- अणुव्रत आंदोलन इंसान बनने की प्रेरणा देता है: आचार्य महाश्रमण
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर 2014, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन हर इंसान को अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देता है। आदमी कभी अच्छा या बुरा नहीं होता है। आदमी में गुणवत्ता का विकास होने पर, अच्छाइयां होने पर वह अच्छा बन जाता है और बुराइयां होने पर वह बुरा बन जाता है। आचार्य तुलसी ने इंसान को इंसान बनने की प्रेरणा देते हुए अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। अणुव्रत नैतिक गीत-गायन प्रतियोगिता भी बचपन से ही विद्यार्थियों में अच्छाइयों को विकसित करने एवं गुणों का विकास करने के लिए प्रयासरत है।
आचार्य श्री महाश्रमण अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास द्वारा आयोजित नैतिक गीत गायन प्रतियोगिता के समापन समारोह में अध्यात्म साधना केन्द्र में अपना उद्बोधन देते हुए बोल रहे थे। देश के पन्द्रह प्रांतों में चयनित लगभग 500 प्रतियोगियों ने प्रतियोगिता के माध्यम से एक ओर जहां अपनी कला व प्रतिभा का प्रदर्शन किया वहीं दूसरी ओर अणुव्रत के नियमों के माध्यम से नैतिकता के पथ पर पदन्यास करने का प्रयास किया। आचार्य श्री महाश्रमण ने प्रतियोगी बच्चों को नशामुक्ति का संकल्प दिलवाते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि नैतिकतापूर्ण गीतों को गाने वाले बच्चे इन गीतों के भावों को समझाते हुए उन्हें जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करें। समापन समारोह में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उनकी प्रतिभा की प्रशंसा की, उन्होंने कहा कि ये प्रतियोगिताएं बच्चों को नैतिकता की प्रेरणा देती है। श्रीमती दीक्षित ने आचार्य तुलसी के अवदानों की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्र में नैतिकता व चरित्र की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उनके जन्मशताब्दी के अवसर पर हमें उनके बताये मार्ग पर चलकर अपने जीवन को उन्नत बनाना चाहिए। इस अवसर पर मंत्री मुनिश्री श्री सुमेरमलजी लाडनूं व साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी ने भी उद्बोधन प्रदान किया। प्रथम दिन कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने बच्चों को अपना मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा कि आज राष्ट्र में अहिंसा, शांति एवं सद्भाव के साथ-साथ नैतिकता एवं चरित्र निर्माण की ज्यादा जरूरत है। आचार्य तुलसी ने इस दृष्टि से देश में एक क्रांति का शंखनाद किया था। अणुव्रत आंदोलन उसी की निष्पत्ति है। आचार्य महाश्रमण उन्हीं के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुए जन-जन में सद्भावना स्थापित कर रहे हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर प्रबंध न्यासी श्री संपतमल नाहाटा, संयुक्त प्रबंध न्यासी श्री सुशीलकुमार जैन व राष्ट्रीय संयोजक श्री विजयवर्धन डागा ने आये हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और व्यवस्थाओं को निर्देशित किया। दो दिनों तक प्रतियोगिताएं चार चरणों में चली। इस प्रतियोगिता के विभिन्न स्तरों पर पुरस्कृत प्रतियोगी इस प्रकार हैं- वरिष्ठ वर्ग समूह गायन प्रथम-डीएवी पब्लिक स्कूल, पश्चिम एन्कलेव (दिल्ली), कनिष्ठ वर्ग समूह गायन प्रथम-चिल्ड्रेनस अकादमी (मुम्बई), वरिष्ठ वर्ग एकल गायन प्रथम-डीएलएफ पब्लिक स्कूल साहिबाबाद (उत्तरप्रदेश), कनिष्ठ वर्ग एकल गायन-एसएस मोता सिंह पब्लिक स्कूल, जनकपुरी (दिल्ली)। इस कार्यक्रम की एक विरल बात रही कि प्रतियोगिता के दौरान एक साथ तीस संतों की उपस्थिति रही। लगभग 15 साध्वियों ने भी प्रतियोगिता का अवलोकन किया।
इस प्रतियोगिता के आयोजन में अणुव्रत न्यास के ट्रस्टी श्री अशोक संचेती, श्री प्रमोद घोड़ावत, श्री सुशीलकुमार जैन, श्री हरिसिंह तातेड़ की विशिष्ट भूमिका रही। वरिष्ठ प्रेक्षा प्राध्यापक श्री रमेश कांडपाल ने विद्यालयों से संपर्क करने में अपनी भूमिका निभाई। आयोजन की सफलता में सह संयोजक श्री विमल गुनेचा, श्री श्रेयांस डागा, श्री पवन डोसी, श्री विनय रायजादा, श्रीमती राज गुनेचा, श्री पुखराज डूंगरवाल आदि विशेष योगभूत रहे। पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का संचालन न्यासी ट्रस्टी श्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।
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