आठ आई आई टी की स्थापना में विलम्ब से 9500 करोड का नुकसान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

आठ आई आई टी की स्थापना में विलम्ब से 9500 करोड का नुकसान


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भारत के महानियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (सीएजी) ने ग्यारहवीं. पंचवर्षीय योजना में खुलने वाले आठ आई आई टी की स्थापना में विलम्ब होने से इसका खर्च ढाई गुना बढ जाने और इस तरह करीब 9500 करोड रूपए का नुकसान होने से सरकार की खिचाई की है। सीएजी ने संसद में पेश आज अपनी ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006 में प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकारी परिषद नें बिहार. आंध्रप्रदेश तथा राजस्थान मेंनए आई आई टी खोलने का प्रस्ताव किया था। बाद में 2007..12 में ग्यारहवीं. पंचवर्षीय योजना में पांच और आई आई टी यानी कुल मिलाकर 8 आई आई टी खोलने का प्रस्ताव हुआ। ये पांच आई आई टी उडीसा. गुजरात. पंजाब. हिमाचल . तथा मध्यप्रदेश में खुलने थे। इन सभी राज्यों से जमीन देने का अनुरोध किया गया। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाों में प्रति आई आई टी 760 करोड रूपए के हिसाब से कुल 6080 करोड रूपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।

इन नए आई आई टी में छह आई आई टी 2008-2009 में अस्थायी परिसर में चलने लगे जबकि 2009-10 में दो और आई आई टी अस्थायी परिसद से चलने भी लगे पर मार्च 2014 तक आठ में से तीन आई आई टी का भवन भी नहीं बन पाया जबकि पांच आई आई टी के भवन का 9 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ है तो किसी का 55 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ।  रिपोर्ट के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस वर्ष मई में आठ आई आई बनाने की योजना की का बजट 6080 से बढाकर।5664 करोड कर दिया है। इस तरह इसमें ढाई गुना वृद्धि हो गयी। अभी तक वित्त मंत्रालय की खर्च समिति ने इस वृद्धि को मंजूरी भी नहीं दी है और वित्त मंत्रालय ने भी मार्च 2014 तक केवल 2807 करोड 23 लाख रूपए ही जारी किए है जो संशोधित बजट का मात्र 18 प्रतिशत ही है। रिपोर्ट में कहा गया है आई आई टी परियोजना इसलिए विलम्ब हुई कि राज्य सरकार ने समय पर जमीन नहीं दी. मास्टर योजना देर से बनी पर्यावरण मंजूरी मिलने में भी देरी हुई. और भवन के वास्तु शिल्पकार की नियुकि्त में देरी हुई। आई आई टी का परिसर नहीं बनने से 6880 छात्रों की जगह केवल 2881 छात्रों का ही दाखिला हुआ और कुल 1888 शिक्षकों को नियुक्त करना था जबकि केवल 659 शिक्षकों की ही नियुकि्त हो पायी। 

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