लिए इधर-उधर मारे मारे फिर रहे हैं लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है। सरकार की ओर से लोगों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जो कैंप लगाए गए हैं वह नाकाफी हैं। वह आगे कहते हैं कि मैंने अपनी जिंदगी में तबाही का ऐसा मंज़र पहले कभी नहीं देखा।
इसके अलावा एक अन्य चुन©ती है ल¨ग¨ं का मानसिक स्वास्थ्य। मन¨वैज्ञानिक¨ं का मानना है कि इस तरह की किसी भी त्रासदी के बाद ल¨ग¨ं के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। त्रासदी के उपरांत ह¨ने वाले तनाव (प¨स्ट ट्राॅमेटिक स्ट्रैस डिसआॅर्डर) की वजह से मन¨र¨गिय¨ं के बढ़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। राज्य में विभिन्न तनाव¨ं की वजह से पहले ही मन¨र¨गिय¨ं की संख्या में मात्रात्मक वृद्धि हुई है। एक श¨ध के अनुसार 1990 तक जहां इस राज्य में 2000-3000 तक मन¨र¨गी थे वहीं म©जूदा समय में मन¨र¨गिय¨ं की संख्या बढ़कर 1,20,000 ह¨ गई है। ऐसे में बाढ़ के बाद लोगों का मानसिक स्वास्थ्य अब एक चिंता का विषय बन सकता है। ऊपर से ठंड का मौसम दस्तक देने को तैयार है। लोगों के घर-बार और उनका सब कुछ बर्बाद हो चुका है। इस समय तो कैंपों में रहकर लोग किसी तरह काम चला रहे हैं। ऐसे में सरकार की जि़म्मेदारी बनती है कि सर्दियों से पहले लोगों के सिर पर छत के साये का इंतेज़ाम के अलावा उन्हें कंबल और गर्म कपड़े भी दिए जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ठंड का मौसम आने पर स्थिति और ज़्यादा विकराल रूप ले सकती है।
आईबीएन 7 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भीशण बाढ़ की वजह से कष्मीर घाटी में स्वास्थ्य सुुविधाएं पूरी तरह तबाह बर्बाद हो चुकी हैं। घाटी के अस्पतालों में बाढ़ की वजह से करीब तीन से चार सौ करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। घाटी का सबसे बड़ा अस्पताल एसएमएचएस कष्मीर घाटी को अत्यधिक सुविधाएं देने सुपरस्पेषियलटी अस्पताल था, मगर आज ये अपनी बर्बादी पर रो रहा है। बाढ़ के दौरान इसकी पहली मंजि़ल आठ दिन तक पानी मे ंडूबी रही। अनुमान के मुताबिक इसी अस्पताल को तकरीबन 100 करोड़ से ज़्यादा नुकसान हुआ है। किसी तरह ओपीडी तो षुरू हुई हैं लेकिन मरीज़ों को दाखिल करना या जांच करना मुमकिन नहीं है। ऐसे में जब राज्य की ग्रीश्मकालीन राजधानी में लोगों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पुंछ जैसे दूरदराज़ इलाके में सरकार की ओर से मुहैया करायी जा रही चिकित्सा सुविधाएं कितनी कारगर साबित हो रही होंगी। बाढ़ के बाद पैदा हुए हालात को मद्देनज़र रखते हुए सरकार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रोे के लिए योजना बनाकर काम करने की ज़रूरत है ताकि राज्य में बाढ़ के हालत और ज़्यादा बदतर न हों।
गौहर आसिफ
संपर्क : 9990663512
(चरखा फीचर्स)


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