इन नए आई आई टी में छह आई आई टी 2008-2009 में अस्थायी परिसर में चलने लगे जबकि 2009-10 में दो और आई आई टी अस्थायी परिसद से चलने भी लगे पर मार्च 2014 तक आठ में से तीन आई आई टी का भवन भी नहीं बन पाया जबकि पांच आई आई टी के भवन का 9 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ है तो किसी का 55 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ। रिपोर्ट के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस वर्ष मई में आठ आई आई बनाने की योजना की का बजट 6080 से बढाकर।5664 करोड कर दिया है। इस तरह इसमें ढाई गुना वृद्धि हो गयी। अभी तक वित्त मंत्रालय की खर्च समिति ने इस वृद्धि को मंजूरी भी नहीं दी है और वित्त मंत्रालय ने भी मार्च 2014 तक केवल 2807 करोड 23 लाख रूपए ही जारी किए है जो संशोधित बजट का मात्र 18 प्रतिशत ही है। रिपोर्ट में कहा गया है आई आई टी परियोजना इसलिए विलम्ब हुई कि राज्य सरकार ने समय पर जमीन नहीं दी. मास्टर योजना देर से बनी पर्यावरण मंजूरी मिलने में भी देरी हुई. और भवन के वास्तु शिल्पकार की नियुकि्त में देरी हुई। आई आई टी का परिसर नहीं बनने से 6880 छात्रों की जगह केवल 2881 छात्रों का ही दाखिला हुआ और कुल 1888 शिक्षकों को नियुक्त करना था जबकि केवल 659 शिक्षकों की ही नियुकि्त हो पायी।
शुक्रवार, 28 नवंबर 2014
आठ आई आई टी की स्थापना में विलम्ब से 9500 करोड का नुकसान
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