सीआईए प्रमुख ने 9/11 हमले के बाद ‘वीभत्स’ यातनाओं की बात मानी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

सीआईए प्रमुख ने 9/11 हमले के बाद ‘वीभत्स’ यातनाओं की बात मानी

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सीआईए के प्रमुख ने 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ के लिए प्रश्नकर्ताओं द्वारा अपनाए गए तरीकों का बचाव किया है, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि कई मामलों में अपनाए गए तरीके अनाधिकृत और 'वीभत्स' थे। सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा आतंकी संदिग्धों के साथ किए गए बर्तावों की सीनेट रिपोर्ट के बाद वैश्विक स्तर पर रोष फैलने के बाद सीआईए के निदेशक जॉन ब्रेनान ने मीडिया को दिए दुर्लभ बयान में कहा, संवर्धित पूछताछ तकनीकों (ईआईटी) लागू करने के बाद बंधकों से जानकारी जुटाई गई थी, जो कि ओसामा बिन लादेन अभियान में महत्वपूर्ण थी।

ब्रेनान ने कहा कि सीआईए की आंतरिक समीक्षाएं दर्शाती हैं कि हिरासत और पूछताछ कार्यक्रम ने उपयोगी खुफिया जानकारियां उपलब्ध करवाईं, जिससे अमेरिका को हमले की योजनाएं निष्क्रिय करने, आतंकियों को पकड़ने और जिंदगियां बचाने में मदद मिली। बहरहाल, उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि ईआईटी से उपयोगी खुफिया जानकारी मिली थी। ब्रेनान ने कहा, हम इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि बंदियों से उपयोगी जानकारी ईआईटी के इस्तेमाल से ही निकलवाई जा सकी। मेरा मानना है कि ईआईटी के इस्तेमाल और बंदी से उपयोगी जानकारी हासिल करने के बीच कारण और प्रभाव का संबंध अज्ञात है।

उन्होंने आगे कहा, बंदी से उपयोगी जानकारी निकलवाने में ईआईटी द्वारा भूमिका निभाए जा सकने के बावजूद मेरा मानना है कि प्रभावी और गैर-अवपीड़क तरीके ऐसी जानकारी निकलवाने के लिए मौजूद हैं। ब्रेनान ने कहा कि सीआईए के हिरासत एवं पूछताछ कार्यक्रम 11 सितंबर के हमलों के बाद अल कायदा द्वारा और अधिक हमले किए जा सकने के भय के बीच लाए गए थे, क्योंकि खुफिया एजेंसी एक ऐसे काम से जूझ रही थी, जिसके लिए वह तैयार नहीं थी। उन्होंने कहा, कई संदर्भों में, यह कार्यक्रम सीआईए के लिए एक अनसुलझा क्षेत्र था और हम तैयार नहीं थे। हमें बंदियों को रखने का बहुत कम अनुभव था और हमारे कुछ ही अफसर प्रशिक्षित प्रश्नकर्ता थे। लेकिन राष्ट्रपति ने 11 सितंबर के हमलों के छह दिन बाद इस कार्य को मान्यता दे दी और हमारा काम इसे लागू करना था।

ब्रेनान ने कहा, हिरासत और पूछताछ कार्यक्रम संचालित करने के लिए सीआईए की तैयारी नहीं थी। हमारे अफसरों ने इसकी शुरुआती गतिविधियों का अपर्याप्त ढंग से विकास और निरीक्षण किया। एजेंसी इस पूरे कार्य की व्यवस्था के संचालन संबंधी दिशानिर्देशों को शीघ्रता से स्थापित करने में विफल रही। उन्होंने कहा, कुछ मामलों में एजेंसी के अफसरों ने पूछताछ की ऐसी तकनीकें अपनाईं, जो अधिकृत नहीं थीं, वीभत्स थीं और जिन्हें सभी के द्वारा हटा दिया जाना चाहिए। जब कुछ अफसरों को उनकी गलतियों के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात आई, तो हम कमजोर रहे।

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