1993 मुंबई ब्लास्ट आरोपी याकूब मेमन की फांसी पर रोक बढ़ी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 10 दिसंबर 2014

1993 मुंबई ब्लास्ट आरोपी याकूब मेमन की फांसी पर रोक बढ़ी

1993-mumbai-serial-blasts-case-supreme-court-extends-stay-on-execution-of-yakub-memon
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट केस में मृत्युदंड पाने वाले एकमात्र अपराधी याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी पर रोक बुधवार को बढ़ा दी और मौत की सजा की समीक्षा की मांग संबंधी उसकी याचिका पर महाराष्ट्र के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और सीबीआई से जवाब तलब किया।  खुली अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस एआर दवे की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मेमन की फांसी पर इस समीक्षा याचिका के लंबित रहने के दौरान रोक लगी रहेगी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी, 2015 की तारीख तय की। शीर्ष अदालत ने कहा, 'हम नोटिस जारी कर रहे हैं।' इस पीठ में जस्टिस दवे के अलावा जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ हैं। 

मेमन के वकील ने कहा कि न तो निचली अदालत ने और न ही शीर्ष अदालत ने उसे फांसी के फंदे पर भेजने के खास कारण बताए हैं। मेमन ने अपने वकील के माध्यम से कहा, 'मेरी दोषसिद्धि कई आरोपियों की उन स्वीकरोक्ति पर आधारित है जिनसे वे पलट गए थे। समीक्षा की मांग वाले फैसले में उन तथ्यों एवं सबूतों का उल्लेख नहीं है जिससे पता चलता हो कि मैंने आतंकवादी गतिविधियों में हिस्सा लिया।' मेमन के वकील ने यह भी आरोप लगाया कि इस कांड में पूरा फैसला सुनाए जाने से पहले ही उनके मुवक्किल को टाडा अदालत ने दोषी ठहराकर मौत की सजा सुना दी, अतएव उसकी दोषसिद्धि वैध नहीं है। पहले इन समीक्षा याचिकाओं पर चैंबर्स में ही निर्णय होता था लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने फैसला दिया कि यदि मृत्युदंड के विरुद्ध ऐसे अनुरोध आते हैं तो उस पर खुली अदालत में सुनवाई हो। शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को मेमन के अनुरोध पर महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया था। 

मेमन ने मृत्युदंड के विरुद्ध अपनी समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने मेमन की फांसी पर स्थगन लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दो जून को व्यवस्था दी थी कि लंबी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सलाखों के पीछे गुजारे गए साल मृत्युदंड को कम कर उसे उम्रकैद में बदलने का आधार नहीं हो सकते और ऐसे कैदियों की समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए।  मेमन ने इसी फैसले का फायदा उठाते हुए अपने मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने की मांग की। मेमन मौत की सजा सुनाए गया ऐसा तीसरा व्यक्ति है जो अपनी समीक्षा याचिका की खुली अदालत में सुनवाई की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

कोई टिप्पणी नहीं: