27 नवंबर को बदरीनाथ व 25 अक्टूबर को होंगे केदारनाथ धाम के कपाट
- बुजुर्गों के कहा सरकार की है यह सराहनीय योजना
देहरादून, 3 अक्टूवर (निस)। विजयादशमी के मौके पर बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि निर्धारित हो गई। धाम के कपाट आगामी 27 नवंबर को शाम तीन बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। बदरीनाथ के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, रावल ईश्वरन नंबूदरी और धाम के हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में विजयादशमी के अवसर पर शुक्रवार सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे बदरीनाथ के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई। उल्लेखनीय है कि आपदा के बाद बदरीनाथ धाम के कपाट इसी साल बीती 5 मई को खुले थे। वहीं केदारनाथ धाम के कपाट भैय्यादूज के मौके पर 25 अक्तूबर को, द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 21 नवंबर को और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 30 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे। मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना के तहत ‘मेरे बुजुर्ग, मेरे तीर्थ’ देहरादून जिले के 20 बुजुर्गों बदरीनाथ के लिए प्रस्थान किया। उन्होंने सरकार की इस योजना को सराहनीय बताया। दल में शामिल कई बुजुर्गों का कहना है कि वे पहली बार धाम के दर्शन करेंगे जो सरकार की पहल के चलते फलीभूत हो पा रहा है. वहीं पौड़ी के पर्यटन आवास गृह में गुरुवार को मुख्य विकास अधिकारी सोनिका ने दल की बस को हरी झंडी दिखाकर बदरीनाथ के लिए रवाना किया। उन्होंने योजना के उद्देश्य के बारे में बताया। अपर जिलाधिकारी बीएस चलाल ने पर्यटन विभाग को बस में दवाइयां इत्यादि रखने के निर्देश दिए। बुजुर्गों के दल में शामिल मोल्ठी के बख्तावर सिंह, रैदुल के कीरत सिंह, रैदुल की प्यारी देवी, सोबती देवी ने कहा कि सरकार की इस योजना की जितनी सराहना की जाए, वह कम है। इस योजना के लागू होने से पहली बार उन्हें निशुल्क बदरीनाथ धाम जाने का मौका मिल रहा है। पौड़ी के इस योजना के तहत इस दल में 20 लोग शामिल हैं जिनमें बुआखाल के खेपन सिंह, के सुंदर के गबर सिंह, धरम सिंह रावत ने कहा कि योजना में अन्य जिलों की भांति पौड़ी जिले के बुजुर्गों के लिए तीन दिन की यात्रा कराई जानी चाहिए। जबकि पर्यटन अधिकारी पीके गौतम ने बताया कि बुजुर्गों के इस दल में 20 लोग शामिल हैं। इनमें 9 महिलाएं है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पूजा-अर्चना के बाद यह दल पौड़ी लौट आएगा।
मुजफ्फनगर काण्ड के अभियुक्तांे को सजा दिलाए जाने हेतु तीन सदस्यीय का स्वागतः कांग्रेस
देहरादून, 3 अक्टूवर (निस) । मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा दो अक्टूबर 1994 को घटित वीभत्स मुजफ्फनगर काण्ड के अभियुक्तांे को सजा दिलाए जाने हेतु तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित किए जाने का स्वागत किया है। शुक्रवार को यहां जारी एक संयुक्त बयान में उत्तराखण्ड सरकार में दर्जा प्राप्त व उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप तथा आपदा सहायता परिषद के उपाध्यक्ष विजय सारस्वत ने मुख्यमन्त्री हरीश रावत द्वारा मुजफ्फरनगर काण्ड के अभियुक्तांे को सजा दिलाए जाने के सकंल्प पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमन्त्री जमीनी के नेता हैं इसलिए लोगो को उनसे बड़ी आशाएं हैं, उन्होने विश्वास व्यक्त किया वे जन आकाक्षांओं पर खरे उतरेगें। धीरेन्द्र प्रताप ने मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों के हित में बड़े फैसले लेने के लिए उत्तराखण्ड राज्य की 15वीं वर्षगाठं पर देहरादून में राज्य कैबिनेट की बैठक बुलाने व बड़े फैसले लिए जाने की घोषणा का भी स्वागत किया व कहा,राज्य आन्दोलनकारियों के साथ जब जक हरीश रावत बतौर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हैं,उन्हे किसी प्रकार की चितां नहीं करनी चाहिए। उन्होने कहा सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को प्रतिबद्व है व इस मामले में सरकार कतई पीछे हटनी वाली नहीं है।
चकबन्दी पर दो दिवसीय मंथन षिविर का आयोजन
देहरादून, 3 अक्टूवर (निस)। राज्य के पर्वतीय अंचल में भूमि बिखराव व उसका निदान न होने के कारण अनेकों विसंगतियां पैदा हो रही हैं। खेती के अलाभकारी होने से निरन्तर खेत बंजर होते जा रहे हैं और आजीविका के लिये तेजी से पलायन हो रहा है। इससे घर खण्डहर व गांव वीरान होते चले जा रहे है किसी क्षेत्र में यह अधिक है तो कहीं इसकी गति कम है। यद्यपि पलायन के लिये कई दूसरे भी कारण हैं किन्तु भूमि बिखराव इसका सबसे प्रमुख कारण है और इसका प्रभावी निदान चकबन्दी है। राज्य के पर्वतीय में चकबन्दी लागू करने की मांग सामाजिक संगठन कई सालों से उठा रहे हैं और अपनी ओर से प्रयासरत हैं। लगातार मांग को देखते हुये सरकार भी गम्भीर दिख रही और इसे लागू करवाने के लिये हाल में एक पृथक निदेशालय का भी गठन किया गया है। किन्तु चकबन्दी जैसे विषय के पहलुओं पर परिचर्चा व प्रारूप बनाने की दिशा में आगे काम किया जाना है। इस पर जानकार लोगों की राय सामने आ सके और उन पर समाज में चर्चा हो सके इस उद्देश्य को देखते हुये चकबन्दी की अलख जगाने के लिये समर्पित संगठन गरीब क्रान्ति अभियान 7 एवं 8 अक्टूबर 2014 को जनसहयोग से संस्कृति भवन प्रेक्षागृह पौड़ी में एक द्विदिवसीय मंथन षिविर का आयोजन करने जा रहा है। इसमें चकबन्दी की आवश्यकता, पर्वतीय क्षेत्र में पुराना कृषि प्रणाली, कृषि क्षेत्र की उपेक्षा से पलायन कृषि की उपेक्षा के प्रभाव, मैदान में चकबन्दी, दूसरे राज्यों में चकबन्दी के उदाहरण, चकबन्दी न होने, के कारण अलाभकारी होती खेती, भूमि एकत्रीकरण के लाभ, कृषि क्षेत्र में संभावनायें पारम्परिक फसल बनाम नकदी फसलें, जड़ी बूटी एवं सगन्ध पादप की कृषि, पुष्पोत्पादन, मसाला उत्पादन, औद्यानीकरण, पशुपालन, ग्रामीण लघु उद्यम, कृषि जन्य स्वरोजगार, राज्य में भूमि की स्थिति, कृषि भूमि की मौजूदा स्थिति के अलावा कृषि भूमि की बर्बादी, अधिग्रहण, नगरीयकरण, बन्दोबस्त, रिकार्ड सुधारीकरण, पहाड़ भूमि प्रकार, पहाड़ में चकबन्दी कैसे लागू हो, भूमि संटवारे के प्राविधान, भूमि सम्बन्धी दूसरे सवाल व समाधान, पर्यावरण, जंगलों की आग, जंगली जानवरों के आतंक, सालों से बंजर हो चुके खेतों व पारम्परिक बीज से लेकर दूसरे विषयों चर्चा होगी। इस दो दिवसीय शिविर का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है जिसके लिये इसके भिन्न भिन्न जानकारों, विषय विशेषज्ञों, सामाजिक संगठनों, किसानों, चकबन्दी कार्यकर्ताओं व इसके पक्षधरों के मध्य चर्चा होने से बाद कई प्रकार के विचार व सुझाव सामने आने की उम्मीद है। इस शिविर की अनुसंशाओं को सरकार को भेजा जायेगा। इस अवसर पर एक पुस्तक का भी विमोेचन भी होगा एवं कार्यक्रम में कृषि एवं ‘‘पर्वतीय ग्रामों में चकबन्दी’’ मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

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