भारत की महिला बॉक्सर सरिता देवी को एशियन गेम्स में मेडल सेरिमनी में अपना ब्रॉन्ज मेडल लौटाने के लिए इंटरनैशनल बॉक्सिंग असोसिएशन (एआईबीए) की जांच का सामना करना पड़ेगा। बॉक्सिंग की विश्व संचालन संस्था के सुपरवाइजर ने उनके पदक लौटाने को 'अफसोसजनक' करार दिया है। वहीं तीन केंद्रीय मंत्री खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, गृह राज्य मंत्री किरण रिजूजू और पूर्वोत्तर मामलों के राज्य मंत्री वीके वीके सिंह सरिता को सपोर्ट किया है।
सरिता से मंगलवार को ही सिल्वर या गोल्ड मेडल जीतने का मौका छिन गया था, जब उन्हें कोरिया की जिना पार्क के खिलाफ सेमीफाइनल की बाउट में जजों के फैसले के आधार बाहर होना पड़ा था। इसी वजह से बुधवार को मेडल सेरिमनी में रोती हुईं सरिता ने अपना मेडल लौटा दिया था। एआईबीए ने बयान में कहा, 'एआईबीए ने इस मामले की समीक्षा के लिए अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है और फैसला एशियन गेम्स के तुंरत बाद किया जाएगा।'
एआईबीए ने अपने बयान में कहा कि इसके सुपरवाइजर और तकनीकी प्रतिनिधि डेविड बी फ्रांसिस ने एशियन ओलिंपिक परिषद (ओसीए) को इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंप दी है। फ्रांसिस ने लिखा, 'पूरी घटना उसके और उसकी टीम द्वारा एक सुनियोजित पटकथा की तरह लग रही है और एक बॉक्सर का मेडल लेने से इनकार करना खेदजनक है, भले ही प्रतिस्पर्धा में कुछ भी हुआ हो।'
फ्रांसिस ने कहा, 'इस संबंध में तकनीकी प्रतिनिधि के तौर पर मुझे इस घटना की समीक्षा के लिए ओसीए से आग्रह करना पड़ा, इसलिए कोई भी बॉक्सर या किसी अन्य खेल का ऐथलीट इस तरह से न करे और ओलिंपिक मूवमेंट के 'फेयरप्ले' के जज्बे और खेल भावना का सम्मान करे।'
एआईबीए के सुपरवाइजर ने कहा कि पूरी भारतीय मुक्केबाजी टीम एआईबीए रेफरियों और जज प्रणाली एवं प्रबंधन का विरोध कर रही थी जो निश्चित रुप से इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें एआईबीए तकनीकी और एओबी प्रतिस्पर्धा नियमों की पूरी समझ नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया कि विरोध करते हुए भारतीयों ने एआईबीए तकनीकी नियमों का पालन नहीं किया और जज के फैसलों का विरोध किया। नियम केवल रेफरियों के फैसले के खिलाफ विरोध की अनुमति देते हैं, जज के फैसले की नहीं।

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